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“देश की राजनीति और आम जनता के साथ न्याय”

“देश की राजनीति और आम जनता के साथ न्याय”

देश की राजनीति और न्याय प्रणाली एक बदनुमा दाग जैसी हो गई है और दाग कहीं भी लगा हो अच्छा नहीं लगता है, उसे साफ करना बहुत ज़रूरी होता है इसलिए सरकारों को देश में कई तरह के सुधार करना बहुत ज़रूरी है। वर्तमान में हमारे देश में सामाजिक-राजनैतिक-धार्मिक-आर्थिक और न्यायिक सुधार की हमें बहुत ज़रूरत है अगर सभी कल्याणकारी योजनाओं को खत्म कर के सारा का सारा पैसा सीधे जनता के बैंक खातों मे डाल दिया जाए तो जनता अपना विकास खुद ही कर लेगी।

देश में कई लोग और आयोग ऐसे हैं जिनको मुफ्त का वेतन मिलता है। उनको पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिए ताकि देश की सकल और घरेलू आय तथा प्राकृतिक संसाधनों में हर नागरिक की समान भागीदारी हो।

एक जैसा कानून, समान शिक्षा और समान वेतन व्यवस्था पूरे भारत देश में लागू होनी चाहिए और सभी के पास मकान, ज़मीन और रोज़गार होना चाहिए, जिससे देश के हर नागरिक से अलग-अलग टैक्स वसूलने की बजाय सभी पर एक ही प्रकार का टैक्स लागू होना चाहिए।

देश के बड़े-बड़े मंत्रियों को सरकार, जो वेतन देती है उनको भी एक मज़दूर के बराबर ही वेतन मिलना चाहिए, क्योंकि वो लोग भी देश और देश की जनता के लिए ही काम करते हैं और जिन नेताओं, नौकरशाहों और जजों का कम मज़दूरी में गुज़ारा नहीं होता है उन्हें भी अपनी नैतिकता के आधार पर अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए, जिससे देश के विकास में बढ़ोतरी हो सके।

देश में प्रतिभाशाली लोगों की कमी नहीं है। एक कम पढ़ा-लिखा आदमी भी हवाईजहाज बना सकता है, इसमें कोई दोराय नहीं होनी चाहिए। आज़ादी के बाद से ही सरकार शिक्षा के नाम पर केवल शिक्षा माफियों को ही बढ़ावा दे रही है। शिक्षा और रोज़गार में सरकार अब तक कोई फर्क तय नहीं कर पाई है। विद्यार्थियों की अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने खर्चों को वहन करने के लिए भी कमाई भी होनी चाहिए, ताकि पढाई करने के साथ उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में कोई कमज़ोरी या परेशानी महसूस ना हो सके। अगर अच्छे से पढ़-लिख कर भी कोई व्यक्ति बेरोजगार रह जाए तो इसके लिए सरकार को उस व्यक्ति की ज़िम्मेदारी उठाने के बारे में सोचना चाहिए।

देश की अदालतों में कई सालों से अनेक मामले लंबित पड़े हुए हैं। हमें देश की अदालतों में जजों की संख्या बढ़ाने की ज़रूरत है, लेकिन यह काम भी एक प्रक्रिया के तहत होता है। हमें उस प्रक्रिया को ठीक करने की सख्त ज़रूरत है, जिससे देश के हर नागरिक को ज़ल्द-से-ज़ल्द और ठीक समय पर न्याय मिल सके।

हर विधानसभा या क्षेत्र में जनता की एक अदालत होनी चाहिए और न्याय में जनता की भागीदारी होनी चाहिए। देश की अदालतों में अंग्रेज़ी भाषा का इस्तेमाल कम-से-कम होना चाहिए, ताकि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों को उस वाद से सम्बन्धित तथ्यों एवं न्यायालय के निर्णय को सुनने-समझने में आसानी हो सके और जो अधिवक्ता आम जनता से बहुत पैसा वसूल करते हैं इससे उन पर लगाम लगाई जा सके और वो आम जनता को बेवकूफ ना बना सकें।

अगर किसी राजनीतिक पार्टी पर टिकट बेचने का आरोप लगे और वो उस आरोप में दोषी पाई जाए तो उस राजनैतिक पार्टी की मान्यता हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त होनी चाहिएऔर  घोटालेबाज नेताओं की सम्पूर्ण संपत्ति जब्त होनी चाहिए।

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