जनसंख्या नियंत्रण कानून पर सभी लोग बड़े बढ़-चढ़ कर अपनी खुशी जाहिर कर रहे हैं और वो खुशी इस बात की सबसे ज़्यादा है कि योगी आदित्यनाथ, ये कानून मुसलमानों के लिए लाए हैं लेकिन कहते हैं ना अहंकारी आदमी को सही और गलत कुछ नहीं दिखता, लेकिन सबसे पहले इसकी गाज हिन्दू महिलाओं पर ही गिरेगी। इस कानून की चपेट में सबसे ज़्यादा हिन्दू, दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग आएंगे।
इस बिल से समाज में बढ़ेंगी भ्रूण हत्या
हमारे देश भारत में आज तक लड़की और लड़के के बीच का भेद तक नहीं मिट पाया है और आपको क्या लगता है कि इस कानून से भ्रूण हत्याएं नहीं बढ़ेंगी?
गाँव के इलाकों में जाकर देखिए और इस से सम्बन्धित रिपोर्ट को पढ़िए कि आज भी कितनी महिलाओं के गर्भ में लड़कियों की हत्या कर दी जाती है। लड़के के लालच में लोग बच्चे पैदा करते जाते हैं और जब लड़का नहीं होता है तो महिला को डायन, वंशनाशक आदि बोलकर मार दिया जाता है।
आपको क्या लगता है कि दो बच्चे और सरकारी सुविधा पाने कि लिए कहां तक पुरुषों की मानसिकता जाएगी? इसका अंदाज़ा कुछ दिनों में आपको खुद महसूस हो जाएगा।
महिलाओं की गुलामी और तलाक
हिन्दू कोड बिल में एक ही शादी को मान्यता है और इस वजह से पुरुष तलाक देकर तब दूसरी शादी कर पाता है लेकिन उससे पहले उसको छोड़ी हुई अपनी पत्नी और उसके बच्चों को भरण-पोषण के लिए एक उचित धनराशि देनी पड़ती है। अब मैं, आपके सामने एक स्थिति रख रहा हूं-
मान लीजिए कि एक महिला से दो बेटी पैदा हुईं और अब उसके पति और उसके परिवार को तीसरे बच्चे की चाह में लड़के की जगह अगर फिर से लड़की पैदा हो जाए तो फिर क्या होगा? अब या तो वो और ससुराल पक्ष उस लड़की को गुलामी कि लिए रखेगा या उसका पति उसे तलाक दे देगा।
अब अगर उसका पति तलाक करेगा तो उसको अपनी पत्नी और अपने तीन बच्चों के भरण-पोषण का खर्चा देना पड़ेगा, लेकिन अब वह अपने वंश को बचाने के लिए, उस महिला को राजी करेगा कि अब वह दूसरी शादी करना चाहता है जिससे उसे और उसके परिवार को लड़का मिल सके और उसका वंश आगे बढ़ सके।
अब मान लो कि उस पुरुष ने दूसरी शादी की और उससे उसे लड़का हुआ तो अब इससे उसकी पूर्व पत्नी के हिस्से में केवल गुलामी ही आई। अब जिस महिला ने तीन बेटियों को जन्म दिया था, अब उसका इस्तेमाल सिर्फ सेक्स के लिए किया जाएगा और वो समाज में परोसी जाएगी। मैं यह विश्वास के साथ कह सकता हूं कि कुछ दिनों में ऐसी रिपोर्टस आने लगेंगी।
यह बिल तो एक बहाना है, लोगों की इस बिल के पीछे की असल मानसिकता नहीं दिख रही है कि यह बिल किसी विशेष समुदाय के मानवाधिकारों को कमज़ोर करने के लिए लाया गया है।