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आज़म खान की रिहाई के लिए AMU से गूंजती आवाज़ें आखिर कौन सुनेगा?

नई दिल्ली: आज़म खान वर्तमान में रामपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद है जो कि 26 फरवरी 2020 से फ़र्ज़ी दस्तावेज़ समेत अन्य सैकड़ो मुकदमों में सीतापुर की में बंदी है,आज़म खान सीतापुर जेल में कोरोना पॉजिटिव पाये गये तो उन्हें 9 मई 2021 को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया और हालत में सुधार होने के बाद 13 जुलाई को सीतापुर जेल भेज दिया गया लेकिन 20 जुलाई को तबियत बिगड़ पर उन्हें दोबारा लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

आज़म खान की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मेदांता अस्पताल में इलाज कराने की मांग की थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार तो किया लेकिन शर्त के साथ,और शर्त ये थी कि आज़म खान मेदांता अस्पताल में इलाज तो करा सकते है लेकिन अस्पताल का खर्च ख़ुद वहन करना पड़ेगा,अब आज़म खान निजी खर्चे पर मेदांता अस्पताल में अपना इलाज करा रहे है।

आज़म खान की रिहाई के लिए प्रदर्शन करते AMU के छात्र

आज़म खान को बीमार होने के बावजूद भी जेल में रखना,और बदले की कार्रवाई को लेकर देश के अलग अलग हिस्सों से सवाल भी उठ रहे है जिसको लेकर ट्विटर पर आये दिनों #ReleaseAzamKhan हैशटैग ट्रेंड करता रहता है,उत्तर प्रदेश के अलग अलग जिलों में आज़म खान की रिहाई के लिए प्रदर्शन होते रहे है लेकिन आज़म खान की रिहाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में किया गया प्रदर्शन का प्रदर्शन आख़िर क्यो चर्चा का विषय बना हुआ है?आइये जानिए।

आज़म खान AMU के छात्र रह चुके है उन्होंने 1974 में AMU से ही बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की और आज़म खान AMU छात्र संघ के सचिव थे,अब एएमयू के छात्र संघ ने आज़म खान की रिहाई के लिए यूनिवर्सिटी के परिसर में मार्च निकाला और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी भेजा है जिसमे आज़म खान को स्वास्थ्य के आधार पर जमानत देने की मांग कही गई है।

आज़म खान की रिहाई के लिए सड़कों पर AMU छात्र

छात्र संघ के पूर्व सचिव हुजैफा आमिर रशादी ने कहा कि एएमयू समुदाय सांसद आज़म खान के स्वास्थ्य के लिए चिंतित है और वह उनके लिए हर वक़्त उनके साथ खड़ा है,सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को एक प्रति के साथ एएमयू के प्रॉक्टर मोहम्मद वसीम अली को सौंपने के बाद हुजैफा ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों से कहा कि एएमयू समुदाय सपा संस्थापकों में से एक आजम खान के मामले में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की भूमिका से बहुत निराश है”

उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से अखिलेश यादव की भूमिका केवल सांकेतिकता और इस मुद्दे पर ट्वीट जारी करने तक सीमित है.” ज्ञापन में खान को स्वास्थ्य आधार पर जमानत देने के लिए राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया है!

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