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“जब भाई की कलाई पर बंधते हैं रेशम के कच्चे धागे”

रक्षाबंधन सबसे महान और प्रतिभाशाली त्यौहारों में से एक त्यौहार है, जो भाई-बहन के बीच अटूट रिश्‍ते, बेइंतहां प्‍यार, त्‍याग, समर्थन और समर्पण को दर्शाता है। गौरतलब है कि हम भारतीय हर साल “रक्षाबंधन” पर बहन का भाई की कलाई पर बांधे पवित्र धागे की महान कहानी और उसके गहरे अर्थ को सुनते हुए बड़े हुए है।

लेकिन महज संजोग है कि जब कोरोना वायरस एक बार फिर से बढ़ रहा है, ऐसे समय में एहतियातों का कोई अंत नहीं है और यही कारण है कि इस वर्ष 2021 में रक्षा बंधन पर समय के साथ महत्वपूर्ण सपना भारतीय जनमानस में तो यह होना चाहिए कि आसपास के हर जीवन की “रक्षा का वादा” का दृढ़ संकल्प होनी चाहिए।

दरअसल, भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षा बंधन सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को हर साल मनाये जाने वाला पर्व है। इस पर्व में बहनें अपनी भाई के कलाई पर रक्षा धागा बांध उसके दीर्घायु होने की कामना करती है। वही इस मौके पर भाई भी अपने बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।

आमतौर पर अधिकांश भाई-बहन के बीच का रिश्ता प्यार और मीठे तकरार से भरा होता हैं। कभी खुद डांटा, कभी डांट से बचा लिया, कभी उसके हिस्से का ले लिया, तो कभी अपना हिस्सा भी दे दिया। कभी खुद लड़े, तो कभी उसके लिए दुनिया से लड़ लिया यही है भाई-बहन का रिश्ता जिनकी अपनी एक अलग खासियत होती है। हालांकि उनका एक दूसरे से लड़ना-झगड़ना, किन्हीं बातों पर कोई नोक झोक हो पर फिर दोस्ती होना तो जैसे इस अनोखे रिश्ते की जान होती हैं।

धार्मिक मान्यताओं एवं शास्त्रों के मुताबिक जब देवता व दैत्य के बीच हुई एक युद्ध में भगवान इंद्र दैत्यों के राजा बलि से हारने लगे तब इंद्र देव की पत्नी सची ने भगवान विष्णु को उनके कलाई पर धागा बांध इंद्र के मदद की गुहार लगाई थी। वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बांध अपना भाई बना लिया। जिसके बाद से रक्षा बंधन पर्व की शुरुआत हुई।

बोली और वेशभूषा की तरह ही पर्व भी हर देश की, वहां के लोगों की पहचान का अटूट हिस्सा होते हैं। त्योहार गंभीर अवसर हैं बस खुशियां मनाते समय हमें यह याद रहे कि पर्व को मनाए रखना है, मन में, अपने जीवन में क्योंकि भाई-बहन के बचपन के लड़ाई-झगड़े ही एक ऐसी लड़ाई है जिससे हर इंसान बाद में मिस किया करता है।

यूं ही बना रहे प्यार और दुलार जो मन के पास होते हैं या फिर दूर रहते हैं क्योंकि इस दिन बहनें भाइयों की समृद्धि के लिए उनकी कलाई पर रंग-बिरंगी राखियां बांधती हैं। राखी शब्द संस्कृत शब्द के रक्ष से बना है जिसका तात्पर्य रक्षा करना है। यही वजह है कि ये रेशम के कच्चे धागे जब भाई की कलाई पर एक बार बंध जाते हैं तो धार्मिक परंपरा है कि भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए खुशी पाने के लिए खुशी देनी भी पड़ती है।

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