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कविता : इस स्वतंत्रता दिवस जरा उन्हें याद करो

कविता : इस स्वतंत्रता दिवस जरा उन्हें याद करो

आज़ादी, आज़ादी तो कहते हैं

पर जरा उनसे पूछना

जिन्हें घर से निकालकर नारे लगाकर पीटते हैं

या जिन्हें अपनी 9 साल की बच्ची की लाश को देखना पड़ता है

 

जरा उनसे पूछना

जिसे मज़दूरी करके भी खाली पेट सोना पड़ता है

या उनसे पूछना

जिन्होंने अपने परिवार को खोया कोविड के संक्रमण में

जरा उस बच्चे से पूछना

जिसने किताब की जगह खाली कटोरा पकड़ा है

 

जरा उस औरत से पूछना

जिसने अपने सपनों की जगह बस क्रूरता देखी है

या जरा उस कैदी से पूछना

जिसने सूरज की रौशनी को सालों पहले देखा था

 

आज़ादी, आज़ादी कहते रहो, अच्छी बात है

तिरंगा पहराओ अच्छी बात है

राष्ट्रगीत गाओ अच्छी बात है

 

पर इस देशभक्ति के साथ

जरा उन्हें याद करो

जिन्हें आज़ादी का मतलब ही नहीं पता।

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