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महाराष्ट्र की एक ग्राम पंचायत के कोविड-19 की रोकथाम के अनूठे प्रयास

महाराष्ट्र की एक ग्राम पंचायत के कोविड-19 के प्रति आम जनमानस में जागरूकता एवं रोकथाम के प्रयास

महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ग्रामीण इलाकों में संक्रमण काफी बढ़ गया था। इस मुश्किल समय में ग्राम पंचायतों की ज़िम्मेदारियां काफी बढ़ गई थीं। ऐसे में बहुत से विभागों और लोगों ने इन चुनौतियों को अवसर में बदला और आम जनता तक राहत पहुंचाने के लिए अपनी ज़िम्मेदारियों से कहीं बढ़कर काम किया। ‘बढ़ते कदम’ सीरीज़ के तहत हम कुछ ऐसी ही कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। यह कहानी सोलापुर ज़िले के घाटने गाँव की है, जिसने खुद को कोरोना मुक्त बनाने की पहल की।

घाटने गाँव में मार्च तक एक भी कोरोना का मरीज़ नहीं था, अप्रैल महीने के पहले सप्ताह में कोरोना का पहला मरीज़ मिला और इसके बाद मरीज़ों की संख्या बढ़ती चली गई। इसी दौरान गाँव के एक ही परिवार के दो सदस्यों की कोरोना से मौत हो जाने के कारण वहां के लोग घबरा गए।

गाँव के सरपंच ने स्थिति पर काबू पाने के लिए पंचायत सेक्रेटरी, आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों की एक टीम बनाकर ‘बी पॉज़िटिव, अपना गाँव रखें कोरोना नेगेटिव’ अभियान चलाया। यह टीम घर-घर जाकर परिवारों की जानकारी लेने लगी।

गाँव में कोरोना जांच के दो कैंप लगवाकर मरीज़ों को ट्रेस किया गया और जो पॉज़िटिव थे, उनको सावधानी पूर्वक कोविड सेंटर भेजा गया। इसके साथ ही, जो लोग काम के कारण गाँव से बाहर जाते थे, उनका रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाया गया। गाँव के लोगों से कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन करवाने के लिए पुलिस विभाग की मदद भी ली गई। गाँव के सरपंच ने लोगों को भरोसा दिलाया कि उनके सहयोग से वे गाँव को फिर से खुशहाल बना पाएंगे।

पंचायत ने गाँव में पंचसूत्रीय अभियान चलाया जिसके अंतर्गत – 1) मरीज़ों से संपर्क में रहना  2) कोरोना जांच करवाना  3) उचित उपचार देना  4) लोगों से कोरोना गाइड लाइन के नियमों का पालन करवाना  5) टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित करना जैसे कार्यों पर ध्यान दिया गया।

‘मेरा परिवार, मेरी ज़िम्मेदारी’ नामक सरकारी मुहिम को भी गाँव में चलाया गया और लोगों की आयु, डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, दमा व अन्य बीमारियों का रिकॉर्ड तैयार किया गया। शरीर के तापमान और ऑक्सीजन लेवल को भी नोट किया गया। प्रत्येक परिवार को ‘कोरोना सुरक्षा किट’ दिया गया, जिसमें कुछ दवाओं के साथ-साथ मास्क, सैनिटाइजर, डिटोल साबुन जैसी चीज़ें भी उपलब्ध कराई गईं। 

इन सभी प्रयासों से गाँव कोरोना मुक्त हो गया लेकिन गाँव के पंचायत सेक्रेटरी का कहना है कि लड़ाई अभी पूरी नहीं हुई है, गाँव के सभी लोगों को ज़ल्द-से-ज़ल्द टीके लगवाने हैं। पंचायत सेक्रेटरी ने यह भी कहा कि अभी गाँव ने सिर्फ पहली लड़ाई जीती है, क्योंकि देश में कोरोना की तीसरी लहर की भी संभावना बताई जा रही है तो हमें अपनी तैयारी जारी रखनी है। इस लहर में बच्चों के ऊपर ज़्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा ऐसा कहा जा रहा है। इस स्थिति को रोकने के लिए हम योजना बना रहे हैं।

हमारी टीम गाँव के घर-घर जाकर 18 साल तक के बच्चों की पूरी जानकारी एकत्रित करने का काम करेगी। बच्चों को पहले से अगर कोई बीमारी है या वे कुपोषित हैं तो यह भी नोट किया जाएगा। गाँव में डॉक्टर को बुलाकर बच्चों की इम्युनिटी कैसे बढ़ा सकते हैं? यह जानकारी माता-पिता को दी जाएगी। 

घाटने गाँव की कहानी को मीडिया ने कवर किया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भी कोरोना को हराने के इस गाँव के प्रयासों और वहां के आम जनमानस के सूझबूझ की प्रशंसा की है।

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