ट्विटर एक ऐसा सोशल मीडिया प्लेटफार्म है, जहां आम जनता के मुद्दों की बात होती है और जनता अपने मुद्दे खुद रख कर सरकार से सवाल कर सकती है। आज के दौर में सत्ता पक्ष की सरकार एन्ड कंपनी की कवायद किसी तानाशाही से कम नहीं हैं।
भारत में सत्ता पक्ष नेताओं और कॉर्पोरेट कम्पनियों का न्यूज़ चैनल, प्रिंट मीडिया या अखबार का स्पेस खरीदना बेहद आसान हो गया है। जहां पर मनचाहा रिकार्डेड प्रोग्राम, फीचर, लेख आदि लगवाया जाता है और जनता को उन्हीं के हिसाब से सब कुछ दिखाया जाता है। इसमें प्रेस काउंसिल या ब्रॉडकास्टिंग एजेंसीज की भी ज़्यादा परवाह नहीं की जाती है।
आज के सोशल मीडिया को भी इन लोगों ने नहीं छोड़ा है। पार्टियों द्वारा सोशल मीडिया में शेयर किए गए लिंक, वीडियो क्लिप, तस्वीर पोस्ट आदि का कोई मज़बूत सोर्स हो या ना हो, यह महज़ एक प्रोपेगेंडा के तहत चलाए जाते हैं। कुछ बातें सच भी होती हैं, लेकिन कुछ हद तक। ऐसे ही फेक न्यूज़ पर ट्विटर ने लगाम कसने के लिए कई बड़े कदम भी उठाए हैं।
फेक न्यूज़ की चीज़ें ज़्यादातर राजनीतिक पार्टियां और कॉर्पोरेट कंपनियां सिर्फ अपने मकसद और फायदे के लिए ही करवाती हैं, जहां तक देखा गया है कि ट्विटर इन राजनेताओं की पहुंच से बहुत आगे की सोच रखता है, जिससे ट्विटर का हर यूज़र अपने आप को सेफ महसूस कर सकता है।
ट्विटर सिर्फ अपने नियम और पॉलिसी के हिसाब से ही काम करता है फिर चाहे उस पर किसी भी देश या सरकार का कितना ही दवाब क्यों ना हो। अभी कुछ दिनों पहले ही ट्विटर ने बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक टवीट् को मनुप्लैट की श्रेणी में डाल दिया था, जिसे हम अफवाह या फेक ट्वीट भी कह सकते हैं, जिसके बाद सरकार द्वारा ट्विटर पर कई सारे आरोप भी लगाये गए थे।
ट्विटर अपनी पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए ही काम करता है। उसके बाद ट्विटर ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ से जुड़े कई लोगों के ब्लू टिक हटा दिए थे। इसके पीछे भी कई कारण थे जैसे कि मोहन भागवत ने अपने ट्विटर हैंडल से पिछले 6 महीनो में एक भी ट्वीट नहीं किया था और इसके बाद ट्विटर के खिलाफ ट्विटर पर ही #bantwitter जैसे कई हैशटैग भी चलाए गए। इसके बाद ट्विटर ने कुछ घंटों के भीतर ही दुबारा से मोहन भागवत का ब्लू टिक वापस कर दिया था।
अब सरकार चाहती है कि ट्विटर की लगाम भी उन्हीं के हाथों में हो और ट्विटर भी टीवी मीडिया की तरह उन्हीं के इशारों पर काम करे इसके लिए सरकार ने ट्विटर पर आईटी एक्ट लगाने की चेतावनी भी दे डाली थी। हम तो सिर्फ इतना ही कहेंगे कि जो भी व्यक्ति उबलते हुए पानी में अपना हाथ डालेगा तो जाहिर सी बात है कि हाथ भी उसी के ही जलेंगे।