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आखिर क्यों हर रोज़ पेट्रोल और डीजल के दाम नई ऊचाईयां छू रहे हैं?

आखिर क्यों हर रोज़ पेट्रोल और डीजल के दाम नई ऊचाईयां छू रहे हैं?

देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में बेतहाशा बढोत्तरी ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। रोज़ बढ़ते दामों के चलते लोगों को पेट्रोल, डीजल खरीदने में दिक्कत जो हो रही है, सो हो ही रही है, लेकिन उसके चलते बाकी दैनिक जीवन की रोजमर्रा की ज़रूरतों के सामानों के दाम में भी बेतहाशा इजाफा हो रहा है।

जिसके चलते आम जनमानस को दोतरफा मार झेलनी पड़ रही है, ऐसे में यह सवाल बेहद लाज़िमी बन जाता है कि आखिर अचानक से बढे इन तेल के दामों के पीछे राज क्या है? आखिर क्यों हर रोज़ पेट्रोल और डीजल के दाम नित नई ऊचाईयां छू रहे हैं और जनता की जेब पर बोझ बनते जा रहे हैं। 

दरअसल, सरकार एक सुनियोजित फार्मूले के तहत पेट्रोल पम्प पर बिकने वाले हर ईंधन का दाम तय करती है जिसमें कि कच्चे तेल के दाम, परिवहन, रिफाइनरी का खर्च, केंद्र व राज्य सरकारों के कर, पंपों का कमीशन जैसी तमाम चीज़ें शामिल होती हैं और इसी तय दाम पर जनता को पेट्रोल और डीजल समेत समस्त पेट्रोलियम उत्पादों को खरीदना होता है।

इसका थोडा अध्ययन करने पर हमें पता चलता है कि इस फार्मूले का नाम है टीपीपी फार्मूला यानी ट्रेड पैरिटी प्राइसिंग फार्मूला। अब सवाल यह उठता है कि इस फार्मूले में आखिर होता क्या है? तो यह एक अस्सी अनुपात बीस के हिस्सेदारी में बंटा होता है यानी देश में बेचे जाने वाले पेट्रोल-डीजल के मूल्य का 80 प्रतिशत हिस्सा विश्व बाज़ार में वर्तमान में बेचे जा रहे ईंधन के दामों से जुड़ा होता है। 

इसके बाद शेष 20 फीसदी हिस्सा अनुमानित मूल्य के अनुसार जोड़ा जाता है। इस मूल्य वृद्धि की सबसे बड़ी वजह पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने सुझाव के तौर पर बताया कि मूल्यवृद्धि की मुख्य वजह केंद्र और राज्यों द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों पर लगाए जाने वाले टैक्स हैं। 

अब जैसे समझने के लिए मानते हैं कि दिल्ली में एक दिन पेट्रोल की कीमत 95 रूपये प्रति लीटर होती है, तो इंडियन ऑयल का आधार मूल्य लगभग 35.50 रुपये होगा, जिस पर लगभग 40 पैसे ढुलाई खर्च लगेगा यानी अब पेट्रोल डीलर को 35.90 रुपये का पड़ा। इसके बाद इस पर उत्पाद शुल्क लगा 33 रुपये, डीलर का कमीशन लगा 3.80 रुपये लीटर, अब कुल जोड़ का 22 प्रतिशत दिल्ली सरकार का वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स लगा, जो 22 रुपये  के करीब हुआ। इन सबको जोड़कर देखें तो कुल मूल्य 95 रुपये के लिए हुआ।  (आंकड़े प्रतीकात्मक रूप से फार्मूला समझने के लिए)

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें तो दिल्ली में राज्य और केंद्र मिलकर डीजल पर 141 फीसदी व पेट्रोल पर 180 फीसदी कर वसूलते थे।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पेट्रोल, डीजल से सरकार की कमाई लगभग तीन गुना से भी ज़्यादा बढ़ी है। पेट्रोलियम उत्पादों पर बढ़ती हुई महंगाई के एक सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि विगत छह साल में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के माध्यम से कुल कर संग्रह में 307 फीसदी से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। इन आंकड़ों की मानें तो इस समय पेट्रोल और डीजल सरकार की कमाई का सबसे गाढ़ा और बड़ा ज़रिया बना हुआ है और इस कमाई का असर आम जनता की जेब और ज़िन्दगी पर सीधे तौर पर पड़ा है। 

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