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“प्रो संजय द्विवेदी के नेतृत्व में आईआईएमसी ने नए आयाम स्थापित किए हैं”

"प्रो संजय द्विवेदी के नेतृत्व में आईआईएमसी ने नए आयाम स्थापित किए हैं"

देश में पत्रकारिता का सर्वश्रेष्ठ संस्थान कहे जाने वाले भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) में पढ़ना हर उस छात्र का सपना होता है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना नाम कमाना चाहता है। इस संस्थान को सफलतापूर्वक चलाने की ज़िम्मेदारी होती है, इसके महानिदेशक के कंधों पर। महानिदेशक ही इस संस्थान के नीति और नियम तय करता है। 

एक साल पहले इस पद को संभाला देश के प्रख्यात पत्रकार, संपादक, लेखक, मीडिया प्राध्यापक और अकादमिक प्रबंधक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने। वह देश के कई प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियों का भी निर्वहन कर चुके हैं। प्रो. द्विवेदी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के प्रभारी कुलपति भी रह चुके हैं। प्रो द्विवेदी के नेतृत्व में आईआईएमसी (IIMC) लगातार नए आयाम छू रहा है।

कोरोना काल में भी विद्यार्थियों को दी पहली प्राथमिकता 

लंबे समय से इस संस्थान में शिक्षकों की कमी चल रही थी, जिसके दृष्टिगत, प्रो द्विवेदी ने पद संभालते ही 7 नए प्रोफेसरों की नियुक्ति की थी। यह नियुक्तियां संस्थान के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण रही हैं। इसके साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मीडिया संस्थानों को स्वच्छता के लिए सम्मानित किया गया, जिसमें भारतीय जन संचार संस्थान को पहला स्थान मिला। कोविड काल में, जब सभी शिक्षा संस्थान बंद हो गए थे, ऐसे में आईआईएमसी (IIMC) ने अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को ऑनलाइन माध्यम से चलाया।

ऐसा पहली बार हुआ है कि आईआईएमसी में प्रवेश प्रक्रिया नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा करवाई गई और इसके साथ ही ओरिएंटेशन प्रोग्राम भी ऑनलाइन ही करवाया गया था। इस कार्यक्रम में तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक सुभाष घई, विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन एवं तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सहित देश के प्रख्यात पत्रकारों एवं शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया था। 

प्रो द्विवेदी के सुझाव पर आईआईएमसी (IIMC) ने देश के प्रख्यात विद्वानों से विद्यार्थियों का संवाद कराने के लिए ‘शुक्रवार संवाद’ नामक कार्यक्रम की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम के माध्यम से केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पद्मश्री से अलंकृत लोक गायिका मालिनी अवस्थी, पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त डॉ. एस. वाई. कुरैशी एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी सहित लगभग 18 हस्तियां विद्यार्थियों का मार्गदर्शन कर चुकी हैं।

हिंदी पत्रकारिता के संरक्षण में एक नया आयाम स्थापित किया 

इसके अलावा, प्रो द्विवेदी के सुझाव पर संस्थान ने अपने पुस्तकालय का नाम भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पं. युगल किशोर शुक्ल के नाम पर रखा। इसके अलावा सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष ‘राजभाषा सम्मलेन’ का आयोजन भी प्रो. द्विवेदी के नेतृत्व में किया गया था।

भारत में कोविड 19 महामारी की पश्चिमी मीडिया द्वारा की गई कवरेज पर आईआईएमसी ने एक सर्वेक्षण भी किया और इस विषय पर विमर्श का आयोजन भी किया था। इस कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध पत्रकारों एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया था। इसके अलावा संस्थान ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा एवं न्यूकासल यूनिवर्सिटी, लंदन के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण विषयों पर पिछले एक वर्ष में विमर्श का आयोजन किया है।

शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अन्य संस्थानों से भी करार 

प्रो द्विवेदी के नेतृत्व में संस्थान ने कई करार भी किए हैं, जिसमें महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार और यूनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशंस ऑफ उज़्बेकिस्तान के साथ किए गए एमओयू महत्वपूर्ण रहे हैं। इस करार का उद्देश्य पत्रकारिता और जनसंचार शिक्षा को प्रोत्साहन देना एवं मौलिक, शैक्षणिक एवं व्यावहारिक अनुसंधान के क्षेत्रों को परिभाषित करना है। इस समझौते के माध्यम से हम टीवी, प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया, जनसंपर्क, मीडिया भाषा विज्ञान और विदेशी भाषाओं जैसे विषय पर शोध को बढ़ावा देना चाहते हैं।

बंद पड़ी पत्रिकाओं को दुबारा से प्रकाशित किया 

भारतीय जन संचार संस्थान की प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं ‘कम्युनिकेटर’ और ‘संचार माध्यम’ को भी प्रो द्विवेदी के कार्यकाल में रिलांच किया गया। ‘कम्युनिकेटर’ का प्रकाशन वर्ष 1965 से और ‘संचार माध्यम’ का प्रकाशन वर्ष 1980 से किया जा रहा है। पिछले एक वर्ष में आईआईएमसी ने सोशल मीडिया पर भी अपनी उपस्थिति बढ़ाई है। इसके साथ ही संस्थान द्वारा चलाए जा रहे “अपना रेडियो” ने भी लोगों को कोविड के बारे में जागरूक भी किया था ।

प्रो संजय द्विवेदी ने अपने अनुभव और कार्यकुशलता से भारतीय जन संचार संस्थान को नए मुकाम पर पहुंचाने का पुनीत कार्य किया है। नए भारत को प्रगति करने के लिए, एक नए प्रकार की पत्रकारिता की भी ज़रूरत है, जो देश दुनिया के साथ अपनी संस्कृति से भी अवगत हो और राष्ट्र प्रेम को सर्वोपरी रखे। प्रो द्विवेदी के नेतृत्व में आईआईएमसी, ऐसे ही नए पत्रकार देश को दे रहा है। 

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