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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष….

सादर नमस्कार…??
     आप व आपके समस्त परिवार, मित्र, सब सखियों एवं अपनों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई मेरी दुआएँ है कि वर्ष 2021 की हर कामयाबी के पीछे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की लीला आपके जीवन में सम्पूर्ण प्यार, खुशी, यश, सुख, समृद्धि, अनंत ऊर्जा, योग्यता, सफलता, विविध ज्ञान, विन्रमता, भावनाओं पर संयमता, खुशी खोजने वाला हुनर बढ़ाएं एवं असीम कृति लेकर आये…???

     श्रीकृष्ण का युग सतयुग है लेकिन संसार में सर्वप्रथम परमात्मा को ही आना पड़ता है। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर जनमानस जिस कृष्ण का आह्वान विविध रूप और नाम से जितनी श्रद्धा से कर यह कहते और मानते हैं कि नया युग आने वाला है। दरअसल, समाज को जो भी चाहिए वे जरूरत, स्थान और काल के अनुरूप कई रूपों, नामों और कलाओं में प्रकट होते हैं हालांकि उन्हें समर्पित गीत स्थानीय भाषाओं में रचे गए हैं। श्रीकृष्ण की कई स्थानीय अभिव्यक्तियां है जिसके लिए वर्तमान समय में तो सबसे ज्यादा जरूरी है कि जनमानस उस परमात्मा को सिर्फ बाहर से आह्वान नहीं कर दिल से सत्य एवं निष्ठा के साथ उन्हें अपनाएं। जन्माष्टमी मतलब उस धर्म को, उस दिव्यता को अपने अंदर आह्वान करना है। वास्तव में लेकिन ये सिर्फ एक दिन अपनाने के लिए नहीं बल्कि अपनी हर सोच, हर कर्म में श्रीकृष्ण वाले दैवीय गुणों को सबको अपने अंदर जागृत करने की जरूरत है।
     श्रीकृष्ण ऐसा नाम है, ऐसी छवि है जो हर रूप में, हर कला में, हर विधा में संपूर्णता को दर्शाती है। जिनकी कलाएं एवं लीलाओं की चर्चा सरेआम पूरे देश में हर वर्ग से सुनने को मिल जाती हैं। श्रीकृष्ण सतयुग के खुशी और समृद्धि की 16 कलाओं के ज्ञाता सम्पूर्ण अवतार है जो क्रमशः
01. श्री,
02. भू,
03. कीर्ति,
04. इला,
05. लीला,
06. कांति,
07. विधा,
08. सत्य,
09. आधिपत्य,
10. अनुग्रह उपकार,
11. विमला,
12. विवेक,
13. कर्मण्यता,
14. योगशक्ति,
15. विनय और
16. उत्कर्षिणी आदि सोलह कला के सम्पूर्ण देवता हैं। हालांकि इस अवसर पर हर वर्ग को एक बात जिसे ज्यादा समझने की जरूरत है कि जिनको बच्चों से प्यार है, वो उन्हें नन्हे से श्रीकृष्ण के रूप में देखते हैं। साथ ही जिनका नि:स्वार्थ प्रेम है, वो उन्हें राधा-कृष्ण के रूप में देखते हैं हाँ लेकिन इन सबके अलावे सबसे ज्यादा जरूरी है युवा पीढ़ी को अपने धर्म एवं संस्कृति को समझना उनके प्रति जागरूक होना। दरअसल, कभी-कभी इंसान द्वारा उन कर्मकांडो को भी धर्म मान लिया जाता है जो जनमानस को सूट करता है।

               ???
            ……आपका……
© डा. मो. जमील हसन अंसारी

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