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‘वो खास’ फिल्म के कला निर्देशक उज्जवल कुमार गुप्ता के साथ एक विशेष साक्षात्कार

'वो खास' फिल्म के कला निर्देशक उज्जवल कुमार गुप्ता के साथ एक विशेष साक्षात्कार

प्रश्न 1 . ‘वो खास’ में काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा?

उत्तर-  ‘वो खास’ मेरे लिए बहुत ही खास है। इसके लिए अविनाश और अगम सर को दिल से शुक्रिया करता हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास कर मुझे इस काम को करने का मौका दिया। इसमें काम करने का अनुभव बहुत अच्छा और सुखद रहा। मुझे बहुत कुछ सीखने के लिए भी मिला। मैं यहां पर टीम नहीं कहूंगा बल्कि एक परिवार कहूंगा, क्योंकि हम लोग टीम की तरह नहीं काम किए हैं बल्कि हम सब साथ में एक परिवार की तरह काम किए हैं। हर कोई एक-दूसरे की मदद करता था।

प्रश्न 2 . आपके आर्ट डायरेक्शन की तारीफ हो रही है, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

उत्तर-  हर इंसान को अपने किए हुए काम की, जब तारीफ मिलती है तो उसे बहुत खुशी मिलती है, उसी तरह मुझे भी बहुत खुशी हो रही है। मेरे अंदर एक चीज़ है, जिसे आप मेरी कमी कहें या अच्छाई मुझे खुद ही नहीं पता है। किसी भी काम की सफलता पर, मैं खुशी से पागल नहीं होता हूं या असफलता पर एक दम से गम में नहीं जाता हूं। मुझे लगता है कि खुशी से पागल होने या गम में जाने के बजाय अपने अगले काम पर फोकस करूं। मैं काम कर के भूल जाता हूं और सिर्फ आने वाले काम के बारे में सोचता हूं, क्योंकि जो मैं पहले काम कर चुका हूं, मुझे अब उससे और बढ़िया काम करना है।

प्रश्न 3 . अगम आनंद और शांभवी सिंह के साथ काम करना कैसा रहा?

उत्तर-  कुछ लोगों की अच्छाइयों को चंद शब्दों में लिखकर बयां नहीं किया जा सकता है। ये दोनों बहुत ही मिलनसार स्वभाव के हैं, लोगों की हमेशा हर संभव मदद करने वाले हैं। मुझे इनके साथ काम कर के बहुत ही अच्छा लगा। अगम सर कि बात करें तो ये बहुत ही शांत प्रवृत्ति के हैं। सेट पर कभी भी गुस्सा करते हुए नहीं दिखे। अगम सर बहुत कुछ बताते और सिखाते भी हैं। शांभवी अपनी चुलबुली प्रवृति के साथ-साथ फ्रेंडली नेचर की हैं, जिससे लोगों को उनके साथ रहने पर एक अपनापन का एहसास होता है और साथ ही मैं शांभवी की मम्मी की बात करूंगा, क्योंकि वो हमारे सेट पर सारे दिन मौजूद रही हैं।

प्रश्न 4 .  निर्देशक अंकित भारद्वाज के साथ आपका समीकरण कैसा है?

उत्तर-  अंकित भारद्वाज के साथ मेरा समीकरण अच्छा है। ये बहुत ही टैलेंटेड हैं। इनका निर्देशन, सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग का सेन्स बहुत अच्छा है।

प्रश्न 5 .  आरजे चोखा, अविनाश मिश्रा, ऋचा सिंह और  ‘वो खास’ की पूरी टीम के साथ काम करना कैसा रहा?

उत्तर-  अविनाश को, मैं पिछले 5 वर्षों से जनता हूं। हम दोनों की दोस्ती एक डान्स क्लास से हुई थी। हम दोनों लगभग काम साथ में ही करते हैं। कोई भी काम करने से पहले हम दोनों उसके बारे में विचार करते हैं अगर दोनों की उस पर आपसी सहमति हो जाती है, तभी उस काम को करते हैं अन्यथा नहीं करते हैं। हम दोनों दोस्त की तरह नहीं बल्कि भाई की तरह हैं। इस फिल्म में में हम दोनों ने अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ किया है।

आरजे चोखा सर तो इस परिवार में सोने पर सुहागा हैं। बहुत ही मज़ेदार इंसान और दिल के बहुत साफ हैं। जो भी होता है सामने ही बोलते हैं, पीठ पीछे नहीं। वो सेट पर अपने मज़ेदार चुटकुलों से लोगों को हमेशा हंसाते रहते थे। ये चीज़ मैं अक्सर मिस करता हूं, सर बहुत अच्छे अभिनेता हैं। इनकी कला का प्रदर्शन आप इस फिल्म में देख ही रहे हैं।

ऋचा सिंह जी हमारे फ़िल्म की प्रोड्यूसर हैं। सेट पर सारे लोगों का बहुत ख्याल रखती थीं। इन्होंने इस फिल्म के लिए हमारी हर ज़रूरत को पूरा किया, ताकि फिल्म अच्छी बने और इनकी मेहनत का परिणाम आप देख रहे हैं कि फिल्म बहुत अच्छी बनी है। ‘वो खास’ परिवार के साथ जुड़कर काम करना मेरे लिए सौभाग्यशाली रहा है। मैं पूरे परिवार के सदस्यों को अपने दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।

प्रश्न  6 . एक अभिनेता और एक कला निर्देशक के रूप में आप आगे क्या कर रहे हैं?

उत्तर-  फिलहाल, कोविड-19 के कारण कुछ कर नहीं रहा हूं और सिर्फ अपने आप पर काम कर रहा हूं। अच्छी फिल्मों को देख रहा हूं। नाटक और कहानी की किताबें पढ़ रहा हूं। हम बहुत ज़ल्द ही इसके 2nd पार्ट पर काम शुरू करेंगें।

प्रश्न 7 . ‘वो खास’ की शुरुआती सफलता पर आप कैसा महसूस कर रहे हैं?

उत्तर-  मुझे बहुत ही गर्व महसूस हो रहा है। हम लोगों की मेहनत सफल रही, इस फिल्म की सफलता ने हमारी ऊर्जा को और गतिमान बना दिया है। वो खास को इतना प्यार देने के लिए लोगों को मैं दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आगे भी आप सब इसी तरह हम लोगों को अपना प्यार देते रहें।

प्रश्न 8 . अपनी पृष्ठभूमि के बारे में कुछ बताएं? आप सिनेमा में कैसे आए?

उत्तर-  मैं एक निम्न मध्यमवर्गीय किसान परिवार से हूं। मेरे माता-पिता गाँव में ही रहते हैं। मेरा पालन-पोषण और 10वीं तक की  पढ़ाई गाँव में ही हुई है। सिनेमा में आना मेरे लिए आसान नहीं रहा है, इसके लिए मैंने बहुत मेहनत की है और अभी भी संघर्ष जारी है।

10वीं के बाद, मैं पटना IIT की तैयारी के लिए आया था, लेकिन कला में मेरा बचपन से ही रुझान रहा है। गाँव और स्कूल में कई बार नाटकों में काम भी किया था। पटना आने के बाद मुझे रंगमंच से जुड़ने का मौका मिल गया और मेरे इस सफर की शुरुआत हो गई। जब यह बात, मेरे घरवालों को पता चली तो वे लोग मेरे खिलाफ हो गए। घरवालों ने मेरे लिए अपना सारा सपोर्ट बन्द कर दिया। मेरे घरवालों ने बोला कि अगर तुम पढ़ाई करोगे तो तुम्हें सपोर्ट करेंगे वरना खुद-का-खुद देखो।

मेरी माँ और छोटी मम्मी मुझे हमेशा से सपोर्ट करती रही हैं। मेरे घर में केवल ये दो लोग ही सिर्फ मुझसे बोले कि जो तुम्हारा दिल करता है, तुम वो करो फिर मैं दिल लगाकर रंगमंच करने लगा और अभिनय सीखने लगा। यहीं से मैं धीरे-धीरे सिनेमा की ओर बढ़ा और अब मेरे लिए रंगमच और सिनेमा दोनों ही प्यारे हैं।

प्रश्न 9 .  आने वाली प्रतिभाओं के लिए आपका क्या संदेश है?

उत्तर-  आप सबसे पहले खुद पर विश्वास रखिए और अपने ऊपर जमकर मेहनत करिए। कौन, क्या बोल रहा है, इसमें अपना समय बर्बाद नहीं करें। अपने काम पर फोकस रहें और अच्छी-अच्छी किताबें पढ़ें, फिल्मों को देखें और उन्हें समझें।

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