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शिक्षक दिवस पर आज हर शिक्षक को नमन…

??? प्रणाम गुरु साथ ही उन सब फरिश्तों एवं हर शिक्षक के सम्मान में, जो अज्ञानता के इस अंधेरे में हमें प्रेरणा की रोशनी दे रहे हैं। शिक्षक दिवस राष्ट्र निर्माण के सबसे बड़े माध्यम शिक्षकों के सम्मान का दिन है। गुरु-शिष्य महापर्व शिक्षक दिवस 05-09-2021 रविवार की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई…???

दुनियाँ में जब सब बंद है,
तब भी बच्चों की क्लास जारी है,
क्योंकि आप पढ़ा रहे हैं।
कोरोना के इस संक्रमण दौर में
2 वर्षों से वारियर्स बनकर,
आज शिक्षक भी ऑनलाइन माध्यम से
स्क्रीन पर नायकों की तरह हैं……
यह सब कर बच्चों को जोड़े रख पाना
किसी बड़े कामयाबी से कम नहीं
क्योंकि शिक्षक भी हमारे हीरो है
शिक्षित कर रहे समस्त शिक्षकों का वंदन…

      डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। एक दार्शनिक, एक महान शिक्षक, एक प्रख्यात लेखक और फिर भारत के कार्यकारी प्रमुख की भूमिका इस व्यक्तित्व की कुछ रुपरेखाएँ है। वह भारत के सबसे महान शिक्षाविदों में से एक थे। उन्होंने न केवल भारत को बल्कि पूरे देश को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके जन्मदिन को भारतीय जनमानस शैक्षणिक जगत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाते है। इस महान व्यक्तित्व ने अपनी असीम और विश्वयापी उपलब्धियों के माध्यम से भारत देश का मान बढ़ाया है और भारतीय जनमानस को प्रभावित किया है। उनके नेक विचारों, आदर्शो और कार्यो का ही प्रतिफल है जो शिक्षक दिवस के अवसर पर सम्पूर्ण भारत के शिक्षण संस्थानों में समस्त धर्म के विद्यार्थी सांस्कृतिक, नाट्य, भाषण, गीत आदि कार्यक्रमों से अपने शिक्षक के प्रति प्यार और सम्मान प्रकट करते है। प्यार या सम्मान तो एक भाव है, जिसे व्यक्त करने का अपना-अपना सबों का तरीका है। शिक्षक सजग रहना सिखाते हैं। मन में संवेदनाएं भरते हैं। अपने अनुभवों से मिली सीख, सीखने वालों तक पहुँचाते हैं। शिक्षक किसी दूसरे की गलती से सबक लेने का पाठ भी पढ़ाते हैं। इतना ही नहीं जीवन को व्यवस्थित कर, परिवेश को सहेजने का सबक देते हैं। जीवन यात्रा की सार्थकता का इल्म करवाते हैं। संकट में उद्देलवित ना होकर ठहराव और सतर्कता की पगडंडी पकड़ने की बात समझाते हैं। इसके अलावा शिक्षा जिस रूप में ग्रहण की जानी चाहिए, वैसे हुई है या नहीं, यह जाँचने के गुरु के तरीके भी अपने अनोखे होते है। दरअसल गुरु वह है जो अनुकरणीय है। हालांकि एक बात जिसे हमें समझने की भी ज्यादा जरूरत है वह यह है कि प्रत्येक चिंतक चाहे वह कितना भी प्रसिद्ध क्यों न हो वह मेरे और आपके तरह के मनुष्य ही होते है।
गौरतलब है कि कई विद्यार्थी अपने शिक्षक को अपना गर्व मानते है, तो कई विद्यार्थी अपने जीवन का सूत्रधार यही कारण है कि शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षक दिवस को पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन छात्र-छात्रा अपने गुरुजनों को उपहार भेंट करके प्यार और सम्मान का भाव दर्शाते हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष 05 सितंबर को मनाये जाने वाले इस दिवस को एक तरह से उनके प्रति सम्मान के रूप में देखा जाता हैं जिन्होंने एक शिक्षक के रूप में आदर्श कायम किया हैं।
     हमारा गर्व हमारे गुरुजन है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाये जाने वाला शिक्षक दिवस उनकी याद में एक सम्मान हैं। छात्र-छात्राओं को अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का इससे बढ़िया अवसर और कोई नहीं हो सकता। हमारा देश विश्व में गुरु-शिष्य की परंपरागत पहचान वाला रहा है। शिक्षक हमारे मार्गदर्शक है। उनके दिए ज्ञान से ही हमें दुनिया को समझने की शक्ति प्राप्त होती हैं। शिक्षा के क्षेत्र में यह दिन विद्यार्थी लोगों के जीवन में विशेष महत्व रखता है। शिक्षक दिवस शैक्षणिक जीवन के लिए ही नहीं होता, बल्कि लोगों को इस अवसर पर तो हमेशा अपनी इच्छा शक्ति व प्रबल मन से इस दिन को उत्सवी रूप में मनाना चाहिए। दरअसल, शिक्षक से मिली शिक्षा के बल पर ही लोग कामयाबी हासिल करते है। इस संसार में जन्म के पश्चात निरंतर विकास के बाद अल्लाह/ईश्वर को पहचानने की शिक्षा भी हमें गुरु से ही मिलती है। शायद इसलिए शिक्षक दिवस एकमात्र दिन नहीं होता, बल्कि अपने गुरुजनों के प्रति भावना प्रदर्शित करने का एक अवसर है। शिक्षकों को याद करते हुए हम आज नतमस्तक है…!!

मेरी माता गुरु है,
मेरे पिता भी गुरु है,
विद्यालय के अध्यापक गुरु है,
बाल्यकाल से आज तक
जिन सबसे जो कुछ भी सीखा हूँ,
हमारे लिए तो हर वो शख्स गुरु है,
जिन सबों ने शांति का पढ़ाया पाठ,
अज्ञानता का मिटाया अंधकार,
गुरु ने सिखाया हमें,
नफरत पर विजय है प्यार…!!!

     उपरोक्त सभी बातें हेतु मेरे जीवन में बाल्यकाल में आदरणीय अमरेन्द्र कुमार, जय किशन, प्रशांत कुमार सिन्हा, मिंते खान, विभा कुमारी, निर्मला कुमारी, महेंद्र झा, बिनीत कुमार झा, दृबेन्दू विश्वास, संजीव कुमार केशरी, प्रो. लाल मोहन झा, आर. के. झा, स्वर्गीय जवाहर चौधरी, बिनोद कुमार, सुनील कुमार जयसवाल, डा. शंभु महासेठ, नुरुल खान उर्फ नुरहोदा, डा. रत्तिकान्त झा आदि शिक्षकों ने सिखाया पढ़ो, करो ताकि अपने अंदर की मेधा से बाहर की ओर बढ़ो। वही ऊंच शिक्षा के क्षेत्र में मन में उठे मेरे सब सवालों का जवाब कई शिक्षक बने जिन्होंने बंद दिमाग को रोशन कर दिया और बहुत कुछ सीखने पढ़ने व मेरे ज्ञान को बढ़ाने में शोध कार्य के दौरान आदरणीय पर्यवेक्षक डॉ. हीरानन्द आचार्य का कुशल मार्गदर्शन मिला और इसे सफलता के मुकाम तक पहुँचाने में मेरे जीवन के परम पूज्यनीय आदर्श, मार्गदर्शक प्रो. धर्मेन्द्र कुमर जैसे सक्षम शिक्षक का असीम आर्शीवाद प्राप्त हुआ और सदैव होता रहता है सर के प्रति हृदय ऋणी हूँ की वे अक्सरा मुझे सही-गलत का भेद बताकर मेरे गलतियों, गलतफहमियों एवं अज्ञानता को दूर कर विवेक को जागृत करते रहते हैं। वे ऐसे शिक्षक है जो शिक्षा के जरिए सामाजिक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं कहते हैं कि शिक्षक और छात्र के बीच सिर्फ किताब के पन्ने नहीं होते हैं बल्कि इनमें पूरी जिंदगी होती है जो किताबों के माध्यम से जीवन जीना सिखाते हैं।
हालांकि जीवन में इतिहास विभाग, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के अपने सभी सम्मानीय गुरुजनों में शामिल प्रो. रत्नेश्वर मिश्रा, प्रो. विशम्भर झा, डॉ. इन्द्रनारायण झा, प्रो. तुलाकृष्ण झा, प्रो. सत्य नारायण ठाकुर, ममतामयी डॉ. उषा किरण झा, प्रो. प्रभास चंद्र मिश्र, प्रो. कंचन माला ठाकुर, डॉ. मोहन मिश्र, प्रो. माधव चौधरी, डॉ. अमिताभ कुमर, डॉ. मनीष कुमार, डॉ. अवनीन्द्र कुमार झा, डॉ. नरेंद्र चौधरी, प्रो. मो. नैय्यर आज़म एवं अन्य शिक्षकों में शामिल प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह, डा. शैलेश कुमार सिंह, डा. उमेश कुमार शर्मा आदि का बहुमूल्य सहयोग सदैव मेरे ज्ञान को विकसित और अध्ययन को परिवर्धित कर मुझे शिक्षित और संस्कारित बनाने में तमाम गुरुदेवों का सौभाग्य प्राप्त हुआ और होता रहता है।
     उपरोक्त बातें गुरुदेवों के सानिध्य, संरक्षण में प्राप्त शिक्षा का यह व्यक्त मेरा वाणी है। दरअसल, शैक्षणिक जीवन में गुरु-शिष्य का रिश्ता बड़े अटूट विश्वास, आस्था, श्रद्धा का संगम संग्रह है। आज महान शिक्षाविद एवं पूर्व राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की जयंती पर कोटि-कोटि नमन और इस पावन अवसर पर आप सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं एवं मेरी दुआएँ है कि सभी गुरुदेव अपने आशीवर्चनो में मुझे शामिल रखें और सबके संरक्षकत्व में मुझे जीवन की उच्चतम उपलब्धियों के लिए सबका प्रोत्साहित सांत्वना और प्यार मिलता रहे।

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         आपका आज्ञाकारी
© डा. मो. जमील हसन अंसारी

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