एक लड़की होने के नाते मुझे शुरू से ही यह बताया गया कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? एक लड़की के रूप में, मैंने उस हर बंधन को महसूस किया जो मुझे आगे नहीं बढ़ने देना चाहता था। मैं स्वभाव से खुद को जिद्दी और हार ना मानने वाली महिला कहूंगी, जिसने हमेशा खुद के हक के लिए आवाज़ उठाई है। मैंने एक बेटी के रूप में समाज के हर उस नकारात्मक पहलू को देखा और समझा है कि हमारा समाज औरतों के लिए ऐसा क्यों है?
इसलिए मैंने खुद से ही इस प्रश्न का जवाब ढूंढना शुरू कर दिया और जिसके कारण मैंने हिंदी भाषा में दिव्या दैनिका की शुरुआत की, ताकि भारत के हर कोने में बैठी उन महिलाओं तक पहुंच सकूं, जो समाज के नकारात्मक पहलुओं से जूझ रही हैं। हां, इसकी शुरुआत करना भी उतना आसान कार्य नहीं था। अक्सर मुझ से बहुत लोगों ने कहा कि तुम अपना समय बर्बाद मत करो, तुम अकेली समाज के सामाजिक नियमों को बदल नहीं सकती फिर भी आज मेरा मंच और ऑनलाइन व्यवसाय हज़ारों शहरी और ग्रामीण महिलाओं को उनकी समस्याओं से सम्बन्धित गुणवत्तापूर्ण जानकारी और समाधानों को उन तक आसानी से पहुंचाने में मदद कर रहा है।
जब से कोविड-19 ने दुनिया को अपनी गिरफ्त में लिया है तब से हमारे देश की पूरी अर्थव्यवस्था हिल गई है। हालांकि, कुछ ही ऐसे व्यवसाय थे, जो सही ढंग से चल रहे थे। इन परिस्थितियों में मैंने हिंदी भाषा में ऑनलाइन बिज़नेस स्टार्ट किया, जो काफी जोखिम से भरा हुआ था, फिर भी मैंने अपनी हिम्मत जुटाई और खुद का ऑनलाइन मंच दिव्या दैनिका शुरू किया।
मैं एक ऐसी महिला हूं, जो अपनी जड़ों, अपनी भाषा और अपनी संस्कृति की गहराई से जुड़ी हुई है और हमेशा से मेरा यह मानना रहा है कि नई चीज़ें सीखने में, कोई भाषा या स्थान कभी भी बाधा नहीं बनना चाहिए। मेरा उद्देश्य लोगों को विशेष रूप से महिलाओं को उनकी समस्याओं को सुनकर उन्हें उचित समाधान देना और उनके साथ नए रास्ते साझा कर, उन्हें सशक्त बनाना है।
दिव्या दैनिका लाखों महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उनके खुश रहने की इच्छा को आगे बढ़ाने के मिशन पर है, मुझे पता है कि मेरे आगे एक लंबी सड़क है लेकिन मेरी यात्रा शुरू हो गई है। एक महिला के रूप में जिसने पितृसत्ता के सबसे बुरे रूपों से लड़ते हुए वर्षों तक कड़ी मेहनत की है। मैंने महिलाओं से सम्बन्धित ज़रूरी सूचनाओं को प्रौद्योगिकी के माध्यम से अधिक-से-अधिक महिलाओं को सशक्त बनाने का अपना पक्का इरादा बना लिया है।
इसलिए मैं अपने मंच दिव्या दैनिका पर, महिला केंद्रित मुद्दों से संबंधित ऑडियो-वीडियो तैयार करूंगी और ऑनलाइन सत्र और परामर्श भी दिया करूंगी, जिससे हर उस महिला को आवाज़ मिले, जो समाज में चुपचाप अत्याचार को सह रही है। इसके साथ-ही-साथ मैं पिछले 6 महीने से गूगल और टाटा ट्रस्ट के इंटरनेट साथी त्वरक कार्यक्रम का हिस्सा भी हूं, जिसमें मैं साथी फैसिलिटेटर के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों की महिला एंटरप्रेन्योर को उनके व्यवसाय के विकास में इस प्रोग्राम के ज़रिये मदद कर रही हूं, जिसकी वजह से मुझे देश के विभिन्न राज्यों की महिलाओं के साथ जुड़ने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ।
हर महिला के अंदर समाज के घिनौनेपन से लड़ने की शक्ति है बस मैं उसी शक्ति का अहसास उन्हें करवाना चाहती हूं, लड़ाई चाहे समाज से हो या खुद के परिवार से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना और उन्हें इस्तेमाल करना कोई बुराई की बात नहीं है। दिव्या दैनिका ऐसी सभी आवाज़ों के लिए एक मंच है, जो सशक्त होना चाहती हैं।