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“बालिका शिक्षा और समाज पर पड़ने वाले उसके दूरगामी सुखद परिणाम”

"बालिका शिक्षा और समाज पर पड़ने वाले उसके दूरगामी सुखद परिणाम"

हमारे समाज में पुरुषों की अपेक्षा नारियों को बहुत कम महत्त्व दिया जाता है। इस कारण पुरुषों को शिक्षा प्राप्त करने के अधिक अवसर मिलते हैं लेकिन नारियों को परिवार में सिर्फ माता के रूप में आंका जाता है और उनकी शिक्षा पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता है।

प्राचीन काल में महिलाओं के लिए शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार ने लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान देना शुरू किया है फिर भी हमारे देश में शिक्षित महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों की अपेक्षा बहुत ही कम है।

शिक्षित महिलाएं अपने बौद्धिक विकास से अपने घर-परिवार का संचालन कुशलता से कर सकती हैं। वे अपनी सन्तान को वीरता, त्याग, उदारता, कर्मठता, सदाचार, अनुशासन आदि के ढांचे में आसानी से ढाल सकती हैं। एक सुशिक्षित नारी माँ के रूप में एक गुरु, पत्नी के रूप में आदर्श गृहणी, बहन के रूप में स्नेही मित्र और मार्गदर्शिका होती है। अगर कोई महिला शिक्षित है तो वह समाज सेविका, वकील, डॉक्टर, प्रशासनिक अधिकारी, सलाहकार और उद्यमी आदि किसी भी रूप में सामाजिक दायित्व का निर्वाह कर सकती है। वह लेखिका, प्रशासिका और इसके साथ ही एक श्रेष्ठ गृहणी भी हो सकती है।

 नारियां अपने समाज और देश को विकास के क्षेत्र में आगे ले जाने में सहयोग कर सकती है। वे अपने परिवार की प्रतिष्ठा का ध्यान रखती हुईं अन्य कार्यों जैसे सिलाई, बुनाई, कढाई आदि कामो में भी आगे होती हैं। वे स्वच्छता एवं घर की सजावट में भी रूचि रखती हैं। वे अंधविश्वासों और ढोंगों से मुक्त रहती हैं और हर प्रकार से और हर उपाय से अपने घर को सुखी बनाने का कार्य करती हैं।

शिक्षित नारियों से समाज और देश का गौरव बढ़ता है लेकिन वर्तमान में महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। हमारे सभ्य और आदर्श समाज में उनके साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता है और हर तरह से उनका शोषण और उत्पीड़न किया जाता है। ऐसे में एक शिक्षित नारी अपने अधिकारों की रक्षा कर सकती है।

समाज का हित भी नारी सशक्तिकरण से ही हो सकता है। इसके लिए हमें नारी शिक्षा की तथा जन-जागरण की ज़रूरत है। एक शिक्षित नारी ही अपने घर-परिवार में संतुलन बनाए रख सकती है। देश की प्रगति और खुशहाली के लिए नारी सशक्तिकरण बहुत ज़रूरी है।

एक नारी समाज में शिक्षा प्राप्त करके अपने व्यक्तित्व का निर्माण तो करती ही है। इसके साथ वह अपने समाज, घर-परिवार में भी सुख का संचार करती है। एक शिक्षित नारी आदर्श गृहिणी, आदर्श माँ, आदर्श बहन और आदर्श सेविका बनकर देश के कल्याण के लिए श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण करती है। इसलिए कहा गया है कि एक शिक्षित नारी सुख समृद्धिकारी।

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