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“उत्तर प्रदेश में बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को मज़बूत रणनीति से काम करना होगा”

"उत्तर प्रदेश में बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को मज़बूत रणनीति से काम करना होगा"

इस बात में कोई भी संदेह नहीं है कि पिछले कुछ महीनों में प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कॉंग्रेस ने उत्तर प्रदेश में BJP को घेरने के मामले में सपा और बसपा से बढ़त बना ली है। पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में कॉंग्रेस जनता के मुद्दों को उठाने के मामले में मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में नज़र आई है।

लेकिन इन सब बातों के बीच हमें उत्तर प्रदेश कॉंग्रेस और प्रियंका गांधी से कुछ सवाल करने की ज़रूरत है। महामारी के दौर में जनता की ज़रूरतें पूरी करने के मामले में भी कॉंग्रेस तमाम विपक्षी पार्टियों से आगे रही है लेकिन क्या जनता के मुद्दों को उठाकर 2022 उत्तर प्रदेश चुनाव के वक्त प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कॉंग्रेस भाजपा को टक्कर दे पाएगी?

सोशल मीडिया पर कॉंग्रेस इस समय काफी आगे दिखाई दे रही है, चाहे वह उत्तर प्रदेश में हो या फिर पूरे देश में, हर मामले को कॉंग्रेस और कॉंग्रेस के नेता सोशल मीडिया पर लगातार उठा रहे हैं। प्रियंका गांधी भी लगातार सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिये भाजपा से सवाल करती रहती हैं और जनता के साथ सोशल मीडिया पर खड़ी हुई दिखाई देती हैं।

उत्तर प्रदेश में कॉंग्रेस को सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ ज़मीन पर कार्य करने की ज़रूरत है 

लेकिन सवाल यह है कि जिस तरीके से कॉंग्रेस ने सोशल मीडिया पर बढ़त बनाई हुई है, क्या ज़मीनी स्तर पर भी कॉंग्रेस की ऐसी ही बढ़त कायम है या फिर इसके आस-पास भी है? या फिर कॉंग्रेस अभी भी ज़मीनी स्तर पर जनता से काफी दूर नज़र आ रही है? उत्तर प्रदेश में कॉंग्रेस पार्टी सत्ता से लंबे अरसे से दूर है। प्रियंका गांधी जब उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनी थीं, उस समय आम जनमानस को उनसे काफी उम्मीदें थी, लेकिन क्या वह उम्मीदें अभी भी कायम हैं?

उत्तर प्रदेश के कॉंग्रेस नेता हर मुद्दे पर अलग-अलग स्थानों पर सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते हुए दिखाई देते हैं लेकिन सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक कॉंग्रेस के पक्ष में वह माहौल नहीं बन पाता, जो बनना चाहिए। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि अगर किसी मुद्दे पर कॉंग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते हुए दिखाई देते हैं तो उसमें प्रियंका गांधी शामिल नहीं होती हैं।

अगर कॉंग्रेस को ज़मीनी स्तर पर सोशल मीडिया की तरह ही बढ़त बनानी है तो उसके लिए गांधी परिवार के सदस्यों को लगातार सड़कों पर संघर्ष करना होगा, हर मुद्दे पर प्रदर्शन में शामिल होना होगा। अगर प्रियंका अभी से भी ज़मीनी स्तर पर एक्टिव हो जाती हैं और लगातार सड़कों पर उतर कर सत्ता से संघर्ष करती हुई दिखाई देती हैं, तब कॉंग्रेस उत्तर प्रदेश में सम्मानजनक स्थिति तक पहुंचने की उम्मीद की कर सकती है। स्वयं के अकेले दम पर सरकार बनाने की उम्मीद अभी भी नहीं है।

प्रियंका गांधी की प्रदर्शनों में उपस्थिति कॉंग्रेस को मज़बूत करेगी 

महंगाई के खिलाफ, लचर कानून व्यवस्था के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कॉंग्रेस लगातार दूसरी विपक्षी पार्टियों को पीछे छोड़कर बढ़-चढ़कर विरोध प्रदर्शन करती हुई नज़र आ रही है लेकिन कॉंग्रेस का विरोध प्रदर्शन जनता के बीच नहीं पहुंच पा रहा है या तो यह कॉंग्रेस की अपनी टीम की गलती है या फिर गांधी परिवार का शामिल ना होना इन विरोध प्रदर्शनों को फीका कर रहा है।

क्या प्रियंका गांधी चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में सड़कों पर उतरेंगी? अगर चुनाव से ठीक पहले प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में एक्टिव होती हैं तो इसका कोई खास लाभ कॉंग्रेस को उत्तर प्रदेश में होने वाला नहीं है। प्रियंका गांधी को लगातार उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक्टिव रहना पड़ेगा और वह भी दिल्ली से नहीं उत्तर प्रदेश में रहकर तो क्या प्रियंका गांधी ऐसा करेंगी?

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