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जब नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने की मेट्रो ट्रेन में यात्रा

कैलाश सत्यार्थी जी की रोचक दिल्ली मेट्रो यात्रा उनके ज़मीन से जुड़े रहने की गवाही देता है

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कैलाश सत्यार्थी जी और मैट्रो यात्रा द्वारा उनकी राष्ट्रपति से मीटिंग।

 

घटना उस समय की है जब श्री सत्यार्थी जी विश्वभर के बच्चों की आवाज़ बुलंद करने हेतु लौरिएट्स एंड लीडर्स समिट फॉर चिल्ड्रेन्स के आयोजन की तैयारियों में लगे हुए थे। गौरतलब है लौरिएट्स एंड लीडर्स समिट का आयोजन सत्यार्थी जी ने दिसम्बर 2016 में किया था। उनका मत था कि नोबल विजेताओं और विश्व के नेताओं, चाहे वे किसी क्षेत्र के माहरीन हों, का एक मजबूत मॉरल प्लेटफॉर्म तैयार किया जाए जो करुणा का वैश्वीकरण करने में मददगार साबित हों और बच्चों के दुर्व्यापार व उनके साथ हो रहे यौन अपराधों पर रोक लगाने के लिए काम करे यानि कि सही मायनों में यह प्लेटफॉर्म पीड़ित बच्चों की आवाज़ बने।

साल 2015 और 2016 के मध्य तक उन्होने विश्व के प्रमुख नेताओं और मॉरल ऑथोर्टीज़ से इस आयोजन को लेकर बात की। इस विचार विमर्श के लिए सत्यार्थी जी ने विश्व के कई देशों की यात्राएं भी कीं, तथा अनेकों नेताओं से दूरभाष से भी संपर्क स्थापित किया, जिसका उनको सकारात्मक परिणाम मिला।

अनेक नेताओं ने इस तरह के कार्यक्रम से अपनी सहमति जताई तथा इस प्रोग्राम में शामिल होने की भी स्वीकृति दी। अब सत्यार्थी जी ने अपने सहयोगियों के साथ कार्यक्रम कि रूपरेखा तैयार की। इस उनूठे कार्यक्रम का नाम सत्यार्थी जी ने लौरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन रखा। सत्यार्थी जी ने इस आयोजन के बारे में भारतीय नेताओं से भी चर्चा की तथा इसी क्रम में सत्यार्थी जी तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से भी मिले। उनसे बातचीत के बाद यह सहमति बनी कि पहला लौरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया जाए। गौरतलब है कि राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का सरकारी आवास है।

अब असली प्रसंग पर आते हैं जिसके लिए ये भूमिका लिखी गई है। जिस दिन सत्यार्थी जी को महामहिम राष्ट्रपति जी से मिलना था, उसी दिन उनकी मुलाक़ात दिल्ली के उप-राज्यपाल श्री नजीब जंग से तय थी और दोनों मुलाकातों के समय में दो घंटे का अंतर था। सत्यार्थी जी के ऑफिस का मानना था कि इस समय अंतराल में सत्यार्थी जी दोनों नेताओं से बात-चीत कर लेंगे क्योंकि राज निवास और राष्ट्रपति भवन की दूरी महज 30 मिनिट की ही है। लेकिन सत्यार्थी जी को दोनों नेताओं से मुलाक़ात करने के लिए अपनी गाड़ी छोडकर मेट्रो ट्रेन में यात्रा करनी पड़ी! आइऐ जानते हैं ये कैसे हुआ ?

नोबल शांति पुरुष्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी मेट्रो ट्रेन से यात्रा करते हुये। फोटो साभार; अरविंद कुमार कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फ़ाउंडेशन ।

जिस दिन ये दोनों मुलाकातें होनी तय थीं उस दिन सत्यार्थी जी दिल्ली के बुराडी स्थित मुक्ति आश्रम में ठहरे हुए थे। ज्ञात रहे मुक्ति आश्रम मुक्त बाल मजदूरों का अल्प कालीन आश्रय स्थल है जहां पर रहकर वे कानूनी प्रक्रिया को पूरी करने के उपरांत अपने-अपने घर चले जाते हैं | इस आश्रम की स्थापना सत्यार्थी जी ने 90 के दशक में की थी। सत्यार्थी जी को पहले उप-राज्यपाल नजीब जंग से मिलना था। वे निश्चित समय पर मुक्ति आश्रम से राजनिवास के लिए रवाना हुये। जब सत्यार्थी जी जहांगीरपुरी पहुंचे तो वहां पर भारी जाम लगा हुआ था। अनेक वाहन बुरी तरह फंसे हुये थे। सत्यार्थी जी की गाड़ी भी इस जाम में फंस गई। अब स्थिति ये थी कि सत्यार्थी जी निश्चित समय पर राजनिवास नहीं पहुंच सकते थे। मुलाकात में केवल 15 मिनिट ही शेष बचे थे। लौरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन के आयोजन को देखते हुये ये मुलाकात बहुत महत्वपूर्ण थी। सत्यार्थी जी हर हालत में तयशुदा वक्त पर ही उप-राज्यपाल और राष्ट्रपति जी से मिलना चाहते थे। संयोगवश मैं भी सत्यार्थी जी से मिलने मुक्ति आश्रम गया हुआ था अतः मैं भी सत्यार्थी जी की गाड़ी में इस उद्देश्य से बैठ गया था कि इंडिया गेट के आसपास मैं कहीं उतर जाऊंगा। हमारी गाड़ी मेट्रो लाइन के नीचे जाम में फंसी हुई थी। तभी सत्यार्थी जी ने मुझसे कहा “ पंडित जी क्यों न हम नजदीक के मेट्रो स्टेशन तक मेट्रो से चलें, वहां से किसी साधन से राजनिवास चले चलेंगे।” सत्यार्थी जी स्नेह से हम सभी को पंडित जी का सम्बोधन करते हैं और हम उनको प्यार से भाई साहब कहते हैं। मैंने कहा “भाईसाहब यह बेहतर होगा।” एक मिनिट गंवाए बिना सत्यार्थी जी गाड़ी से उतर गए और पैदल ही मेट्रो स्टेशन की तरफ चलने लगे। गाड़ी से मेट्रो स्टेशन अधिक दूरी पर नहीं था। उनके साथ मैं भी उतर गया। मैंने सिविल लाइन मेट्रो स्टेशन के दो टोकन खरीदे और सत्यार्थी जी के साथ मेट्रो में सवार हो गया। इसी बीच सत्यार्थी जी के ऑफिस ने राज-निवास को सूचित कर दिया कि सत्यार्थी जी मेट्रो से आ रहे हैं। राज-निवास के अधिकारियों ने सत्यार्थी जी के लिए सिविल लाइंस मेट्रो स्टेशन पर गाड़ी भेज दी। इस तरह सत्यार्थी जी ने राज-निवास पहुंच कर एल जी साहब के साथ मीटिंग की। सत्यार्थी जी समय के बहुत पाबंद हैं। उनकी नज़रों में समय का बहुत महत्व है। वे हर कार्य तय समय पर करते हैं।

इसी बीच कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन के सीईओ राज-निवास एक गाड़ी लेकर पहुंच गये। उप-राज्यपाल महोदय से मीटिंग के उपरांत सत्यार्थी जी अपने संगठन के सीईओ की गाड़ी से राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना हुए, क्योंकि उनकी महामहिम राष्ट्रपति जी से भी मुलाकात निश्चित थी। लेकिन आज सत्यार्थी जी की कोई भी मुलाकात निर्विघ्न सम्पन्न नहीं होने वाली थी। जैसे ही हम आधे रास्ते में पहुंचे सीईओ साहब की गाड़ी का इंजन गरम हो गया और वह बंद हो गई। उसमे से धुआं निकलने लगा। हमने आनन-फानन में सत्यार्थी जी को गाड़ी से बाहर निकाला और गाड़ी को सड़क के किनारे खड़ा किया। हमारी धड़कनें बढ़ती जा रहीं थीं क्योकि राष्ट्रपति महोदय के साथ मुलाकात का समय नजदीक आ गया था। वहां से हमने तुरंत एक टैक्सी किराए पर ली और इस तरह सत्यार्थी जी राष्ट्रपति भवन पहुंचे और महामहिम राष्ट्रपति जी से भेंट की।

इस तरह सत्यार्थी जी के भागीरथ प्रयासों से 2016 के दिसम्बर माह की 10 व 11 तारीखों को भारत के राष्ट्रपति भवन में दुनिया के पहले लौरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समित का आयोजन हुआ। राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने इस समित का उदघाटन किया। उदघाटन के पश्चात श्री सत्यार्थी जी ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इस आयोजन को राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी, तिब्बत के अध्यात्मक नेता एव नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित हिस होलिनेस दलाई लामा, मोनोको की राजकुमारी चार्लीन, जॉर्डन के राजकुमार अली बिन अल हुसैन, नीदरलैंड की राजकुमारी लौरेंटीएन तथा ईस्ट तिमूर के पूर्व राष्ट्रपति रामोस होर्टा आदि ने संबोधित किया। अपने सम्बोधन में सभी नेताओं ने बाल मित्र दुनिया बनाने, करुणा का वैश्वीकरण करने तथा बाल दुर्व्यापार रोकने का आह्वान किया।

(लेखक प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष हैं)

 

 

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