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गुरु का आदर – नीरज चोपड़ा

नीरज चोपड़ा के ओलंपिक में गोल्ड लाने पर यूं तो पूरा देश जश्न में डूबा है. मगर इस खुशी की बारिश में नीरज के परिवार के बाद कोई अत्यधिक खुश है तो वह हैं इनके प्रारंभिक कोच नसीम अहमद. अहमद ने नीरज को चंडीगढ़ के ताऊ देवीलाल स्टेडियन में तकरीबन सात वर्षों तक जैवलिन थ्रो की कोचिंग दी है.
 
नसीम अहमद नीरज के पहले गुरु हैं. नीरज आज भी उनका इतना सम्मान करते हैं कि उनके सामने कुर्सी पर नहीं बैठते. नीरज जब ओलिंपिक में भाग लेने जा रहे थे तो उनके प्रारंभिक कोच नसीम अहमद ने सोशल मीडिया पर लिखा था, “नीरज आज बड़े एथलीट हैं. बावजूद इसके वह आज भी मेरे सामने कुर्सी पर नहीं बैठते. जब भी कोई बड़ी प्रतियोगिता में खेलने जाते हैं. मैं उन्हें आशीर्वाद देता हूं. और उनसे हर प्रतियोगिता से पहले गुरुदक्षिणा में मेडल मांगता हूं. वह मेडल जीतते ही फोटो मैसेज कर देते हैं… मैं खुशनसीब हूं कि मैं देश के लिए नीरज चोपड़ा जैसा एथलीट दे पाया. मैंने ओलंपिक में भी उनसे गोल्ड मेडल मांगा है.”
 
उल्लखनीय है कि भारतीय जेवेलीन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक के जैवलिन थ्रो में बेस्ट थ्रो फेंककर फाइनल में इतिहास रच दिया है. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल को हासिल किया है. नीरज ने 87.58 की सर्वश्रेष्ठ दूरी तय करते हुए गोल्ड मेडल पर अपना कब्जा किया है. उन्होंने दूसरे प्रयास में ये उपलब्धि हासिल की.
 
नीरज क्वॉलिफिकेशन राउंड में भी टॉप रहे. 2008 में बीजिंग ओलिंपिक के बाद यह देश का पहला गोल्ड मेडल है. नीरज ने पहली कोशिश में 87.03 मीटर की दूरी तय की थी.
 
नीरज चोपडा के कोच नसीम अहमद ने बताया है कि इसी साल मार्च के महीने में नीरज चोपड़ा ने पटियाला में आयोजित सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी किया था. नसीम ने कहा है कि उन्होंने यहाँ एक कीर्तिमान को स्थापित भी कर दिया है.
 
इसके अलावा भी नसीम अहमद ने बताया कि नीरज चोपड़ा आज बड़े एथलीट हैं. वह ज्यादा बात नहीं करते हैं. जब भी कोई बड़ी प्रतियोगिता खेलने के लिए जाते है तो आशीर्वाद जरूर लेते है. कोच नसीम अहमद ने नीरज का ओलंपिक मुकाबला देखने के लिए चंडीगढ़ में एक बड़े स्क्रीन का इंतजाम किया था.
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