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स्वर्ग-नरक एवं जन्नत-जहन्नुम क्या सच में होता है? जानिए सच्चाई

स्वर्ग-नरक एवं जन्नत-जहन्नुम क्या सच में होता है? जानिए सच्चाई

दुनिया के लगभग सारे धर्मों में ऐसा ही है। किसी में लालच, डर तो किसी मे आनंद, मुस्लिम धर्म में जन्नत और जहन्नुम होता है। हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार लोग ऐसा मानते हैं कि जो अच्छा कर्म करते हैं, उन्हें मरने के बाद स्वर्ग मिलता है और अगर बुरा कर्म करने वालों को नरक मिलता है। 

स्वर्ग

यह वह जगह है, जहां अच्छी आत्माएं रहती हैं, जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, उन्हें सुख भोगने के लिए स्वर्ग भेज दिया जाता है लेकिन हैरानी की बात यह है कि हमको यह बात किसने बताई कि स्वर्ग ऐसा होता है? वहां सुख मिलता है! जो व्यक्ति मर जाता है, वह किसी को बताने के लिए दोबारा तो आ नहीं सकता है कि स्वर्ग ऐसा है और वहां सुख मिलता है। आज के जमाने में यह कितना हास्यास्पद लगता है कि कोई अनपढ़ व्यक्ति भी समझ जाएगा कि आप दूसरों को बेवकूफ बना रहे हैं।

नरक

यह वह जगह है, जहां बुरी आत्माएं रहती हैं, लोग ऐसा मानते हैं कि हमारे बुरे कर्मों के हिसाब से आपको नरक में भेजा जाता है, जहां पर आपको अलग-अलग प्रकार की सजाएं दी जाती हैं। पुराणों के अनुसार मृत्यु का देवता यमराज बुरी आत्माओं को सज़ा देते हैं। यमराज के मंत्री चित्रगुप्त सभी आत्माओं के कर्मो का हिसाब रखते हैं फिर यमराज के दूत उन्हें स्वर्ग या नरक मे भेज देते हैं। 

चित्रगुप्त कैसे आत्माओं के कर्मों का हिसाब रखते होगें?

1. क्या चित्रगुप्त कभी सोते नहीं हैं, 24 घंटे नज़र रखते हैं कि कौन बुरा कर्म कर रहा है या अच्छा?

2. चित्रगुप्त के पास लैपटॉप है या कॉपी, जिस पर वह कर्मो का हिसाब रखते हैं, जो कभी भरती नहीं है अगर लैपटॉप है तो इंटरनेट भी होगा?

3. चित्रगुप्त कभी खाना भी नहीं खाता होगा, क्योंकि कर्मो का हिसाब भी तो रखना है ना।

4. चित्रगुप्त की उम्र कितनी होगी, क्या चित्रगुप्त पद की वैकन्सी निकलती है तो योग्यता क्या होगी?

क्या अच्छे कर्म सब ने किए हैं?

ऐसा कोई व्यक्ति है, जिसके हाथों से कभी कीड़े- मकोड़े नहीं मरे हों? जब भी आप धरती पर कदम रखते हैं तो आपको पता भी नहीं होता कितने प्रकार के जीव आपके पैर के नीचे मर गए हैं। दूसरा जब हम फसल की कटाई करते हैं तब भी हज़ारों जीव मरते हैं। अब इसे बुरे कर्मों मे रखा जाएगा या अच्छे में ! अगर बुरे कर्म में रखा जाएगा तो सभी लोग नरक में जाएंगे और स्वर्ग खाली रह जाएगा। ऐसे तो अगर इसे अच्छे कर्म में रखा गया तो यह उन जीवों के साथ अन्याय होगा, जो लोगों के पैरों तले दबकर मर गए थे।

क्या नरक या जहन्नुम के डर से लोग अपराध (बुरे कर्म) नहीं करते हैं?

अगर आप सोचते हैं कि नरक या जहन्नुम के डर की वजह से लोग अपराध नहीं करते हैं तो आप बिलकुल गलत सोच रहे हैं, क्योंकि अगर वास्तव में ऐसा कुछ भी होता तो फिर इस संसार में कोई अपराध ही नहीं होता और ना ही स्वर्ग और नरक की संकल्पना होती। 

क्या नरक जाने से बचा जा सकता है?

हां, बिल्कुल बचा जा सकता है। हिन्दुओं के बहुत से धर्म स्थल ऐसे हैं, जहां पर इंसानों के पाप धुल जाते हैं जैसे हरिद्वार गंगा में नहाने से और पंडे-पुरोहितो को दान करने से और अपने पापों को खत्म करने के लिए आपको हवन या मंत्र का जाप भी करना पड़ सकता है। उसके लिए फिर आपको पंडित की ज़रूरत पड़ेगी, क्योंकि ईश्वर को हिन्दी समझ नहीं आती सिर्फ संस्कृत ही समझ में आती है। इससे आपके पाप धुल सकते हैं चाहे आपने कितने ही बुरे कर्म क्यों ना किए हों। इस्लाम में आपको खुदा के लिए अपनी जान कुर्बान कर देनी चाहिए अगर जहन्नुम से बचना है तो वो अलग बात है सबसे ज़्यादा कुर्बानी बकरों ने दी है। अब पता नहीं कि उन्हें जन्नत नसीब हुई है या नहीं?

अब सवाल यह उठता है कि अगर पाप यहीं धुल जाते हैं या अपने पापों को हवन, मंत्र से खत्म किया किया जा सकता है तो स्वर्ग-नरक कौन जाता होगा? क्योंकि पुनर्जन्म में भी हम यही धर्म मानते हैं, जब पुनर्जन्म होना है तो ये स्वर्ग-नरक, जन्नत-जहन्नुम का क्या फायदा? जब पुनर्जन्म भी होना है तो मरे हुए लोगों का पिंडदान क्यों किया जाता है? हर अमावस्या पर गरीब लोगों को इन सब के नाम पर क्यों लूटा जाता है?

विज्ञान क्या कहता है?

आप खुद सोचकर देखिए, चांद दिखता है इसलिए वैज्ञानिक चांद पर पहुंच गए और स्वर्ग-नरक, जन्नत-जहन्नुम जैसा सच में कुछ भी होता तो वहां भी जाते, लेकिन यह आपका भ्रम है और कुछ नहीं है। आपको अंधेरा दिखाकर टार्च बेची जा रही है अर्थात डर दिखाकर आपसे धन लूटा जा रहा है।  

टीवी, अखबार, फर्जी वेबसाइट पर हेडलाइन दिखाकर इस चमत्कार के आगे विज्ञान भी फेल बस यही से आप मान लेते हैं कि विज्ञान ने घुटने टेक दिए, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब कोरोना वायरस के समय में मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारा, बौद्ध-विहार इत्यादि उस वक्त बंद थे और पूरे देश में सिर्फ अस्पताल ही खुले थे। 

हम धर्म के बिना जीवित रह सकते हैं लेकिन मोबाइल, लेपटॉप, इटंरनेट, बिजली, बस, ट्रेन, अस्पताल इत्यादि के बिना नहीं रह सकते हैं अगर मुझे धर्म और विज्ञान मे से किसी एक को चुनना होगा तो मैं विज्ञान को चुनूंगा।

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