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“देश में लगातार कमज़ोर और विलुप्त होता विपक्ष”

देश में लगातार कमज़ोर और विलुप्त होता विपक्ष

देश मे विपक्ष आज बहुत ही कमज़ोर स्थिति में है। देश का सबसे पुराना राजनीतिक दल और आज़ादी के बाद देश में सबसे ज़्यादा सत्ता पर का काबिज रहने वाली भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस आज अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। देश मे जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर देश का विपक्ष लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता पक्ष का विरोध करने में पूरी तरह असफल रहा है। 

कुछ ही वर्ष पहले की बात है कि देश मे पेट्रोल या डीजल की कीमतों में मात्र 1 रुपये की वृद्धि हो जाने से देश का विपक्ष एकजुट हो कर केंद्र सरकार के विरोध में देश के हर राज्य में विरोध प्रदर्शन और भारत बंद का ऐलान कर देता था। किसी भी लोकतंत्र की मज़बूती का पैमाना, वहां के मज़बूत या कमज़ोर विपक्ष से लगाया जा सकता है।

देश मे 90 के दशक के बाद राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है, पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप की सरकार से मनमोहन सिंह की सरकार को बनवाने में क्षेत्रीय दलों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 

आज के संदर्भ में क्षेत्रीय दलों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण दिखाई पड़ती है, जब कॉंग्रेस पार्टी आज के समय में अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। देश के कुछ महत्वपूर्ण विपक्षी क्षेत्रीय दलों ने अपनी भूमिका को एक राज्य से दूसरे राज्यों में विस्तार करना शुरू कर दिया है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण है अन्ना आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी, जिसने लगातार तीसरी बार दिल्ली में सत्ता पर रहते हुए और पंजाब में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाते हुए 2022 में उत्तराखंड, गुजरात, गोआ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिसके फलस्वरूप आम आदमी पार्टी ने मज़बूती से उन राज्यों में संगठन विस्तार का कार्य भी शुरू कर दिया है।

हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस को दूसरे राज्यों में विस्तार करने की घोषणा की है। मशहूर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लगातार शरद पवार और अन्य विपक्षी नेताओ के संपर्क में हैं,  जिससे आने वाले 2024 के आम चुनावों में गैर कांग्रेसी गठबंधन देखने को मिल सकता है, जिसमे सभी क्षेत्रीय दल मिल कर नरेंद्र मोदी की लहर को रोकने की कोशिश कर सकते हैं।

देश की लगातार गिरती हुई अर्थव्यवस्था, महंगाई, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लाखों लोगों की हुई मौत से देश के आम जनमानस में मौजूदा मोदी सरकार की लोकप्रियता में नकारात्मक असर पड़ा है। हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल में किए गए बड़े फेरबदल से मोदी सरकार आम जनमानस के बीच अपनी छवि को सुधारने की कोशिश कर रही है, लेकिन देश का एक बड़ा वर्ग गरीबी रेखा से नीचे चला गया है। अगले साल होने वाले 5 राज्यों के चुनाव बीजेपी और मोदी सरकार के लिए एक कड़ी परीक्षा साबित होंगे। 

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