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लालू यादव तब बिहार की सत्ता में थे। कार्टूनिस्ट पवन तब एक कार्टूनिस्ट के तौर पर उभर रहे थे

 

लालू यादव तब बिहार की सत्ता में थे। कार्टूनिस्ट पवन तब एक कार्टूनिस्ट के तौर पर उभर ही रहे थे। पटना के आर्ट एंड क्राफ्ट कॉलेज में उनके कार्टून की प्रदर्शनी लगी। पवन ने लालू यादव को भी आमंत्रित किया था। उनके आने से पहले तक पवन सशंकित थे। तब लालू यादव का जलवा था। समर्थकों का बड़ा हुजूम उनके साथ था। पवन इस बात से डर रहे थे कि उन्होंने एक कार्टून में लालू जी के राज को जंगलराज के रूप में दिखाया है, अगर वे बुरा मान गए तो क्या होगा!

पवन जिस बात से डर रहे थे वही हुआ। लालू जी जंगलराज वाले कार्टून के पास ठहर गए। उनके साथ चल रही उनके समर्थकों की टोली भी ठहर गई। पवन का मन घबराने लगा। कार्टून में एक जंगल बना हुआ था जिसमें लालू जी को सिंह के रूप में दिखाया गया था। उनके डर से सुशील मोदी और नीतीश कुमार पेड़ की डाली पर लटके हुए थे।

लालू जी कुछ क्षण तक कार्टून को देखते रहे और फिर ठठाकर हँस पड़े। तब जाकर पवन के जान में जान आयी। साथ-साथ चल रहे फुलवारीशरीफ के विधायक श्याम रजक भी हँसने लगे। उस दिन से पवन इतने उत्साहित हुए कि लालू जी पर साधिकार कार्टून बनाने लगे।

कल्पना कीजिए कोई कार्टूनिस्ट आज नीतीश कुमार या नरेंद्र मोदी पर इस तरह का कार्टून बनाकर चैन की जिंदगी जी पायेगा? या उनकी प्रतिक्रिया इतनी ही निश्छल होगी?

यही था तब का जंगलराज। इसी को मनुवादी मीडिया जंगलराज कहती है।

फोटो Pawan Toon (कार्टूनिस्ट पवन) के वॉल से ली गयी है। फोटो में आप लालू जी की निश्छल हँसी साफ-साफ देख सकते हैं।

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