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“तालिबान विश्वस्तरीय मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है”

Khalil al-Rahman Haqqani

Khalil al-Rahman Haqqani, a leader of the Taliban affiliated Haqqani network, and a U.S.-designated terrorist with a five million dollar bounty,

तुर्की में चरवाहों का एक कबीला था, जिसने छोटी-छोटी लड़ाइयों से अपना विस्तार करना प्रारंभ किया और धीरे-धीरे एक कबीले से सल्तनत के रूप में परिवर्तित हो गया।

तुर्कों का चरवाहों से हुक्मरानी तक का इतिहास

उसकी सल्तनत का विस्तार इतना ज़्यादा था कि इतिहासकारों की मानें तो सिकंदर के बाद सबसे ज़्यादा किसी हुक्मरानी का विस्तार हुआ तो वह तुर्की के आगोश खान के वंशजों के द्वारा स्थापित सल्तनत की हुक्मरानी का हुआ।

सल्तनत-ए-उस्मानिया की जंग और समन्वय

सल्तनत-ए-उस्मानिया के फैलाओ की सबसे बड़ी और मुख्य वजह यह थी कि वह सत्ता के लिए कोई भी जंग लड़ती थी, तब वह वहां के हुक्मरानों तथा वहां के सेनाओं के साथ भी जंग लड़ती थी।

और सेना एवं हाकिम के आत्मसमर्पण के तुरंत बाद जंग की समाप्ति की घोषणा कर दी जाती थी।

साथ ही कोशिश की जाती थी कि जिस व्यक्ति को अभी जंग में हराया गया है, उससे समन्वय बरकरार करके पुनः उसी को, वहां का हाकिम नियुक्त कर दिया जाए मगर वह हाकिम सल्तनत-ए-उस्मानिया के झंडा तले अपनी हुकूमत को चलाएं

अपनी छवि के प्रति जनता की धारणा बदलने का प्रयास

इसका सबसे बड़ा फायदा सल्तनत-ए-उस्मानिया को यह मिलता था कि उनके प्रति जो उन क्षेत्रों में दुष्प्रचार फैलाया गया था कि वह अपनी धर्म के मानने वालों के अलावा अन्य लोगों की जान के प्यासे होते हैं।

अन्य धार्मिक स्थलों को तोड़ देते हैं और वहां की जनता को धर्म परिवर्तन करने को मजबूर करते हैं

लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद जब वहां की जनता सल्तनत-ए-उस्मानिया के कार्यों को देखती, तब वहां की जनता अपनी धार्मिक सत्ता के बजाय सल्तनत-ए-उस्मानिया का ही गुणगान करने लगती थी

गैरमुस्लिम सेनाओं के साथ आधी दुनिया पर राज्य

जिसका फायदा सल्तनत-ए-उस्मानिया को इतना मिला कि धीरे-धीरे सल्तनत-ए-उस्मानिया में गैर मुस्लिम सेनाओं की संख्या बढ़ती गई और कमोबेश आधी दुनिया पर सल्तनत उस्मानिया का विस्तार हो गया।

सल्तनत-ए-उस्मानिया के विस्तार में सबसे बड़ी बात यह थी कि सल्तनत ए उस्मानिया के लोग जंग सत्ता एवं सत्ताधारी के खिलाफ लड़ते थे।

धार्मिक क्षति सल्तनत-ए-उस्मानिया का पक्ष नहीं

वह जिस क्षेत्र को जंग में जीतते थे, वहां पर कभी किसी अन्य धर्म के धार्मिक स्थल तथा अन्य धर्म के मानने वाले लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते थे।

सल्तनत ए उस्मानिया के लोग अपनी हुक्मरानी में अन्य धर्म के लोगों को भी उतना ही अधिकार देते थे, जितना कि उनके धर्म के लोगों को अधिकार था तथा उनके रहन सहन एवं धार्मिक मापदंडों में हस्तक्षेप करने से भी दूरी बरतते थे।

मुस्लिम सत्ता के विस्तार की कहानी

सल्तनत-ए-उस्मानिया के विस्तार के बारे में लिखने का उद्देश्य यह था कि मुस्लिम तथा इस्लामिक सत्ता का विस्तार कैसे होता है।

सल्तनत-ए-उस्मानिया के विस्तार तथा सत्ता के संभालने के तरीकों से वाकिफ कराने के लिए तत्कालीन समय में दो टीवी सीरियल आर्तगुल गाज़ी तथा उस्मान गाज़ी तुर्की की कंपनियों के द्वारा यूट्यूब तथा तुर्की के लोकल टीवी चैनलों के माध्यम से दिखाया जा रहा है,जिसे आप देखकर इस्लामिक सत्ता के विस्तार को समझ सकते हैं।

पैगंबर मोहम्मद अलैहि और कर्बला

इस्लामिक विद्वानों के माने तो पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत अमीर माविया रजी० को यह बताया था कि तुम्हारे बेटे के द्वारा मेरे नाती तथा मेरे नाती के पुत्र एवं कर्बला में अन्य मुसलमानों की हत्या की जाएगी।

हजरत अमीर माविया रजी० ने कहा था कि जिस पुत्र के द्वारा मेरे धर्म तथा मेरे पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के वंशजों को नुकसान पहुंचाया जाएगा, उस पुत्र को जीने का कोई अधिकार नहीं है! मैं उसे मार दूंगा।

हजरत अमीर माविया रजी० के इन शब्दों का पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने आलोचना करते हुए कहा था कि अभी वह निर्दोष है और इस पर तुम कोई जुल्म नहीं कर सकते।

हत्या के बदले हत्या को अनुचित ठहराया

पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने जीवन काल में अपने वंशजों की हत्या करने वाले व्यक्ति की हत्या की कोशिश कि अवहेलना की थी।

उस धर्म में धर्म के नाम पर अपने ही धर्म के मानने वाले व्यक्तियों की हत्या करना उचित कैसे है?

इस्लाम धर्म और आतंकवाद?

अफगानिस्तान में हो रही धार्मिक हिंसा में लगातार अन्य धर्म के मानने वाले देशों में तथा भारत में तालिबान की आलोचना करते हुए इस्लाम धर्म की आलोचना की जा रही है।

ऐसे में, मैं इस्लाम की आलोचना करने वाले व्यक्तियों से यह सवाल पूछना चाहता हूं!

पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अपने वंशजों की हत्या करने वाले व्यक्तियों की हत्या की बात करने की बात करने वाले व्यक्ति की अवहेलना करते हुए कड़ी आलोचना की थी उस धर्म में आतंकवाद कैसे है?

पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि

पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के द्वारा जब इस्लाम का विस्तार हो रहा था, उसी क्रम में पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया था 14 वीं सदी के बाद मुसलमान धीरे धीरे 73 टुकड़ों में विभाजित हो जाएंगे और उनमें से सिर्फ एक टुकड़ा जन्नती होगा माने वास्तविक इस्लाम को मानने वाला होगा।

इस्लाम के नाम पर हत्याओं की भविष्यवाणी पुरानी

सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह कहा था कि 14 वीं सदी के बाद ऐसे बहुत सारे लोग तथा संगठन आयेंगे जो अपने आप को असली मुसलमान होने का दावा करेंगे तथा इस्लाम के नाम पर लोगों की हत्याएं करेंगे और अपने आप को इमाम मेहदी तथा खलीफा होने का दावा करेंगे, जो कि हमें इस्लाम के वास्तविक रास्ते से भटकाएंगे। साथ अन्य मुसलमानों को अपने साथ मिलाने की कोशिश करेंगे।

असली मुसलमान कौन!तालिबान?

अगर उस परिस्थिति में जो मुसलमान अपने आप को उनसे बचा पाएगा तथा उनके विचारों एवं दावो की अवहेलना करेगा और कुरान हदीस के माध्यम से उनको गलत साबित करेगा और करता रहेगा वही वास्तविक मुसलमान होगा।

तत्कालीन समय में 14 वी सदी गुजर रही है और सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के द्वारा जारी उपदेश धीरे-धीरे होना प्रारंभ हो गए हैं

और सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के उपदेश में इस्लाम के नाम पर जिस हिंसा की बात कही गई है वह हिंसा भी अब दिखाई देने लगी है तथा इस्लाम धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार होना भी प्रारंभ हो गया है।

ऐसे में हम यह खुलकर कह सकते हैं कि तालिबान का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है तथा मुसलमान के नाम पर तालिबान एक आतंकवादी संगठन है, जो विश्वस्तरीय मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।

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