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“IIMC पत्रकारिता में चोटी का संस्थान लेकिन प्रवेश परीक्षाओं में अनियमितताओं की भरमार”

"IIMC पत्रकारिता का चोटी का संस्थान लेकिन प्रवेश परीक्षाओं में अनियमितताओं की भरमार"

गत दिनों पहले भारतीय जनसंचार संस्थान यानी कि आईआईएमसी की प्रवेश परीक्षा थी। इस बार की परीक्षा का आयोजन बीते वर्ष की भांति NTA यानी कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी करा रही थी। सभी विद्यार्थी अपनी परीक्षा को लेकर काफी उत्साहित थे, उस कॉलेज की प्रवेश परीक्षा के लिए जिसका सपना उन्होंने बीते कुछ समय से देखा था, लेकिन उस परीक्षा में तमाम अनियमितताएं देखने को मिलीं। 

कुछ सेंटरों में सर्वर की समस्या के चलते पेपर देरी से शुरू हुआ। कुछ सेंटरों में लाइट चली गई, कुछ सेंटरों में कक्ष निरीक्षकों के पास पेपर से सम्बंधित पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं थी। वैसे, देखने में तो ये ज़्यादा बड़ी समस्याएं नहीं लगती हैं, लेकिन आप में से, जो भी इसे पढ़ रहे हैं, वो इसको उस स्थिति में समझिए, जब आप या आपका भाई/भतीजा/बेटी/बुआ-मौसी का लड़का/लड़की इत्यादि किसी प्रवेश परीक्षा का पेपर देने गए हों और यही सब उनके साथ हो और आप बाहर हाथ में मोबाइल लेकर खड़े हों।

यकीन मानिए इन अनियमितताओं से काफी बुरा लगता है !

जिस प्रकार आईआईटी और आईआईएम देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग और प्रबंधन सरकारी संस्थान हैं, ठीक उसी प्रकार आईआईएमसी भी देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में चोटी का एकमात्र संस्थान है। यहां पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के विभिन्न कोर्सों का आयोजन होता है।

आखिर क्या है IIMC?

आईआईएमसी की महानता का अंदाजा, तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक तरफ आईआईटी और आईआईएम में कुल क्रमशः 7,000 और 5,000 से अधिक सीटें हैं। वहीं आईआईएमसी के सभी कैंपसों को मिलाकर देश में कुल 476 सीटें हैं। आप लोग अगर गणित में गुणा-भाग जानते होंगे, तो इस आंकड़ें को ज़रूर निकालिएगा, ताकि आपको समझ आए कि आईआईएमसी क्या चीज़ है?

लेकिन फिर भी इस प्रकार की लापरवाही क्या दर्शाती है? यकीन मानिए आपमें से जितने भी लोग टीवी, वेबसाइट और अखबार पढ़ते हैं। उसमें काम करने वाले संपादक से लेकर खबर लिखने वाले लोगों की सूची में आईआईएमसी से पढ़े लोगों की एक अच्छी खासी संख्या है। हां, अगर आप उन्हें नहीं जानते, तो यह आपकी समस्या है। 

आप यकीन मानिए कि अगर यही कमियां आईआईटी और आईआईएम की प्रवेश परीक्षाओं के दौरान हुईं होती, तो आईआईएमसी से पढ़े-लिखे रिपोर्टरों ने ही सबसे ज़्यादा हल्ले-गुल्ले के साथ आज इस विषय को सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाया होता। वैसे, सर्वर की दिक्कत होना कोई बड़ी बात नहीं है। तकनीकी दिक्कत है, कहीं भी और कभी भी हो सकती है लेकिन सवाल यह है कि जो पेपर सुबह 10 बजे शुरू होना था, उसको 11:30 बजे शुरू करवाना कितना सही है!

लेट पहुंचने पर पर एंट्री नहीं मिलती, तो लेट पेपर क्यूं?

अब आप इसी बात को अब दूसरे तरीके से समझिए, मान लीजिए कि आप किसी ऐसी परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, जिसका समय 10 बजे का है और उस परीक्षा का आयोजनकर्ता NTA (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) है। ऐसी स्थिति में यदि आप परीक्षा स्थल पर 10 मिनट देरी से पहुंचते हैं, तो क्या आपको एग्जाम में बैठने की अनुमति मिलेगी?

इसका उत्तर है नहीं !!!! नहीं !!! और नहीं

आप यकीन मानिए, आप चाहे जितनी कोशिश कर लें, जितनी मिन्नतें कर लेते, आपको पेपर में बैठने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि नियम हैं कि आपको समय से पेपर में शामिल होना है और समय से ही आपको टेस्ट पेपर (ऑनलाइन माध्यम) जमा करना है।

इस समस्या के निराकरण के क्या विकल्प हैं?

1. इस समस्या का सबसे बड़ा हल, तो यह है कि जब आईआईएमसी में खुद का इतना बड़ा स्टाफ है, तो इस पेपर को कराने की ज़िम्मेदारी NTA को क्यों दी जा रही है। चूंकि IIMC एक स्वायत्त संस्थान है, ऐसे में जब कॉलेज की फीस का निर्णय कॉलेज का मैनजेमेंट ले सकता है, तो फिर प्रवेश परीक्षा की ज़िम्मेदारी क्यों नहीं? 

2. ऐसे में अगले वर्षों में आयोजित की जाने वाली प्रवेश परीक्षा की ज़िम्मेदारी आईआईएमसी को उठानी चाहिए। वर्ष 2019 तक IIMC की प्रवेश परीक्षा का आयोजन लिखित माध्यम, सामूहिक चर्चा और निजी साक्षात्कार के माध्यम से होता था। इसके बाद कोरोना के चलते बीते वर्ष और इस वर्ष की प्रवेश परीक्षा की ज़िम्मेदारी  NTA को दी गई। इससे परीक्षा का पैटर्न बदल गया, पहले जो लिखित पेपर, सामूहिक चर्चा और निजी साक्षात्कार था, अब उसकी जगह सिर्फ एक बहुविकल्पीय पेपर ने ले ली है।

3. इसी प्रकार की समस्याएं बीते वर्ष भी विद्यार्थियों को झेलनी पड़ी थीं, जिसकी वजह से कई विद्यार्थियों को काफी समस्याएं उठानी पड़ी थीं।

4. इसी प्रकार की समस्याएं इस वर्ष भी विद्यार्थियों को उठानी पड़ी हैं। पिछले वर्ष प्रवेश परीक्षा का आयोजन घर बैठे हुआ था, ऐसे में “Log-in की समस्या, आटोमेटिक Log-Out की समस्या, Noise Disturbance” जैसी समस्याएं प्रमुखता से देखी गई थीं। इसके अलावा NTA द्वारा दिए गए हेल्पलाइन नंबर से विद्यार्थियों को तत्काल राहत की सुविधा नहीं थी। इस वर्ष राहत की सुविधा तो उपलब्ध थी, लेकिन परीक्षा के आयोजन को लेकर कई राज्यों के कई सेंटरों में भारी अनियमितताएं देखने को मिलीं।

कैसा रहा इस बार का पेपर?

वैसे, तो बीते वर्षों के मुकाबले इस बार का पेपर थोड़ा सा अलग हट के था। 100 नंबर के बहुविकल्पीय प्रश्नों वाले पेपर में लगभग आधे से अधिक सवाल इतिहास, संविधान और कानून से जुड़े थे। बीते वर्षों की अपेक्षा विज्ञापन और जनसम्पर्क और पत्रकारिता से जुड़े सवालों की मौजूदगी काफी कम थी। इस बार के पेपर को देखकर लगा नहीं कि यह पेपर मीडिया के किसी संस्थान का है। इसको देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो विद्यार्थी किसी लॉ कॉलेज या इतिहास में एम.ए करने का एंट्रेंस टेस्ट दे रहे हों।

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