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“देश की सरहदेह और उस पर राजनीती”

इस समय देश की परिस्थिति बहुत ही ख़राब होती जा रही है। देश में जो कुछ हो रहा है, ये सब सरकारी मंत्रियो की जहरीली राजनीतियों की ही देन है।
यह लोग जाति से जाति को लड़ा देते है, एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगो के खिलाफ कर देते है, एक भाषा के खिलाफ दूसरे भाषाओं के लोगों को लड़ा देते है, एक जाती को दूसरे जातीयों के खिलाफ कर देते है।

अभी एक राज्य के लोगों को दूसरे राज्यों से लड़ा रहे है
इससे पहले पिछले 70 साल के भारतीय इतिहास में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई थी।
तनाव होना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि जहां सीमा है वहां तनाव होते रहते है, वह भी जब सीमांकन जैसे विवाद हो। चाहे दो देश हो,दो राज्य हो या कोई दो पड़ोसी मगर हिंसा ना करके जान माल के नुकसान से अपने आप बचाना चाहिए क्यू के इसमें दोनों तरफ की जनता नुकसान होना तय होता है।

असम-मिजोरम के सीमाओ पर भी विवाद हो रहे है इसी बिच वहाँ 6 पुलिस कर्मियों की मौत की खबरे चल रही है यह विवाद अपने आप मे बहुत कुछ बताता है, ये एक ही देश का सीमा विवाद है इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए। इस के लिए सरकार को कोई न कोई हल ज़रूर निकलना चाहिए ताके वहाँ के लोगो के बिच तनाव की स्तथि सामान्य बनी रहे।

1972 में असम से मिजोरम को अलग कर UT बनाया गया था तब से दोनो राज्यों के बीच 172 Km इलाके को ले कर हमेशा विवाद ही रहता है। दोनो भी राज्य इस 172 Km को खुद का बताते है, 1972 से आजतक कांग्रेस-बीजेपी दोनो दलों की सरकारें बनी पर कोई इसका हल नही निकाल पाया।

अलग-अलग राज्यों के बीच ऐसे कई विवाद है हम सब भारतीय होने का गर्व करते है लेकिन एक दूसरे को एक सेंटीमीटर जमीन देने या छोड़ने को तैयार नही होते।

हर राज्य की सीमाओ का निर्धारण भारत सरकार ने किया है, और यह सारे फैसले संविधान के तहत ही लिए गए थे, हर राज्य ने इन फैसलों में सहमति जताई थी पर बाद में पलटी मार दी।

अब ज़रा सोचिए, भारत के विभाजन के वक्त क्या हुआ होगा? ब्रिटिश सरकार ने चीन-पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाओं का निर्धारण किया था, ब्रिटिशो के जाने के बाद भारत, चीन-पाकिस्तान कोई भी ब्रिटिश की बनाई सीमा मानने को तैयार नही हुए, युद्ध हुए, कई जानें गई, बहुत सा नुकसान हुआ, राजनीति भी हुई, और कई तरह की फ़र्ज़ी अफवाहे भी उड़ाई गयी।

कांग्रेस की सरकार ने गोआ, चन्दननगर,नगर हवेली,
दादरा, अरुणाचल, सिक्किम और सियाचिन जैसे टोटल दो लाख स्क्वायर किलोमीटर भारत मे मिलाए, इन सब बातों को जनता ने भूला दिया। जनता को लगने लगा कि POK जैसी जगहों पर ही भारत का भविष्य छुपा हुआ है, बस इसी चक्कर मे जनता आज कंगाल हो हूई बैठी है।

जब असम और मिजोरम एक दूसरे को 1 सेंटीमीटर जमीन छोड़ने-देने को तैयार नही है और इसी में खून की नदियां बह जाती है तो कल्पना कीजिए चीन-पाकिस्तान के साथ जमीन विवाद पर क्या कुछ हो सकता है।

सरकार को चाहिए की असम-मिजोरम का विवाद सुलझा कर सीमा निर्धारण कर जनता के बिच जो तनाव की स्तथि है उसे खत्म कर वहाँ सामान्य स्तथि कायम करना चाहिए पाकिस्तान-चीन का सीमा विवाद अपने आप खत्म हो जाएगा।

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