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आइए हम इस दुनिया को रहने लायक एक खूबसूरत जगह बनाएं: अभिषेक श्रीवास्तव

आइए हम इस दुनिया को रहने लायक एक खूबसूरत जगह बनाएं: अभिषेक श्रीवास्तव

प्रश्न 1. कृपया आप अपना संक्षिप्त परिचय दें?

उत्तर- मेरा नाम अभिषेक श्रीवास्तव है, मैं एक लेखक, प्रेरक वक्ता, छात्र-प्रशिक्षक और सामग्री लेखक हूं। मैं लोगों को उनके सपनों से भाग्य तक पहुंचने में उनकी सहायता करता हूं, उनकी मदद कर उन्हें सशक्त बनाता हूं और उन्हें उनके लक्ष्य तक ले जाता हूं।

प्रश्न 2 . बिहार जैसे प्रदेश में जहां लोग सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं, क्या वजह थी, जो आप लेखक और एक प्रेरक वक्ता बने?

उत्तर- जब मैं गंभीर रूप से अवसाद और आत्मघाती विचारों से पीड़ित था, उसी समय मैंने प्रेरक वक्ता बनने का फैसला किया और इस चिरकारी स्थिति से उबरने में और खुद को पुनः स्थापित करने में, मैंने सबसे पहले खुद की मदद की। मेरी ऐसी दर्दनाक त्रासदी और भयावह परिस्थितियों ने मुझे लोगों की मदद करने और उनके जीवन को बदलने के लिए और अधिक प्रेरित किया। वास्तव में एक परिवर्तनकारी वक्ता बनने का विचार मेरे दिमाग में उसी समय आया, जब मुझे स्वयं को अपने जीवन की चुनौतियों और आपदाओं का सामना करना पड़ा। उसके बाद मैंने ठान लिया था कि मैं जितने लोगों की मदद कर सकता हूं, करूंगा।

प्रश्न 3 . आपके जीवन में क्या चुनौतियां थीं और आपने उन पर कैसे विजय पाई?

उत्तर- मेरे संघर्ष की सूची बहुत लम्बी है। दरअसल, हर किसी की एक दर्दनाक कहानी होती है। इसीलिए मैं कोई अपवाद नहीं हूं। जीवन के संघर्षों और चुनौतियों को ही तो जीवन कहते हैं। इसकी दुर्बलताओं को हराकर और सभी चुनौतियों से पार पाकर हम एक सच्चे इंसान बनते हैं। सच कहूं तो, मेरे जीवन के सबसे बड़े संघर्षों में से एक यह था कि जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ रहा था, तब मेरी पहली मोहब्बत का इति श्री हो गया था। इस घटना ने मुझे बुरी तरह से झकझोर दिया। मुझे अपने निजी जीवन और छात्र जीवन के बीच संतुलन बनाने में बहुत परेशानी हुई।

मेरी आंतरिक शक्ति ने वास्तव में इससे उबरने में मेरी बहुत मदद की। यह सब कुछ यहीं नहीं रुका। मैं अपने जीवन में एक के बाद एक दर्दनाक अनुभवों से गुज़रता रहा, लेकिन मैं चट्टान की तरह खड़ा रहा और सभी बाधाओं को दूर करता गया। मानसिक दृढ़ता, शारीरिक सहनशक्ति और धैर्य ही है, जो वास्तव में आपके जीवन की किसी भी परिस्थिति को बदल सकता है।

Wisdom Of Excellence के लेखक अभिषेक श्रीवास्तव

प्रश्न 4 . आप अपनी कुछ उपलब्धियों के बारे में बताएं?

उत्तर- मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि मैं बहुत बड़ा या बहुत महान व्यक्ति नहीं हूं। मैं बस इतना करने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं लोगों को उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास करा सकूं और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाकर इस समाज में अपना भी योगदान दूं, जहां तक ​​मेरी उपलब्धियों का सवाल है तो मुझे लगता है कि इसे दर्शकों को तय करने देना चाहिए।

हालांकि, यदि आप मुझसे अपनी उपलब्धियों के बारे में बात करने के लिए कहते हैं तो मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैंने बांग्लादेश के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उस समय मुझे लगभग 1500 लोग लाइव देख रहे थे और मिस्र, नेपाल, फिलीपींस, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, बांग्लादेश और भारत से 1200 टिप्पणियां की गईं थीं। दूसरी बात बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के सामने मुझे सरदार समाज ने सम्मानित किया और मैंने उन्हें अपनी किताब भी उपहार स्वरूप भेंट की और उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, उन्होंने मुझे अपनी किताब wisdom of excellence लिखने के लिए बहुत बधाईयां दीं।

प्रश्न 5 . अपनी किताब के बारे में कुछ बताएं?

उत्तर- मेरी किताब मूल रूप से वैज्ञानिक प्रेरणा के बारे में है। यह किताब उन सिद्धान्तों के बारे में बात करती है, जो जीवन को हर क्षण में उसे उत्तम बनाने में सहायक हों। यह हमें सिखाती है कि कैसे हम अपने जीवन की किसी विपत्ति को लाभ में बदल सकते हैं? कैसे असफलता से सफलता की ओर जा सकते है? कैसे एक ठोकर मारने योग्य पत्थर को अपनी सफलता की सीढ़ी बना सकते है?

मानसिकता, प्रेरणा, असफलता से निपटना, अपने भय पर विजय प्राप्त करना, जुनून, प्रतिस्पर्धा, नेतृत्व आदि जैसे अध्याय एक व्यक्ति को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं। अगर मेरी किताब के सिद्धांतों को अमल में लाया जाए तो आपको इसके जबरदस्त परिणाम मिल सकते हैं। इसके अलावा मैं एजुकेशन नाउ, कॉरपोरेट इनसाइट और गुरुकुल पब्लिशिंग नामक पत्रिकाओं के लिए एक स्तंभकार / सामग्री लेखक भी हूं।

प्रश्न 6 . लोगों के नाम आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

उत्तर- सभी के लिए मेरा यही संदेश है कि आइए हम इस दुनिया को रहने लायक एक खूबसूरत जगह बनाएं, जहां हमें हमारे चरित्र से पहचाना जाए। जहां सामाजिक न्याय हो, लैंगिक समानता हो, महिला सशक्तिकरण हो और आर्थिक संतुलन हर राष्ट्र की आत्मा और हृदय में होना ही चाहिए।

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