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बिटिया पढ़कर ससुराल जायेगी…….

राज्य की नीतीश सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद लड़कियों की उच्च शिक्षा में कोई खास सुधार नहीं आया हैं. बिहार सरकार ने इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों के लड़कियों के लिए 33 फीसदी आरक्षण दिया हैं लेकिन ग्रामीण समाज में अभी भी यह धारणा बनी हुई हैं कि लड़कियाँ 10वी -12 वीं तक पढ़ ले और अपने ससुराल जाकर घर सभाले. मुझसे बात करते हुए मेरे गाँव के  शरीफ़ अंसारी कहते हैं कि मैं अपनी बिटिया को पढ़ा रहा हूँ कि अच्छे घर में शादी कर सकूँ. मैंने जब उनसे पूछा कि आप उसे मेडिकल या इंजीनियरिंग क्यों नहीं करा रहे हैं तो उनका सीधा सा जवाब था कि बिटिया दूर  शहर में कैसे पढ़ने जायेगी और अब उसकी शादी भी तो करनी हैं. मैंने जब अपने गाँव की एक लड़की आशा से बात की तो वह बताती हैं कि मुझसे डॉक्टर बनाने का शौक था लेकिन जब भी मैं पिताजी से कहती हूँ तो वह कहते हैं कि मैं तुम्हारे भाई को पढ़ा रहा हूँ अब तुमको कैसे पढ़ाऊँ? और तुम्हारी शादी भी तो करनी हैं उसमें भी पैसे लगेंगे. इन सब बातों को सुनकर आशा चुप हो जाती हैं और सरकार के  तमाम योजनाओं के बावजूद एक लड़की सिर्फ़ अगूंठाछाप से हस्ताक्षर तक का ही सफर कर पाती हैं.

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