Site icon Youth Ki Awaaz

     जीवन एक इश्तिहार है

 

चंचल मन और हस्तियां एक व्यक्ति की

उसके कई प्रकार और पहेलियां मानो अनंत काल तक की।

 

आखिर खुद ही सुलझा हुआ मन, मानो उसी के व्यक्तित्व का एक छोर‌ है,

पर बदलाव ऐसा मानो उसके मन पर कुछ कर जाने का शोर है।

 

क्या यह मन वाकई एक असमंजस की गहराई है,

जिसमें गुमनाम ज़िदगी, उसकी ही एक परछाई है।

 

यहां ना जीत है ना हार है,

पर खुद को तराशने जैसा, जीवन एक इश्तिहार है।

   – अंकुर

 

Exit mobile version