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“हां, पापा आप सही थे, मैंने बड़े सपने नहीं देखे लेकिन मैं कामयाब हूं”

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खुश लड़की की तस्वीर

हां, मैं कामयाब हूं पापा। आप सही थे कि मेरे ख्वाब बड़े नहीं हैं। आपने कहा था कि मेरी सोच ही छोटी है जो मैं 5000 रूपए के लिए नौकरी करने को तैयार हूं। मगर आपने सब सही नहीं कहा था।

आपने कहा था कि मैं अपनी ज़िन्दगी बर्बाद कर लूंगी। मुझे आपके बेटे की तरह बड़े ख्वाब देखने चाहिए लेकिन पापा आपका बेटा दस बार सोचेगा घर छोड़ने से पहले क्योंकि उसे अपने ख्वाब पूरे करने हैं और वो तभी पूरे होंगे जब आप उसे पैसे देते रहेंगे।

आपने कहा था कि मैं प्यार में अंधी होकर सब भूल गयी हूं और मैं हवा में सपने बुन रही हूं जो कभी पूरे नहीं होंगे। इन बातों को और मुझे घर छोड़े दो साल हो गए हैं। दो साल से मैं खुद को साबित करने की कोशिश में हूं। मैंने जॉब किया फिर जॉब छोड़कर पढ़ाई करने लगी।

सबने कहा पैसे कमा लो सब सही हो जाएगा, तो मैंने वो रास्ता भी चुना जिसे करने में भले दिल ना लगे, मगर महीने की सैलरी और सुख-सुविधाएं और नाम सब मिल जाता है। मैंने सोचा जब आपकी तरह सरकारी नौकरी करुंगी तो शायद मेरे लिए थोड़ा-सा भाव आपके मन में उभरेगा।

मैंने दिल दिमाग सब लगाया, मगर सफल नहीं हो पाई। मुझे एक बार को लगा, जो आपने कहा था कि किसी का बसा हुआ आशियां उजाड़ कर अपना आशियां नहीं बना पाओगी, यही बात सच है।

प्रतीकात्मक तस्वीर

मैंने फिर से खुद में कमियां ढूंढनी शुरू कर दी और मैं खुद से निराश हो गयी। लॉकडाउन में जब लोगों को अपना शौक पूरा करते देखा तो दिल में एक चुभन-सी हुई।

मुझे अपने वो दिन याद आए जब मैं एक लेखक बनना चाहती थी। मुझे याद आया कि कैसे मैं शाम में छत पर जाकर बैठ जाती थी और कहानियां बुनती थी। कभी-कभी रात में जब नींद नहीं आती थी, तब भी बैठकर अपने मन के भावों को पन्नों में उतारा करती थी।

मैंने इस पैसे की दौड़ में अपने शौक तक को पीछे छोड़ दिए जो करने के लिए घर छोड़ा था, उसी को पीछे छोड़ दिया। मगर जब अपनी कुछ लिखी हुई पुरानी कहानियां पढ़ीं तो एहसास हुआ कि मैंने क्या खोया है।

मैंने लिखना फिर से शुरू कर दिया

मैंने फिर से लिखना शुरू कर दिया। मैंने ऑनलाइन अपने आर्टिकल पब्लिश करने भी शुरू कर दिए, जो मैंने पहले भी शौकिया तौर पर किया था। मैंने फिर से कहानियों की उधेड़-बुन शुरू कर दी। मैंने अपने शौक फिर से पूरे करने शुरू कर दिए।

मैंने लिखना शौक के तौर पर शुरू किया था, मगर मुझे पता चला कि ये भी मेरे एक कमाई का साधन बन सकता है। हालांकि मुझे तो बचपन से यही बताया गया कि शौक को आप कमाई का साधन नहीं बना सकते। पैसे कमाने के लिए शौक को मारना पड़ता है।

मुझे याद है कैसे आप मुझे कहते थे कि काम ऐसा करो की शादी के बाद तुम्हारे पति को उससे ऐतराज़ ना हो। आप कहते थे कि अगर में डॉक्टर बनी तो कोई भी रिश्ता आ जाएगा और डॉक्टर बनने से मेरे पति के अभिमान को चोट भी नहीं पहुंचेगा।

मुझे नफरत थी इन बातों से कि आप एक मर्द के अभिमान को बढ़ावा देते हैं। मैं ऐसे मर्द से दूर रहना चाहती थी। शायद इसलिए मैं घर पर नहीं रुकना चाहती थी। इसलिए शायद मैंने उसे चुना जो अपनी मर्दानगी के ऊपर मेरे भावनाओं को रखता है।

मैंने बड़े सपने नहीं देखे, मगर मैं कामयाब हूं

मेरा यही सपना था कि मेरा एक परिवार हो जहां मेरी बातों की अहमियत हो। जहां मुझे इंसान समझा जाए और इंसानों जैसा व्यवहार किया जाए। जहां किसी भी फैसले को लेने से पहले मेरी भी सलाह ली जाए। ऐसा परिवार जहां तकरारें तो हों, मगर प्यार उससे कहीं ज़्यादा हो। जहां मुझे यह महसूस हो कि मैं ज़िंदा हूं।

ऐसा साथी हो जो पहले मेरा मित्र हो फिर मेरा पति हो। जो मेरा मान सम्मान सबसे ऊपर रखे, जो मुझे अंधेरे से खींच कर बहार ले आए। जिससे मैं लड़ने के बाद हंस सकूं। जो हाथ उठाने को अपनी मर्दानगी ना समझे। जो मुझे बराबरी का दर्ज़ा दे और यह बताए कि दुनिया में कोई ऐसा काम नहीं है, जो मैं नहीं कर पाऊंगी।

सबसे अहम बात मुझे किसी को खुश करने के लिए अपने सपनों को ना मारना पड़े और ना मुझ पर कोई पाबन्दी हो। मेरे पास सारी खुशियां हैं और मैंने पैसे की दौड़ छोड़कर अपने शौक को पूरा करना भी शुरू कर दिया है।

हां, पापा मैं कामयाब हूं क्योंकि मेरे सारे सपने पूरे हो रहे हैं। आप ईंट पत्थर के मकान को अपना आशियां कहते हैं, मगर मेरे लिए ये जो मेरी छोटी-सी दुनिया है, यही मेरा सब कुछ है। इस छोटी-सी दुनिया को बसाने का लिए मैंने आपका मकान नहीं उजाड़ा है। मैंने बस खुल के सांस लेने के लिए आपका पिंजरा तोड़ा है।

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