फंगल संक्रमण एक आम समस्या है, परन्तु अगर समय से इसका इलाज ना किया जाए तो यह एक गम्भीर रूप ले सकता है। फंगल संक्रमण (Fungus) एक आम प्रकार का त्वचा संबंधी संक्रमण होता है। मनुष्यों में फंगल संक्रमण तब होता है, जब कवक (Fungus) या फंगस शरीर के किसी क्षेत्र में आक्रमण करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली इनसे लड़ने में सक्षम नहीं होती है।
कोरोना संकट के बीच म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है। कोरोना के साथ ब्लैक फंगस (Covid 19 and Black Fungus) का संक्रमण लोगों के डर को और बढ़ा रहा है तो चलिए जानते हैं फंगल के बारे में।
फंगल इंफेक्शन क्या होता है?
कई प्रकार के फंगल रोगाणु (कवक) मिट्टी, भोजन, हमारी त्वचा पर और पर्यावरण के अन्य स्थानों पर हानिरहित स्थिति में रहते हैं। हालांकि, कुछ प्रकार के फंगल शरीर की सतह पर बढ़ और प्रजनन कर सकते हैं, जिससे त्वचा, नाखून, मुंह या योनि का संक्रमण हो सकता है। त्वचा के संक्रमण के लिए सबसे आम फंगल ट्यूना समूह है।
उदाहरण के लिए:
- एथलीट फुट (टिनिया पेडीस) (athlete’s foot (tinea pedis)) पैर की अंगुलियों और पैरों में होने वाला एक आम फंगल संक्रमण है।
- टिनिया संक्रमण से दाद (टिनिअ कॉरपॉरिसी) (ringworm (tinea corporis))
- स्कैल्प के दाद (टिनिया कैपिटिस) (ringworm of the scalp (tinea capitis)) भी उत्पन्न हो सकता है।
- इसके कारण अनेक प्रकार का कवकीय नाखून संक्रमण (fungal nail infections) भी हो सकता है।
- मुंह का सामान्य संक्रमण। (common fungal infection of the mouth)
- यह योनि में होने वाला एक आम फंगल संक्रमण है, जिसे थ्रस कहा जाता है।
- यह कैंडिडा के बहुत अधिक वृद्धि के कारण होता है, जो एक यीस्ट (फंगल का एक प्रकार) है।
- कैंडिडा की छोटी संख्या आमतौर पर त्वचा पर हानिरहित स्थिति में रहती है।
- कुछ स्थितियों में कैंडिडा बहुगुणित होकर संक्रमण उत्पन्न कर सकती है। (candida to multiply and cause infection) ।
- कैंडिडा कभी-कभी कुछ कवकीय नाखून संक्रमण का कारण भी हो सकती है।
फंगल (Fungus) संक्रमण तीनों दोषों के कारण होता है।
- लक्षणों के आधार पर दोषों की पुष्टि भिन्न-भिन्न हो सकती है।
- खुजली होने पर कफ एवं पित्त असंतुलित होना, लाल होने पर कफ एवं पित्त का असंतुलन।
- त्वचा पर सफेद चकत्ते होना वात एवं कफ के असंतुलन होने के कारण होता है।
- फंगल संक्रमण भले ही त्वचा पर पड़ने वाले लाल चकत्तों जैसा होता है, परन्तु इसका प्रभाव काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
- यह रोग सिर्फ त्वचा तक ही सीमित नहीं होता है बल्कि यह ऊतक, हड्डियों और शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
- फंगल इंफेक्शन नवजात से वृद्धावस्था तक किसी भी अवस्था में हो सकता है।
फंगल इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं?
इसके लक्षण निम्नलिखित हैं। जैसे-
- प्रभावित क्षेत्र लाल होना या छाले पड़ना।
- त्वचा में पपड़ी निकलना।
- संक्रमित क्षेत्र में खुजली या जलन होना।
- योनि के आसपास खुजली और सूजन।
- सफेद दाग आना और अत्यधिक खुजली होना।
- पेशाब करने या संभोग करने के दौरान जलन या दर्द होना।
- त्वचा रूखी हो जाना तथा दरारें पड़ जाना।
फंगल इंफेक्शन से बचने के उपाय
फंगल इंफेक्शन के समस्या से बचने के लिए सबसे पहले हमें अपनी जीवनशैली और आहार में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।
उपाय-
- मानसून में फंगल संक्रमण अधिक होता है।
- त्वचा को सूखा और स्वच्छ रखें।
- सूती कपड़े पहनें।
- बरसात में बालों को गीला ना रहने दें।
- पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं ताकि त्वचा सूखी ना रहे।
- फंगल संक्रमण की नवीन अवस्था में एलोपैथिक उपचार बेहतर परिणाम देते हैं, परन्तु अगर एलोपैथिक उपचार से संक्रमण ठीक ना हो तो आयुर्वेदिक उपचार ज़्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
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