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हमारे समाज में बेटियों को एक बोझ क्यों समझा जाता है?

हमारे समाज में बेटियों को एक बोझ क्यों समझा जाता है?

शादी ज़िंदगी का सबसे बड़ा फैसला होता है, क्योंकि उसके बाद आपकी ज़िन्दगी पूरी तरह से बदल जाती है। कोई ऐसा आपकी ज़िंदगी मे आ जाता हैं, जिससे आपकी खुशियां हों या गम दोनों आधे-आधे हिस्से में बंट जाते हैं। उस वक्त आपकी ज़िन्दगी सिर्फ आपकी नहीं होती, वो किसी और की भी हो जाती है इसलिए आपको शादी करने का फैसला सोच समझ कर लेना चाहिए कि आपको शादी किस से करनी है।

लेकिन आज भी भारत के कई ऐसे राज्य हैं, जहां शादियां लड़के और लड़की की इच्छा से नहीं होती वरन उनके माँ-बाप और रिश्तेदारों की इच्छा से होती है। जहां पर माँ-बाप, पड़ोसी और रिश्तेदार को लड़का और लड़की पसंद आने चाहिए, लेकिन जिन्हें एक-दूसरे के साथ अपनी पूरी ज़िन्दगी गुजारनी है, उनको एक-दूसरे का साथ पसंद आए या ना आए यह बात कोई मायने नहीं रखती।

इसमें सबसे अजीब बात तो यह है कि लड़के के घर वाले लड़की को देखने जाते हैं और लड़की के घर वाले लड़के को सिवाय लड़का और लड़की को छोड़ कर, क्योंकि वो समाज के सामाजिक नियमों के मुताबिक, एक-दूसरे को शादी से पहले नहीं देख सकते।

हां, लेकिन शादी से पहले लड़का और लड़की को एक-दूसरे की फोटो दिखा दी जाती है, ताकि शादी के बाद वे एक-दूसरे को आसानी से पहचान पाएं। कुछ जगहों पर लड़के और लड़की को एक-दूसरे के फोन नंबर भी दे दिए जाते हैं, ताकि वे एक-दूसरे को समझने के लिए बात कर सकें।

 ऐसा भी नहीं है कि आपको बात करने पर वो इंसान पसंद ना आए तो शादी टूट जाएगी। खासकर लड़की को अगर शादी से पहले लड़के की बुराइयों के बारे में पता भी चल जाता है और वो उससे शादी करना नहीं चाहे तो भी शादी नहीं टूटती है, क्योंकि वहां लड़का और लड़की दोनों परिवारों की सामाजिक इज्ज़त, मान, मर्यादा की बात बीच में आ जाती है कि लोग क्या कहेंगे?

शादी ऐसे ही नहीं होती, पहले लड़का वालों की तरफ से सामान की एक लंबी-चौड़ी लिस्ट आती है, उसमें कपड़ा, गहने, गाड़ी, घर का सामान और पैसे की मांग की जाती है। लड़की वालों की तरफ से जब लड़के वालों की ये सब मांग पूरी कर दी जाती हैं, जब जाकर कहीं शादी होती है।

हमारे समाज में लड़की को नहीं, उसके साथ मिलने वाले दहेज़ को पसंद किया जाता है। आप जितना पैसा दोगे, लड़की की उतने ही अच्छे घर मे शादी होगी। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि ये तो अशिक्षित लोग हैं इसलिए दहेज़ लेते हैं तो आप गलत हैं। मैंने अपनी आंखों से ना जाने कितने ही पढ़े-लिखे लोगों को दहेज़ लेते देखा है, जो बहुत ही अच्छे पोस्ट पर थे। यहां लोग कहते हैं कि बिना दहेज़ की शादी, शादी नहीं होती चाहे आप कितने भी काबिल हों।

यहां माँ-बाप अपने लड़की को ज़्यादा पढ़ाना पसंद नहीं करते, क्योंकि उनका सोचना है कि जितना इसको पढ़ाने में पैसा लगाएंगे, उतने में तो इसकी शादी कर देंगे। समाज में अपने ही द्वारा बनाई गई प्रथा से परेशान होकर लड़की के माँ बाप बाद में कहते हैं कि लड़कियां सिर का बोझ होती हैं, उन्हें कौन समझाए कि हम बोझ नहीं हैं बल्कि आप लोगों और आपके समाज ने ही हमें बोझ बना दिया है।

हमारे समाज में यहां ऐसी ही शादियों को अरेंज मैरिज कहते हैं और इन सब के चक्कर में एक लड़की की ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है। वहीं यहां पर अगर आपको किसी से प्यार हो जाए तो इससे बड़ा गुनाह कुछ हो ही नहीं सकता है। बेशक आप एक-दूसरे से कितना भी प्यार करते हों, समाज के तथाकथित ठेकेदार कभी भी आपको साथ नहीं रहने देंगे, क्योंकि हमारे समाज में लोगों का मानना है कि बच्चों के लव मैरिज करने से समाज में उनकी इज्ज़त खराब हो जाती है।

बेशक दहेज़ देंगे और लड़कों के परिवार के सामने झुकेंगे लेकिन बिना दहेज़ के लव मैरिज नही करवाएंगे, क्योंकि उससे इनकी इज्ज़त खराब हो जाएगी और फिर समाज में चार लोग क्या कहेंगे? मुझे आज तक समझ नहीं आया कि आखिर वो चार लोग कौन हैं? जिनकी वजह से माँ-बाप को अपने ही बच्चों की खुशियां नहीं दिखती हैं। उन्हें कैसे समझाया जाए कि बिना प्यार के शादी का कोई मतलब नहीं होता। आप ऐसे किसी रिश्ते में कभी खुश ही नहीं रह सकते, जहां आपके लिए प्यार और परवाह ही ना हो।

मेरा मानना है कि जिस दिन से सब लोग लव मैरिज शादियां करना शुरू कर देंगे, उस दिन से हमें दहेज़ जैसी घिनौनी प्रथा से मुक्ति मिलेगी और तब माँ-बाप के सिर पर बेटियां बोझ नहीं रहेंगी। यही नहीं जात-पात, धर्म का भेदभाव भी एक दिन ज़रूर खत्म हो जाएगा और उस दिन सब एक हो जाएंगे।

अब वक्त आ गया है कि इन मुद्दों पर खुलकर बात की जाए और समाज के लोगों को जागरूक किया जाए ताकि और लड़कियों की ज़िन्दगी तबाह ना हो, क्योंकि सिर्फ कुछ लोगों की सोच बदल जाने से देश नहीं बदलता है, सबकी सोच बदलनी चाहिए।

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