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बंगाल में खेला होबे से प्रभावित अखिलेश, बेटा बेटी ट्विटर पर कर रहे प्रचार

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसको लेकर राजनीति के गलियारों में चिंगारी लग चुकी है। अब जैसे-जैसे यूपी विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे ये चिंगारी भयानक आग का रूप लेना शुरू कर देगी। हालांकि, उत्तर प्रदेश का माहौल अभी से बदलने लगा है।ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि 2022 का विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक होगा। क्योंकि वो जमाने लद गए जब किसी पार्टी के नेता वोट बटोरने के लिए गलियों के चक्कर काटा करते थे। आज के ज़माने की राजनीति अपडेट हुई है। सड़कों-चौराहों पर लगे होर्डिंग्स, बैनर और स्लोगन वाले पोस्टर एक-दूसरे को आंख दिखाते हैं।

 

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। 1 जुलाई को उन्होंने अपने जीवन के 48 साल पूरे कर लिए हैं। अखिलेश ने कुछ दिन पहले ट्विटर पर एक गाना ‘सुख-दुःख में साथ निभाया है, सुख-दुःख में साथ निभाएंगे…’ शेयर किया था जो कि काफी पॉपुलर हुआ है।अब देखना ये होगा कि यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश के लिए ये गाना कितना अहम होगा।

जैसा कि सब जानते हैं, चुनाव में जनता को लुभाने के लिए राजनैतिक पार्टियों के द्वारा तरह-तरह के गाने व स्लोगन्स तैयार किये जाते हैं। इन मामलों में समाजवादी पार्टी सबसे आगे रहती है। जिसमें ‘जन-जन की है यही पुकार, अखिलेश भइया अबकी बार’, ‘कहो दिल से, अखिलेश फिर से’, ‘बाइस में बाइसिकिल’ जैसे स्लोगन्स से तमाम तरह की बतोलेबाजी की जाती है। हाल में ही बंगाल चुनाव हुए, बंगाल चुनाव में ‘खेला होबे’ स्लोगन ने खूब सुर्ख़ियाँ बटोरीं।बंगाल चुनाव के बाद ‘खेला होबे’ गाना लोगों की जुबान पर चढ़ गया, लोगों ने इसे अपने मोबाइल की कॉलर ट्यून में सेट किया। वहीं, इसी तर्ज पर ‘अब यूपी में खेला होई’ स्लोगन को सपा भुनाना चाहती है। दरअसल, यूपी के कई जिलों में सपा नेताओं ने ‘अब यूपी में खेला होई’ के पोस्टर लगवाएं हैं जोकि सुर्खियों में हैं। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी समाजवादी पार्टी दिन-रात एक्टिव है और लोगों की क्रिएटिविटी पर नजर जमाए हुए है।

बीते 27 जून को अखिलेश ने अपने ट्विटर हैंडल से ‘सुख-दुःख में साथ निभाया है, सुख-दुःख में साथ निभाएंगे’ गाने को शेयर किया था. 2 मिनट 18 सेकेंड का यह वीडियो काफी हिट हुआ। इस गाने में अखिलेश को मुख्य हीरो के रूप में पेश किया गया है। इसके साथ गाने में योगी सरकार पर भी निशाना साधा गया है। गाने के वीडियो में ऑक्सीजन रिफिलिंग केंद्रों के बाहर लगी लाइन और गंगा में बह रही लाशों को दिखाया गया है। कुल मिलाकर इस गाने के जरिये सपा ने खुद को चमकाने और योगी सरकार की छवि को धूमिल करने का पूरा प्रयास किया है।

गाने के बोल कुछ तरह से हैं…

चाहे कैसी भी मुश्किल हो, मिलजुल कर उसे मिटाएँगे.
सुख दुःख में साथ निभाया है, सुख दुःख में साथ निभाएँगे.
कहते है कि मुश्किल वक्तों में, साथी की परीक्षा होती है.
कौन अपना कौन पराया है, इसकी भी समीक्षा होती है.
जो अवसरवादी हैं सारेवो दुःख में दुःख पहुँचायेंगे.
पर हमने क़सम खायी है कि सबका दर्द मिटाएँगे.
जैसे पहले हम साथ रहे, इस बार भी साथ निभाएँगे.

https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1409130750557962240?s=24

एक तरफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता 2022 में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सपा सुप्रीमो के बेटे अर्जुन यादव और बेटी अदिति यादव भी सोशल मीडिया पर अपने पापा (अखिलेश यादव) के लिए जमकर मेहनत कर रहे हैं. कई लोगों का कहना हैं कि अर्जुन यादव और अदिति यादव का ट्विटर हैंडल फेंक है तो कुछ लोगों का मानना है कि ये सपा आईटी सेल का काम है जो उनके नाम का अकाउंट चला रहे हैं. ट्विटर पर अर्जुन यादव के 29.4K और अदिति यादव के 54.3K फॉलोवर्स हैं। गौर करने वाली बात है कि इन दोनों को अखिलेश यादव फ़ॉलो तक नहीं करते हैं!

https://twitter.com/arjunyadav022/status/1410237312789671940?s=08

सपा के एक युवा कार्यकर्ता बताते हैं कि भैया का बाईस में मुख्यमंत्री बनना तय है, योगी सरकार ने साथियों पर मुक़दमे लाद दिए। लेकिन हमारे हौसले में कोई कमी नहीं आयी। अभी कई ऐसे गाने मार्केट में आएँगे और हम सरकार के होश उड़ाएँगे। इन सबके बाद सपा कार्यकर्ता दबे यह भी मानते हैं कि पार्टी ने ग्राउंड पर उतरने में बहुत देर कर दिया, हम मौक़े को और अधिक भुना सकते थे। उनका मानना है कि उनके साथ पार्टी के इस रवैया से थोड़े क्षुब्ध हैं।

वैसे गाना, नारा और पोस्टर की बदौलत सपा को कितना फ़ायदा मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ की बात है। लेकिन किसी भी चुनाव में नारों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। पुराना दौर उठाकर देखें तो कुछ नारे खूब हिट हुए- जैसे -जात पर न पात पर, इंदिरा जी की बात पर, मोहर लगेगी हाथ पर, अबकी बारी, अटल बिहारी, जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी, तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’।

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