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“बिहार में दहेज़ के कारण दम तोड़ रही हैं लड़कियां मगर नहीं टूट रही सरकार की नींद”

"बिहार में दहेज़ के कारण दम तोड़ रही हैं लड़कियां मगर नहीं टूट रही सरकार की नींद"

आजकल शादी के इश्तेहारों में, लड़कों की तस्वीरों के सामने प्राइवेट और सरकारी ज़रूर लिखा होता है, क्योंकि सरकारी नौकरी करने वाले लड़कों की कीमत मार्केट में सबसे ज़्यादा होती है। लड़की का पिता भी अपने लिए सरकारी दामाद ही तलाशता है, क्योंकि उसे भी समाज के सामने यह बताना होता है कि उसने अपनी बेटी की शादी एक ऐसे घर में की है, जहां उसकी बेटी को किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

लड़कों की रेट की अगर बात की जाए, तो उसके लिए हमारे समाज में एक सामाजिक पैमाना तय है जैसे- लड़का अगर फर्स्ट क्लास ऑफिसर होगा तब उसकी कीमत करोड़ों में होगी, लड़का अगर सेकेंड क्लास ऑफिसर होगा, तब भी उसकी कीमत करोड़ों के आसपास ही रखिए। इसके अलावा सरकारी वर्ग के लड़कों की कीमत लाखों में हो सकती है। 

शादी में लेन-देन के रूप में दहेज़ की हमारे समाज की एक गौरवशाली परम्परा 

हमारे समाज का पैमाना ऐसा है कि एक ट्रेन ड्राइवर के पद पर काम करने वाले लड़के की कीमत लाखों में रखी जाती है, क्योंकि वह एक सरकारी कर्मचारी है। लड़की भले लड़के से ज़्यादा पढ़ी-लिखी हो लेकिन लड़का अगर चतुर्थ श्रेणी में भी सरकारी कर्मचारी है, तब भी लड़की का पिता उसे ऐसे लड़के से ब्याहने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। 

यहां लड़कों की कीमत का सीधा अर्थ दहेज़ की राशि से है, जिसे एक लड़की का पिता उसके विवाह में भरता है ताकि उसकी बेटी की शादी किसी अच्छे घर में हो जाए। इस सब में पिता का लालच केवल इतना होता है कि उसकी बेटी ठाठ से रहे। भले ही लड़का चतुर्थ श्रेणी में काम करता हो, लेकिन सरकारी की पट्टी होने के कारण लड़की वालों को लगता है कि लड़की ठाठ से रहेगी और उसे कोई दिक्कत नहीं होगी। 

इसी गलतफहमी का शिकार बिहार के नालंदा ज़िले में रहने वाला एक परिवार हो गया, जिसने अपनी स्नातक की पढाई कर रही बेटी की शादी सरकारी नौकरी करने वाले एक चपरासी से की। यहां भी सीधा गणित है कि लड़की के पिता ने लड़के की सरकारी नौकरी होने के कारण अपनी बेटी के लिए एशो-आराम सोचा मगर एक साल बाद ही उनको अपनी बेटी की मृत्यु की खबर मिली। 

पैसों के लालच में कर दीं अमानवीयता की सारी हदें पार

पटना ज़िले के सलिमपुर निवासी अरविंद सिंह की पुत्री काजल कुमारी की शादी हिलसा थाना क्षेत्र के नोनिया विगहा निवासी जगत प्रसाद के पुत्र संजीत कुमार के साथ 27 जून 2020 को हुई थी। शादी के वक्त संजीत कुमार रेलवे में ग्रुप डी के पद पर कार्य कर रहा था और कुछ पहले ही उसका टीटीई के पद पर प्रमोशन हुआ था। उसके बाद से ही काजल से दहेज़ के रूप में 6 लाख रुपयों की मांग होने लगी। लड़की के परिजनों का कहना है कि इसी साल फरवरी में 80 हज़ार रुपये दिए गए थे, लेकिन और मांग के कारण उनकी बेटी की हत्या कर दी गई, जो गर्भवती थी। 

लड़की के परिजनों ने जब इस मामले की छान-बीन की तब पता चला कि लड़के और उसके घरवालों ने उनकी लड़की को जान से मार डालने के बाद शव के 12 टुकड़े करके उसे खेत में दफना दिया था। लड़की के माता-पिता ने बिलखते हुए बताया कि लड़के वालों की दहेज़ की डिमांड पूरी नहीं होने के कारण ही उनकी बेटी आज उनके साथ नहीं है। यहां बात केवल दहेज़ की डिमांड पूरी होने की नहीं है बल्कि हमारे समाज की डिमांड पूरी करते रहने की उस रस्म की है, जिसे आज भी लड़की वाले निभाते आ रहे हैं। हालांकि, ऐसा नहीं है कि प्राइवेट जॉब करने वाले लड़कों की कीमतें नहीं होती हैं बल्कि उनकी भी कीमतें होती हैं और वहां भी लड़कियां सताई  जाती हैं।

दहेज़ से जुडी अमानवीय घटनाएं 

1. 13 जुलाई 2021 को News 18 पर प्रकाशित खबर के अनुसार, नालंदा ज़िले के सूरजपुर में रहने वाले मोहन प्रसाद ने अपनी बेटी का रिश्ता 80 किलोमीटर दूर बीएस कॉलेज दानापुर के पास रहने वाले मेवालाल के बेटे के साथ तय किया था। उसके बाद दानापुर का ही एक मैरिज हॉल बुक किया था, लेकिन शादी पूरी होते ही विदाई के वक्त लड़के वालों ने 15 लाख रुपयों की डिमांड कर दी, जिसके पूरा नहीं होने पर लड़कों वालों ने झगड़ा शुरु कर दिया। उसके बाद लड़की वालों ने लड़के वालों की पुलिस में शिकायत दर्ज़ की थी। यहां लड़की के पिता का कहना था कि लड़के वालों की डिमांड के अनुसार, उन्हें पहले ही 10 लाख कैश और 5 लाख के जेवर दिए जा चुके हैं।

2. 15 जुलाई दैनिक जागरण की इस खबर को पढ़कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि क्या कोई इतना लालची हो सकता है?  शिवहर ज़िले के सोनौल सुल्तान गाँव में लड़के वालों ने दहेज़ में ज़मीन लेने के लिए एक विवाहिता लड़की को ज़िंदा जलाने का प्रयास किया गया। उस लड़की का शरीर बुरी तरह झुलस चुका है।

3.  22 जुलाई 2021 को दैनिक जागरण में प्रकाशित इस खबर के अनुसार, छातापुर (सुपौल) थाना क्षेत्र के कटहरा गाँव  में दहेज़ लोभियों ने दो माह पूर्व ब्याह कर लाई गई दुल्हन को करंट लगाकर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।

4.  23 जुलाई 2021 को दैनिक जागरण में छपी इस खबर के अनुसार, मुंगेर ज़िले के बरियारपुर थाना के गांधीपुर गाँव  में दहेज़ में ढाई लाख रुपये नहीं मिलने पर विवाहिता की हत्या कर दी गई।

5.  25 जुलाई को हिंदुस्तान की यह खबर पढ़िए बनमा ईटहरी ओपी क्षेत्र के घोड़दौर गाँव में एक विवाहिता को पति सहित ससुराल पक्ष के लोगों के द्वारा मायके वालों से दहेज़ मांगने को लेकर मनाही करने पर मारपीट करते हुए लोहे की छड़ से दागा गया।

6.  26 जुलाई 2021 को हिंदुस्तान में प्रकाशित इस खबर के अनुसार, दहेज़ में बाइक नहीं मिलने पर ससुराल वालों ने विवाहिता को जलाकर मार डाला। यह घटना रोहतास ज़िले के शिवसागर थाना क्षेत्र के रसेन्दुआ की है, जहां विवाहिता ममता देवी को उसके ससुराल वालों ने आग लगाकर जला दिया।

7.  27 जुलाई 2021 को हिंदुस्तान में प्रकाशित इस खबर के अनुसार, पारु थाने के बाजितपुर गाँव में एक विवाहिता को दहेज़ के लिए मारपीट कर ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया।

8.  28 जुलाई 2021 को दैनिक जागरण की इस खबर के अनुसार, बिहार के खगड़िया ज़िले के पौरा ओपी अंतर्गत कोसी नदी के किनारे बसे बाढ़ प्रभावित सहरौण गाँव में दहेज़ के कारण एक विवाहिता बिजली देवी की हत्या ससुराल वालों द्वारा कर दी गई और उसके शव को गायब कर दिया गया। स्थानीय सूत्रों के अनुसार शव को उफनती कोसी में बहा दिया गया है।

क्या हुआ? इसे तो बस बिहार का ट्रेलर कहिए, क्योंकि बिहार में आज भी ऐसे कई केस हैं, जिनकी शिकायत आज तक दर्ज़ नहीं हुई है। ऐसी खबरों से तो अखबार पटे रहते हैं। एक लड़की की जान पर बन आती है मगर कोई कुछ नहीं करता। सरकार महिलाओं के लिए केवल प्रोत्साहन योजनाएं बनाकर तालियां बटोरती रह जाएगी और लड़कियों की अस्थियां शमशान घाट पर सजती जाएंगी। यहां केवल सरकार को दोषी बताना भी गलत है, क्योंकि बचपन से ही लड़कियों के कानों में यह बात घुसा दी जाती है कि लड़कियों की शादी में बहुत खर्चा आता है। इसलिए उनकी पढ़ाई में पैसे खर्च करने से बेहतर है कि उनकी शादी के लिए गहने खरीदे जाएं और बैंक बैलेंस बढ़ाया जाए।

दहेज़ केवल एक मुद्दा नहीं है बल्कि समाज का ऐसा काला सच है, जिसका धुंआ बार-बार लड़कियों को निगल रहा है। नालंदा समेत इन बाकी जगहों पर, जो कुछ भी हुआ वो आपके सामने है। अब आपकी बारी है कि आप इन बातों को कैसे लेते हैं? क्योंकि बदलाव का पहला अंकुरण हमेशा खुद से ही शुरू होता है। समाज में अपनी बेटी को ब्याहने के लिए दहेज़ का श्रृंगार कराना क्यों ज़रूरी है? 

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