प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने बहुत ही कम समय में सफलता का आसमान छू लिया है। भारत की इस होनहार बेटी ने अपने खेल से अपने विरोधियों को भी अपना दीवाना बना दिया है। एक साहसिक जज्बे और जुनून की मिसाल हैं पी.वी.सिंधु। अपने लक्ष्य को कैसे पाना है? यह कोई उनसे सीखे। पी.वी. सिंधु ने यह साबित किया है कि लक्ष्य चाहे पहाड़ जितना बड़ा क्यों ना हो? आपको उस पर चढ़ाई करते रहना है जब तक आप उस पहाड़ की चोटी पर ना पहुंच जाएं। जानिए सिंधु ने कैसे किया ओलम्पिक का मैदान फतह।
प्रारंभिक जीवन
पी.वी सिंधु का पूरा नाम पुसर्ला वेंकट सिंधु है। इनका जन्म 5 जुलाई, 1995 को हैदराबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम पी. वी. रमण हैं और उनकी माता का नाम पी. विजया हैं। उनके माता और पिता दोनों ही देश के लिए नेशनल लेवल पर वॉलीबॉल खेल चुके हैं। उनकी एक बहन भी है, जिसका नाम पी. वी. दिव्या है। 1986 में हुए एशियाई खेलों में सिंधु के पिता की टीम ने ब्रोंज़ मैडल जीता था। उनको खेल में जाने का माहौल उनको अपने घर से ही मिला था।
शिक्षा
पीवी सिंधु ने हैदराबाद के औक्सिलियम हाई स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली और उसके बाद सेंट.एन. महिला कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की।
पीवी सिंधु का शुरुआती व घरेलू प्रदर्शन
पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद को देख-रेख में पी.वी.सिंधु ने मात्र 8 वर्ष की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। सिंधु ने बैडमिंटन सीखने की शुरुआत सिकंदराबाद में इंडियन रेल्वे इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग एंड टेलिकम्युनिकशन में मेहबूब अली की देखरेख में की। इसके बाद उन्होंने पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी में एडमिशन लिया, उन्होंने अंडर-10 आयु वर्ग में कई खिताब जीते। उन्होंने नेशनल स्कूल गेम्स ऑफ इंडिया में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही अंडर-13 व अंडर-12 एकल व युगल वर्ग में कई राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किए। सिंधु ने अंडर-10 कैटेगरी की पांचवीं सर्वो ऑल इंडिया रैंकिंग चैंपियनशिप जीती थी। इसके अलावा पी.वी. सिंधु ने ऑल इंडिया रैंकिंग में अंबुजा सीमेंट की ओर से एकल खिताब भी जीता।
टोक्यो ओलंपिक में जीता ब्रॉन्ज
भारत की महानतम बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। इसी के साथ सिंधु लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी भी बन गईं हैं। सिंधु ने इससे पहले रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। टोक्यो ओलंपिक में सिंधु ने चीन की, दुनिया की नौवें नंबर की बाएं हाथ की खिलाड़ी, बिंग जियाओ को 21-13, 21-15 से शिकस्त दी। इससे पहले सिंधु अपना सेमीफाइनल मुकाबला जीतने में नाकाम रहीं थीं। इस ओलंपिक में भी भारतीय महिला खिलाड़ियों ने अपना दबदबा कायम करके रखा हुआ है।