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गिरजाशंकर कुशवाहा उर्फ कुशराज झाँसी, लॉ स्टूडेंट, बीकेडी कॉलेज, झाँसी का खत

 

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गिरजाशंकर कुशवाहा उर्फ कुशराज झाँसी, लॉ स्टूडेंट, बीकेडी कॉलेज, झाँसी का खत बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति / कुलाधिपति के नाम।

सेवा में,
माननीय कुलपति महोदय / कुलाधिपति महोदया,
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी

विषय : परीक्षा – परिणाम में संशोधन और मूल्यांकन प्रणाली में सुधार हेतु।

मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मैं उत्तर प्रदेश के शीर्ष राज्य विश्वविद्यालय, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झाँसी में एल०एल०बी० का छात्र हूँ। मेरा परिवार खेती – किसानी करके जीविका चलाता है। हर तीसरे साल बुंदेलखंड में सूखा पड़ने पर हम भाई – बहिनों को कर्ज लेकर भी पढ़ाता हैं। मैं श्रम की कीमत जानता हूँ इसलिए पूरी ईमानदारी, लगन और मेहनत से पढ़ाई करता आ रहा हूँ और आगे भी करता रहूँगा।

प्रतिभाशाली छात्र – छात्राएं ही विश्वविद्यालय का गौरव होते हैं, ये ही देश – दुनिया में विश्वविद्यालय का नाम रोशन करते हैं। लेकिन सोचनीय बात ये है कि विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों की प्रतिभा को पहचाना नहीं जा रहा। बल्कि टॉपर बनने वाले छात्रों को भी फेल कर दिया जा रहा है जो विश्वविद्यालय और छात्रों के भविष्य के लिए कतई ठीक नहीं है। हम भी विश्वविद्यालय का नाम देश – दुनिया में रोशन करना चाह रहे हैं लेकिन विश्वविद्यालय की दोषपूर्ण मूल्यांकन प्रणाली और भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण मेरी भी विधिशास्त्र के पेपर में बैक लगा दी गई, जो अनुचित है। देश – दुनिया का कोई भी विधि – विशेषज्ञ मेरी उत्तरपुस्तिका को जांचकर कभी भी फेल नहीं कर सकता, ये दावा है मेरा। मेरे जैसे अनेक छात्र – छत्राएँ ऐसी ही तमाम समस्याओं से पीड़ित हैं। अगर विश्वविद्यालय छात्र – छात्राओं को प्रोत्साहित करने के बावजूद हतोत्साहित करेगा तो कैसे विश्वविद्यालय का मान बढ़ेगा? ये विचारणीय प्रश्न है।

05 जुलाई 2021 को एल०एल०बी० प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा – परिणाम जारी होने के समय से ही मैं परेशान हूँ, जैसे ही मैंने अपना परीक्षा – परिणाम देखा तो पाया कि विधिशास्त्र के पेपर में मेरी बैक लगी है। जिसमें बैक लगना असम्भव था, क्योंकि इस बार यूनिवर्सिटी टॉपर बनने की तैयारी की थी मैंने। कॉलेज में नियमित कक्षाएँ ली थीं, नोट्स बनाए और मानक अध्ययन सामग्री से गहन अध्ययन किया लेकिन फिर भी बैक लगी देखकर मानसिक तनाव में आ गया और सिविल सर्विसेज – ज्यूडिशरी की तैयारी में बाधा आयी। जिसकी भरपाई कभी नहीं कर पाऊँगा, क्योंकि गुजरा हुआ कल वापस नहीं आता।

परीक्षा – परिणाम आते ही मैंने सहपाठियों और मित्रों को बताया कि मेरी विधिशास्त्र में बैक आयी है तो किसी को भरोसा नहीं हुआ। सब कहने लगे कि तुम्हारी बैक आ ही नहीं सकती, जरूर उत्तर – पुस्तिका जाँचने वाले की गलती होगी। तब मैंने RTI से उत्तर पुस्तिका मंगानी चाही तो साइबर समस्या की बजह से वेबसाइट नहीं खुली। 2 बार विश्वविद्यालय के यूटिलिटी भी गया। फिर मैंने 26 जुलाई 2021 को दोपहर में RTI से उत्तर पुस्तिका मंगाने के लिए आवेदन किया तो शाम 03:33 बजे मेरी ईमेल पर विधिशास्त्र की उत्तर – पुस्तिका की पीडीएफ आ गई, जिसके लिए मैंने ₹500 शुल्क अदा किया। जिसे मैंने अपने दोस्त से उधार लिया, ये धनराशि उसकी चुकानी है अभी भी।

उत्तर पुस्तिका पाकर मैंने अपने प्रोफेसर्स, सहपाठियों, मित्रों और सीनियर्स से अपनी उत्तर लेखन शैली और प्रारूप के बारे में चर्चा की और सहपाठियों से उत्तर – पुस्तिका चैक करवाई और स्वयं भाईयों के साथ मिलकर मानक पुस्तक : विधिशास्त्र एवं विधिक सिद्धांत – डॉ० विजय नारायण मणि त्रिपाठी, रोहित लॉ सीरीज और नोट्स से अपने उत्तरों का मिलान किया तो पाया कि मुझे जहाँ लघु उत्तरीय प्रश्न जो 5 अंक का था, उसमें 4 या 5 अंक मिलने चाहिए, वहाँ मुझे 2 या 1 अंक ही मिला। और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न, जो 10 अंक का था, उसमें मुझे 8 या 9 अंक मिलने चाहिए लेकिन 3 या 4 अंक ही मिले। आखिर ऐसा क्यों किया गया हम जैसे छात्रों के साथ, इसका जवाब चाहिए???

हम और हमारे जैसे कई छात्र – छात्राएँ दोषपूर्ण मूल्यांकन प्रक्रिया का शिकार हुए हैं और मानसिक पीड़ा से जूझ रहे हैं। आखिर कर ही क्या सकतें हैं हम लोग? जब विश्वविद्यालय के नियम – कानून ही दोषपूर्ण हैं। लेकिन जब तक अधिकारों की लड़ाई शुरू नहीं होगी तब तक सिस्टम में परिवर्तन नहीं होता। इसलिए बुंदेलखंड की शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु आज से हम *#बुंदेलखंडीशिक्षासुधारअभियान*
*#BundelkhandiEducationReformCampaign* की शुरूआत करते हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि बुंदेलखंड का सबसे बड़ा शिक्षाकेंद्र – बुंदेलखंड विश्वविद्यालय हमारा हर प्रकार से सहयोग करेगा। क्योंकि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुछ सदस्यों की बजह से आज हमें व्यवस्था को सुधारने के लिए मजबूरन कदम उठाने पड़ रहे हैं। *सिर्फ हम ही नहीं बुंदेलखंड का हर नागरिक बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को देश – दुनिया का नम्बर वन शिक्षा संस्थान बनाने के लिए कुछ सुधार जरूरी समझता है। आज का दौर बदलाओ का है इसलिए हर जगह बदलाओ होना ही चाहिए। जै जै बुंदेलखंड।।।*

वैश्विक कोरोना महामारी के दौर में भी उच्च शिक्षा में अध्ययन – अध्यापन सुचारू चलता रहा, ये अच्छी बात है। कोरोना महामारी के दौर में परिजनों के चौपट हो चुके रोजगार – धंधों के बावजूद छात्र – छात्राओं ने बड़ी अपेक्षाओं के साथ विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। शिक्षकों ने बड़ी मेहनत से पढ़ाया भी और छात्र – छात्राओं ने पढ़ा भी। लेकिन फिर भी परीक्षा परिणाम संतोषजनक नहीं रहे। इस बात पर भी ध्यान देने की सख्त जरूरत है कि छात्र – छात्राएँ अपने परीक्षा – परिणाम से कब तक एक बार में ही सतुंष्ट हो जाएंगे।

विधिशास्त्र की उत्तर – पुस्तिका में हमें अभी लघु उत्तरीय में क्रमश: 2, 1, 2, 1, 2, 2, 2, 1 अंक मिले हैं जहाँ मुझे हरहाल में क्रमशः 4, 5, 5, 4, 5, 5, 4, 4 अंक मिलने चाहिए। और दीर्घ उत्तरीय में अभी क्रमशः 3, 3, 4 अंक मिले हैं जहाँ मुझे हरहाल में क्रमशः 8, 9, 9 अंक मिलने चाहिए। मुझे पूर्ण विश्वास है कि विश्वविद्यालय छात्रहितों में हमारी अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।

*मेरी विश्वविद्यालय प्रशासन से प्रमुख मांगे निम्नलिखित हैं* -:
1. मेरे विधिशास्त्र के पेपर की उत्तर – पुस्तिका का निःशुल्क पुनर्मूल्यांकन किया जाए।
2. मेरे अन्य चार पेपरों क्रमशः संविदा-1, संविदा-2, हिन्दू विधि और मुस्लिम विधि की उत्तर – पुस्तिकाओं का भी निःशुल्क पुनर्मूल्यांकन किया जाए।
3. RTI से विधिशात्र की उत्तर – पुस्तिका मेल पर मंगाने, प्रिंट निकालने और बार – बार विश्वविद्यालय में जाने लगे खर्च और मानसिक क्षति से होने वाले पढ़ाई आदि नुकसान की उचित आर्थिक क्षतिपूर्ति की जाए और आगे अध्ययन जारी रखने के लिए मुझे मासिक छात्रवृत्ति दी जाए।
4. जो छात्र – छात्राएं दोषपूर्ण मूल्यांकन प्रणाली की बजह से फेल हुए हैं, उन्हें तत्काल पास किया जाए और उनका संशोधित परीक्षा-परिणाम जल्द से जल्द जारी किया जाए।
5. मूल्यांकन – प्रणाली में सुधार किया जाए ताकि भविष्य में छात्र – छात्राएँ दोषपूर्ण कार्यों की बजह से फेल न हों।
6. विश्वविद्यालय द्वारा हर पाठ्यक्रम के प्रश्नपत्रों के मॉडल उत्तर जारी किए जाएँ। ताकि छात्र-छात्राएँ जान सकें कि हमें कैसा उत्तर देना है ताकि अधिकतक अंक प्राप्त किए जा सकें और विश्वविद्यालय का परीक्षा-परिणाम केंद्रीय विश्वविद्यालयों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसा हो सके, जहाँ छात्र – छात्राओं के 100 में से 91 – 100% तक अंक मिलते हैं। जिससे छात्र – छात्राओं का मनोबल बढ़ता है और विश्वविद्यालय का मान।
7. विश्वविद्यालय के पत्रांक : बु०,वि०/परीक्षा/2019/1715, दिनांक : 08/04/2019 के आदेशानुसार RTI से उत्तर – पुस्तिका की स्कैन कॉपी ईमेल के प्राप्त करने हेतु निर्धारित शुल्क ₹500 प्रति उत्तर-पुस्तिका देय को कम करके विश्वविद्यालयहित में ₹10 RTI फीस, 2 ₹ प्रति पेज किया जाए और चुनौती मूल्यांकन हेतु ₹3000/- प्रति उत्तरपुस्तिका शुल्क देय को कम करके ₹500 किया जाए।
8. यदि किसी बजह से परीक्षाएं आयोजित नहीं होतीं हैं तो छात्र – छात्राओं से परीक्षा फीस न ली जाए।
9. उत्तर-पुस्तिकाओं का दोषपूर्ण मूल्यांकन करने वाले परिक्षकों पर उचित कार्यवाही की जाए।
10. हमारी मांगों पर 15 दिन के अंदर कार्यवाही की जाए।

धन्यवाद!

दिनाँक : 29 जुलाई 2021, झाँसी

प्रार्थी –
छात्र का नाम – गिरजाशंकर कुशवाहा उर्फ कुशराज झाँसी (संस्थापक : कुशराज फाउंडेशन – बदलाओ की आबाज)
परीक्षा-अनुक्रमांक : 203111037065
पाठ्यक्रम : एल०एल०बी०, प्रथम सेमेस्टर
कॉलेज : बुंदेलखंड डिग्री कॉलेज, झाँसी
प्रश्नपत्र : विधिशास्त्र (6841)
ईमेल : kushraazjhansi@gmail.com
मोबाईल : 8800171019
ब्लॉग : kushraaz.blogspot.com
विशेष : पूर्व छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय; बी०ए० हिंदी ऑनर्स 73% से उत्तीर्ण; पूर्व प्रत्याशी महासचिव छात्रसंघ, हंसराज कॉलेज दिल्ली, पूर्व महासचिव इक्वल अपॉर्च्युनिटी सेल, हंसराज कॉलेज, पूर्व प्रधानमंत्री छात्र संसद, सरस्वती विद्या मंदिर बरूआसागर झाँसी, सिविल सर्विसेज एस्पिरेन्ट, लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता

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