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चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग की वेबसाइट हैक कर फर्जी वोटर कार्ड की घटना, किसी बड़े खतरे की आहट तो नहीं?

चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग की वेबसाइट हैक कर फर्जी वोटर कार्ड की घटना, किसी बड़े खतरे की आहट तो नहीं?

उत्तर प्रदेश राज्य में,  2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके मद्देनज़र तमाम राजनीतिक दल जनता को लुभाने में जुटे हुए हैं। कोई ब्राह्मण महासभा कर रहा है तो कोई ठाकुर महासभा करने की तैयारी में है लेकिन इसी बीच सहारनपुर में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिससे चुनाव की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है

दरअसल, सहारनपुर में कम्प्यूटर शॉप चलाने वाले विपुल सैनी नामक युवक को चुनाव आयोग की वेबसाइट हैक करने और दस हज़ार से ज़्यादा फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इतना ही नहीं पुलिस को आरोपी विपुल के बैंक खाते से 60 लाख रुपये भी मिले हैं।

इतने बड़े आपराधिक षडयंत्र का कौन है मास्टरमाइंड?

पुलिस ने जब आरोपी विपुल से उसके खाते में जमा पैसे के बारे में पूछा तो उसने यह स्वीकार किया है कि यह पैसे उसने फर्जी पहचान पत्र बनाकर कमाए हैं। ऐसे में यह बड़ा सवाल उठता है कि विपुल अकेले तो इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दे नहीं सकता है ! तो इस षड़यंत्र में उसका साथ किसने दिया है? क्या राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए यह किसी राजनीतिक दल की साजिश है या इस साजिश में कोई बड़ा गिरोह जुड़ा हुआ है। हालांकि, विपुल सैनी ने पूछताछ में बताया कि उसने किसी राजनीतिक मकसद से नहीं बल्कि खुद की अंधाधुंध कमाई के लिए ये गोरखधंधा किया था।

आपको बता दें कि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में चुनावों को प्रभावित करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए जाते रहे हैं। पंचायत चुनावों के दौरान भी किस तरह धांधली देखने को मिली थी, वह भी जगजाहिर है। भाजपा-सपा या बसपा और कांग्रेस सभी राजनीतिक दल खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए तरह-तरह के पैतरें आजमा रहे हैं। इन सब के बीच यूपी विधानसभा चुनावों से पहले यह खुलासा बेहद चौंकाने वाला है और यह किसी बड़ी साजिश का हिस्सा माना जा रहा है।

कैसे हुआ इस फर्जीवाड़े का खुलासा ?

अब हम आपको बताते हैं कि इस आपराधिक षडयंत्र का खुलासा कैसे हुआ ! राज्य में विधानसभा चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए निर्वाचन आयोग मतदाता सूची अपडेट कर रहा था। इसी बीच दो-तीन हफ्ते पहले मतदाता सूची अपडेट रखने वाले विभाग के आला अधिकारियों को अपने मेल अकांउट और वेबसाइट ऑपरेशन के दौरान कुछ गड़बड़ी का शक हुआ। पहले तो उनको लगा कि उनके काम में ही कोई चूक हुई है या कोई टेक्निकल ग्लिच यानी तकनीकी समस्या है।

लेकिन अधिकारियों के बीच आपस में बातचीत से पता चला कि कई अधिकारियों के साथ ऐसा ही हो रहा है, जिसके बाद आनन-फानन में यह बात निर्वाचन आयोग की आईटी सेल के विशेषज्ञों को बताई गई। इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए आई टी एक्सपर्ट की एक टीम सक्रिय हुई तो पता चला कि इस गड़बड़ी का केंद्र सहारनपुर में है।

इस षडयंत्र की जब गहराई से छानबीन हुई तो साजिश के तार सहारनपुर के नकुड़ इलाके तक पहुंचे फिर एक कंप्यूटर दुकान तक इसके तार जुड़े होने की बात पता चली। निर्वाचन आयोग द्वारा इसकी सूचना सहारनपुर ज़िला प्रशासन और पुलिस को दी गई। आयोग की आईटी सेल के अधिकारी और ज़िला पुलिस की अपराध शाखा की साझा टीम ने छापेमारी कर विपुल सैनी को धर दबोचा। उसने पूछताछ के दौरान अपना सारा गुनाह स्वीकार कर लिया है। 

चुनाव आयोग की वेबसाइट के पासवर्ड के ज़रिये करता था धांधली

पुलिस अधिकारियों को उससे की गई पूछताछ में पता चला कि आरोपी विपुल सैनी चुनाव आयोग की वेबसाइट में उसी पासवर्ड के ज़रिये लॉग-इन करता था, जिसका इस्तेमाल आयोग के अधिकारी करते थे। उसने अधिकारियों के पासवर्ड तक हैक कर रखे थे। वह करीब तीन महीने से, यह गोरखधंधा कर रहा था। इस दौरान उसने दस हज़ार से ज़्यादा फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाए। वह प्रत्येक पहचान पत्र बनाने के लिए अमूमन सौ से तीन सौ रुपए तक लेता था।  

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