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क्या दिग्गज पत्रकार बनने के लिए सर्वोच्च संस्था मे जाना जरुरी है

आज मेरी जामिया मिलिया इस्लामिया मे पीजी डिप्लोमा इन टीवी जर्नलिस्म की परीक्षा थी. उस परीक्षा की तैयारी मैंने उतनी नहीं की थी जितनी करनी चाहिए थी. हालांकि कल होटल मे कमरा लेकर पढ़ाई थोड़ी बहुत जरूर की थी क्योंकि घर मे वो शांत वातावरण नहीं मिल पाता जिसकी जरुरत होती है. आज सुबह जब मै जामिया के गेट नंबर 17 पर पंहुचा तो काफी भीड़ थी. वो सब अपने आँखो मे पत्रकारिता का सपना सामाये हुए थे. मैंने काफी छात्रों से परीक्षा के पहले और परीक्षा के बाद बात करी . काफी छात्रों ने बताया की उन्हें पत्रकारिता करनी नहीं है बस वो अपना सामान्य ज्ञान परखने के लिए परीक्षा मे भाग ले रहे है. लेकिन कुछ के अंदर एक अलग जूनून उबाल मार रहा था मैंने उनसे पूछा अगर आपका दाखिला यहां नहीं हुआ तो क्या करेंगे तो मिले जुले जवाब जो मुझको मिले वो ये थे की अगले साल फिर तैयारी करेंगे. आज मेरी परीक्षा भी ख़ास गयी नहीं ऐसा नहीं था की कुछ आता नहीं था पर शायद मैंने समय का ध्यान नहीं दिया. वर्तमान मे मैं न्यूज़ 18 इंडिया के साथ काम करता हुँ. मेरे कों गाज़ियाबाद जिले की जिम्मेदारी दी गयी है. अपने स्टेट एडिटर अरुण जी से मैंने इस संदर्भ मे बात करी थी जब मैं काफी परेशान था की क्या करू? तो उन्होंने मुझको बोला की तुम क्या करोगे वहां पढ़के यही सब सीखोगे और तुम्हे सिखाने की वो तुमसे गुरुदक्षिणा भी लेंगे. हम सिखाने के पैसे देंगे ये अंतर है जाहिर है की उनकी बात मेरे कों मिलने वाली तनख्वाह पर थी. जब मै अपने ग्रेजुएशन के प्रथम वर्ष मे था तो आईआईएमसी और जामिया जाने का मेरा ख्वाब हुआ करता था लेकिन धीरे धीरे मेरे विचारों मे लगातार बदलाव आये. मुझे समझ आ गया था की हमारे क्षेत्र मे फील्ड पे ज्यादा समय बिताने से आप सब खुद बा खुद सीख जाते है. और एक अच्छे संस्थान मे बच्चा इसलिए पढता है की उसको बहतर नौकरी चाहिए होती है. उनको पता होता है की यहां की प्लेसमेंट बड़े चैनलो तक ले जाएगी. लेकिन ऐसा बहुत ज्यादा भी नहीं है हमको ये समझना चाहिए की आप अपने कौशल कों उभारे. ये जरुरी नहीं की अगर आपका एडमिशन नहीं होता है दुखी होने की या शोक मनाने की जरुरत  है. अपने आप कों दूसरा मौका दीजिये. खुद की नजरों मे खुद कों हमेशा चमकदार और दमदार बनाना चाहिए. एक सबसे बड़ी समस्या आज की पीढ़ी की सब्र करना भी है. सबको बहुत जल्दी जिंदगी मे सब पाना है लेकिन उसमे अच्छा खासा समय भी लगता है. बहरहाल अच्छी संस्था नहीं कोई अच्छा चैनल ढूंढ के लग जाइये उस सफर मे

जहां आप अकेले है

अपनी कामयाबी और बदनामी के खुद जिम्मेदार है

लेकिन फिर भी रुकना नहीं है 

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