चाहे आप ट्रेन में सफर कर रहे हों या एयरपोर्ट पर प्लेन का इंतज़ार कर रहे हों, सड़क हो या बस स्टॉप, मंदिर हो या मॉल, अस्पताल हो या कोई कार्यक्रम, एक चीज़ जो हमें हर तरफ दिखाई देती है, वह है बढ़ती हुई भीड़। यह एक साफ संकेत है हमारी बढ़ती हुई आबादी का।
2011 में हुई जनगणना के अनुसार, हमारे देश भारत की आबादी 1,210,193,422 थी। चीन के बाद हम दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 तक हम चीन को भी पछाड़ देंगे। हालांकि, भारत सरकार द्वारा चलाई गई जनसंख्या नीतियों, परिवार नियोजन और कल्याणकारी स्कीमों से प्रजनन दर में कुछ गिरावट आई है लेकिन इन सब के बावजूद भी जनसंख्या साल 2050 से पहले स्थिर होना नामुमकिन सा है।
जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण
भारत में जनसंख्या वृद्धि के जो दो महत्वपूर्ण कारण साफ तौर पर हमें दिखाई देते हैं, एक जन्म दर का मृत्यु दर से ज़्यादा होना और प्रजनन दर का अभी भी आवश्यकता से अधिक होना। सरकार मृत्यु दर को तो कम करने में काफी हद तक कामयाब हो सकी है, पर यही बात जन्म दर के संबंध में नहीं कही जा सकती है।
बढ़ती जनसंख्या का सीधा संबंध देश में मौजूद कुछ सामाजिक मुद्दों से भी है। बाल विवाह या ज़ल्दी शादी हो जाने इसमें सबसे पहले आता है। देश में शादी की उम्र 18 वर्ष होने के बावजूद आज भी कई इलाकों में लड़का-लड़की की शादी ज़ल्दी करा दी जाती है। इसका सीधा संबंध हमारी रूढ़िवादी सोच से भी है, जिसमें विवाह को एक पवित्र दायित्व माना जाता है और जिसे पूरा करना अति-आवश्यक कार्य समझा जाता है।
देश में बढ़ती अशिक्षा और गरीबी भी जनसंख्या वृद्धि में अपनी महती भूमिका निभाते हैं। आज भी लोग यह मानते हैं कि उनके जितने अधिक बच्चे होंगे, उतनी ज़्यादा कमाई घर में आएगी और बच्चे बुढ़ापे में उनका ख्याल भी रखेंगे। बच्चों के द्वारा बड़े होने पर अपने बूढ़े माँ-बाप का ख्याल रखने वाली बात की सच्चाई तो हमें वृद्धाश्रमों में आसानी से दिखाई दे जाती है।
जनसंख्या वृद्धि का एक बहुत बड़ा कारण समाज एवं हमारी दकियानूसी सोच भी है, जहां बेटों को बेटियों से ऊपर रखा जाता है। एक कारण जिस पर अक्सर बात नहीं की जाती है, वह है अवैध घुसपैठ। बांग्लादेश और नेपाल से लगातार अवैध रूप से आ रही आबादी भी जनसंख्या विस्फोट में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बढ़ती हुई बरोजगारी एक बड़े खतरे की आहट
जनसंख्या वृद्धि से भारत के सामने अनेकों समस्याएं खड़ी होती जा रही हैं। एक ओर, जहां बढ़ती हुए बेलगाम बेरोजगारी और बेकार बैठे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है।
देश में मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल भी आवश्यकता से अधिक हो रहा है, जिस पर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद अपनी गहन चिंता कई बार जता चुके हैं। देश में असामान्य तौर से आय के बंटवारे पर चल रही बहस का भी सीधा रिश्ता बढ़ती जनसंख्या से ही है।
सरकार और नीति निर्माताओं को कड़े और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, जिन कानूनों को पहले ही बनाया जा चुका है, उनका पालन कड़ाई से हो हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा। शिक्षा का विस्तार, परिवार नियोजन के तरीकों के बारे में जागरूकता, कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों का मुफ्त वितरण, महिला सशक्तिकरण पर जोर और गरीबों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं जैसे कदम बढ़ती आबादी को रोकने में भूमिका निभा सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जन-जागरूकता और सख्त कानूनों से बढ़ती आबादी को रोका जा सकता है।