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ज़िन्दगी की ज़िद्द थी मुझे झुकाने की, मेरी ज़िद्द थी हर बार सिर उठाने की: एनी शिवा

"ज़िन्दगी की जिद थी मुझे झुकाने की, मेरी जिद थी हर बार सिर उठाने की : एनी शिवा"

एनी शिवा, आज के समय में किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। अपने साहस, कठिन परिश्रम और दृढ निश्चय के दम पर ऐनी ने आज वह कर दिखाया है, जो सैकड़ों-हज़ारों लोगों का सपना होता है। कभी दर-दर की ठोकरें खाने को मज़बूर ऐनी वर्तमान में केरल के वरकला पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत हैं। उनके जीवन की संघर्ष यात्रा उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणादायी स्रोत है, जिनकी आंखों में कुछ सपने पलते हैं और वे उन सपनों को हकीकत में तब्दील करने की ख्वाहिश रखते हैं। 

14 वर्ष पूर्व ऐनी को जब प्यार हुआ था, तो आम लड़कियों की तरह उन्होंने भी कई सारे रंगीन सपने बुने थे, लेकिन इन सपनों पर वज्रपात तब हुआ, जब ऐनी ने अपने परिवार की मर्जी के विरुद्ध जाकर अपने प्रेमी को पति के रूप में स्वीकार कर लिया। 

उस वक्त ऐनी मात्र 18 वर्ष की थीं और कांजीरमकुलम के केएनएम कॉलज में समाजशास्त्र विषय से फर्स्ट इयर डिग्री कोर्स कर रही थीं। उनके पिता की इच्छा थी कि ऐनी अच्छे से अपनी पढ़ाई पूरी करे और सिविल सेवा ज्वॉइन करे लेकिन ऐनी के सिर पर तो उस वक्त प्यार का भूत सवार था, जब उनके परिवार वाले उनके शादी करने के इस फैसले से सहमत नहीं हुए तो उन्होंने अपने प्रेमी के साथ भाग कर एक मंदिर में शादी कर ली।

 शादी के दो वर्षों बाद बिखर गए सारे सपने

ऐनी ने जिस उम्मीद से शादी का लाल जोड़ा पहना था, उनकी वह उम्मीद और खुशी ज़्यादा लंबे समय तक नहीं टिक पाई। शादी के दो वर्ष बाद ही उनके पति ने उन्हें घर से बाहर निकाल कर, उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने को मज़बूर कर दिया। उस घटना को याद करते हुए ऐनी बताती हैं कि उस वक्त मैं दीन-दुनिया से बिल्कुल अंजान थी और मुझे बाहरी दुनिया का कोई अनुभव भी नहीं था। 

 मेरी गोद में मेरा आठ माह का बेटा भी था। मैं ऐसे हालातों में आश्रय मांगने, जब अपने मायके गई तो उन लोगों ने भी मेरी मदद करने से इंकार कर दिया। मैंने कई रातें सड़कों के किनारे या पार्कों की बेंचों पर गुज़ारी हैं।आखिरकार ऐसे हालातों में मेरी दादी माँ, हमें अपने साथ रखने के लिए राजी हो गईं। 

छूट चुकी पढ़ाई को फिर से किया शुरू

ऐनी जब कॉलेज में थर्ड इयर की पढ़ाई कर रही थीं, उसी वक्त उनका बेटा हो गया था। उसकी देखभाल में बिजी हो जाने की वजह से, उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी, लेकिन जब उन्हें अपनी दादी माँ के पास रहने का एक स्थाई ठिकाना मिल गया तो उन्होंने सबसे पहले अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की और फिर डिस्टेंस लर्निंग से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। 

 दिन में वह अपनी तथा अपने बेटे की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए घर-घर जाकर करी पाउडर, साबुन आदि बेचा करती थी, बच्चों के स्कूल के प्रोजेक्ट वर्क लिखा करतीं और अलग-अलग तरह के ऑनलाइन जॉब किया करती थीं और फिर वापस रात में आकर अपनी पढ़ाई किया करती थीं।

मेरे लिए वह बहुत मुश्किलों का दौर था। ऐसा लगता था कि जैसे हर दिन ज़िन्दगी एक नया इम्तिहान ले रही है लेकिन मैंने तय कर लिया था कि मुझे ज़िन्दगी के हर इम्तिहान में पास होना है। ऐसा कहते हुए ऐनी के चेहरे पर आत्मविश्वास की झलक दिखाई देती है। इसी की बदौलत आज वह वह केरल सरकार में बतौर सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। 

हर कदम पर समाज ने खड़े किए सवाल

 ऐनी कहती हैं कि जब मेरे पति ने मुझे घर से बाहर निकाल दिया था, तो मेरे सामने सबसे पहली चुनौती एक आसरा पाने की थी। जब वह समस्या हल हुई तो समाज ने सैकड़ों अन्य सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। लोगों को लगता था कि अकेली हूं, मतलब आसानी से एवलेबल हूं। 

इस वजह से अपने व्यक्तिगत जीवन से लेकर कार्यस्थल तक मुझे हर रोज़ ना जाने ऐसी कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, मैंने इन सब चीज़ों पर कभी भी विशेष ध्यान नहीं दिया। कुछ सालों बाद जब ऐनी बेहतर अवसर की तलाश में कांजीरमकुलम से वरकला शिफ्ट हुई तो वहां उन्हें अपनी आजीविका के लिए शुरुआत में नींबू-पानी तथा आइसक्रीम भी बेचना पड़ा।

ऐनी कहती हैं कि मैंने डोर-टू-डोर मार्केटिंग करने के साथ ही इंश्योरेंस एजेंट का भी काम किया। यही नहीं त्यौहारों के समय, उन्होंने वेंडर्स के साथ मिलकर आईसक्रीम और लाइम जूस भी बेचा। ऐनी आगे कहती हैं कि मुझे इस बात की जरा भी शर्मिंदगी नहीं है बल्कि फक्र है कि मैंने कभी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। मैंने अपनी ज़िन्दगी में जो भी हासिल किया है, वह अपनी मेहनत से किया है। 

 बाल काटकर बेटे के साथ भाई बन कर रहीं 

एक तो समाज से परित्यक्त महिला और उस पर से सिंगल मदर ऐनी के लिए यह सब कुछ करना आसान नहीं था। राह चलते हर ओर से उन्हें बहुत-सी नज़रें घूरती रहती थीं। लोग उनसे तरह-तरह के सवाल-जबाव करते थे। इसी वजह से ऐनी ने सबसे पहले अपनी हेयर स्टाइल को चेंज करने का निर्णय लिया। उन्होंने मर्दों की तरह दिखने के लिए बॉयकट करवा लिया।
ऐनी चाहती थीं कि आस-पास के लोग उसे शिवासूर्या का बड़ा भाई या पिता समझें। वह कहती हैं कि इस हेयर कट ने मुझे समाज की घूरती नज़रों से बचाने के साथ ही मुझे बेफिक्र होकर आत्मविश्वास के साथ रहने में मदद की। अब मैं इस हेयरकट के साथ कहीं भी रह और सो सकती हूं। 

वर्ष 2014 में खुले किस्मत के दरवाज़े

वरकला में रहने के दौरान ऐनी के एक दूर के रिश्तेदार ने उन्हें केरल पुलिस भर्ती परीक्षा हेतु आवेदन करने का सुझाव दिया और परीक्षा की तैयारी के लिए एनी की आर्थिक सहायता भी की। ऐनी को लगा जैसे ज़िन्दगी उन्हें फिर एक बार और मौका दे रही है। वह बिना समय गंवाए अपना काम छोड़ कर परीक्षा की तैयारी में जुट गईं और उन्होंने इस दौरान रोज़ करीब 20 घंटे पढ़ाई की। 
इस परीक्षा के लिए एक महीने का क्रैश कोर्स भी किया और अंतत: वर्ष 2014 में इस परीक्षा में बैठीं। वर्ष 2016 में उन्हें महिला पुलिस कांस्टेबल के तौर पर बहाली मिली फिर वर्ष 2019 में वह पुलिस सब-इंस्पेक्टर पद के लिए चुनी गईं। गत सप्ताह 25 जून, 2021 को ऐनी को बाकायदा उनका नियुक्ति पत्र भी मिल गया।
10 साल पहले, मैं वर्कला शिवगिरी आने वाले लोगों को नींबू पानी और आइसक्रीम बेचा करती थी। आज मैं उसी जगह एक पुलिस उपनिरीक्षक के रूप लौटी हूं। मैं अपने अतीत से इससे अच्छा बदला कैसे ले सकती हूं? (एनी शिवा, फेसबुक पोस्ट से साभार)
जीवन की मुश्किलों से हार मान कर, जो लोग आत्महत्या जैसा कायरतापूर्ण कदम उठाने के बारे में सोचते हैं, उनके लिए ऐनी का जीवन संघर्ष एक प्रेरणादायी स्रोत का सशक्त उदाहरण पेश करता है। एनी कहती हैं कि अपनी ज़िन्दगी की परिस्थितियों और हालातों पर रोना काम नहीं आता बस आपको सही समय पर एक सही फैसला लेना होता है। हम तब तक नहीं हारते हैं जब तक कि हम खुद हार ना मान लें। 
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