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“दैनिक भास्कर पर इनकम टैक्स का छापा, जन पत्रकारिता से खौफ में सरकार”

दैनिक भास्कर पर इनकम टैक्स का छापा, जन पत्रकारिता से खौफ में सरकार

गुरुवार की सुबह दैनिक भास्कर समूह पर आयकर विभाग ने छापा मारा है। आयकर विभाग ने दैनिक भास्कर समूह के कई कार्यालयों में छापा मारा है। दैनिक भास्कर समूह के भोपाल, नोएडा, जयपुर और अहमदाबाद स्थित कार्यालयों पर छापा पड़ा है। ना सिर्फ कार्यालयों पर बल्कि दैनिक भास्कर समूह के मालिकों और प्रचारकों के घर पर भी आयकर विभाग की टीम पहुंची है। न्यूज़ एजेंसी ANI के हवाले से मिली खबर के अनुसार दैनिक भास्कर समूह पर कर चोरी के मामले में छापा पड़ा है।

दैनिक भास्कर समूह पर छापे की इस खबर ने चारों तरफ हंगामा मचा दिया है। ट्विटर पर इसे लेकर बहस छिड़ गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि भले ही औपचारिक तौर पर इनकम टैक्स का छापा आयकर की चोरी का नाम लेकर छापा पड़ा हो, लेकिन यह मामला कुछ और ही है।

दैनिक भास्कर कोरोना महामारी के बाद से लगातार ज़मीनी रिपोर्टिंग कर रहा है। महामारी के दौरान जब सरकार मौत के आंकड़े छिपा रही थी, तब दैनिक भास्कर ने अपने कई पत्रकारों को हर ज़िले में जाकर मौत के आंकड़े जुटाने की ज़िम्मेदारी दी थी। दैनिक भास्कर के पत्रकार इस दौरान अलग-अलग ज़िलों में जाकर हर दिन कोरोना से मरने वाले लोगों का आंकड़ा जुटा रहे थे और जनता के समक्ष सरकार की हकीकत सामने ला रहे थे। हिंदी भाषा के अखबारों में दैनिक भास्कर इकलौता ऐसा अखबार था, जो कोरोना काल में बेहद आक्रामकता और सक्रियता के साथ लगातार सरकारी आंकड़ों की पोल पट्टी खोल रहा था।

जासूसी की खबर से नाराज सरकार

हाल ही में भारतीय पत्रकारों और विपक्षी नेताओं के फोन की जासूसी के मामले में भी दैनिक भास्कर ने इस मामले पर खबर छापा थी। दैनिक भास्कर ने अपने इस खबर में 2013 में गुजरात सरकार द्वारा किए गए जासूसी का मामला प्रकाशित किया था। 2013 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे।

तब भी ऐसी खबर सामने आई थी कि गुजरात सरकार ने कुछ लोगों के फोन की जासूसी कराई थी। दैनिक भास्कर ने बीते बुधवार को इस मामले को फिर से प्रकाशित किया था। हालांकि, बाद में दैनिक भास्कर ने अपने वेबसाइट से इस खबर को डिलीट कर दिया था। ऐसा बताया जा रहा है कि सरकार के दबाव में आकर दैनिक भास्कर को यह खबर डिलीट करनी पड़ी थी।

लेकिन, अब आयकर विभाग ने दैनिक भास्कर समूह के कार्यालयों पर दस्तक दे दी है। अब सवाल यह है कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार भारत में पत्रकारिता को रौंद देना चाहती है? क्या सरकार को सच्चाई छापने और आम जनमानस को सरकार का सच दिखाने वाले मीडिया संस्थानों से डर लगने लगा है? क्या इसी वजह से सरकार के इशारे पर दैनिक भास्कर समूह पर आयकर विभाग का छापा पड़ा है?

दैनिक भास्कर समूह पर पड़े छापे पर ट्विटर पर पत्रकारों की नाराजगी भी देखने को मिल रही है। ट्विटर पर #IStandWithDainikBhaskar ट्रेंड कर रहा है। बहुत से लोग इस सरकारी कार्रवाई की आलोचना कर रहे हैं। लोग दैनिक भास्कर के समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं। 

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