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आइए जानते हैं 1952 में हुए स्वतंत्र भारत के पहले आम चुनाव के इतिहास के बारे में

आइए जानते हैं 1952 में हुए स्वतंत्र भारत के पहले आम चुनाव के इतिहास के बारे में

सत्ता के गलियारों से लेकर आम आदमी, छुटभैये नेता, सभी राष्ट्रीय दल व क्षेत्रीय पार्टियों तक, निर्वाचन की घोषणा से पहले ही अपने चुनाव चिन्ह, प्रत्याशी, चुनावी हार-जीत के आंकड़े, बड़े-बड़े चुनावी वादे व राजनीतिक बहस करते हुए जनता की सेवा के लिए व्याकुल दिखाई देते हैं लेकिन चुनावी शोरगुल की आपाधापी में उन लोगों को भूल जाते हैं, जिनकी निर्वाचन कराने में अहम भूमिका होती है।

जिन्होंने, भारत निर्वाचन आयोग के गठन से लेकर अब तक, लोकसभा के 15 और विधानसभाओं के लिए 360 से भी अधिक चुनाव निर्धारित समय सीमा में शांति पूर्वक सम्पन्न कराए हैं। कभी बैलेट बॉक्स से शुरू हुआ यह सफर आज इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से पारदर्शिता के साथ लगातार जारी है। वर्तमान में डिजिटलकरण किए जाने के बाद एक क्लिक पर मतदाता सूची हेतु सभी फॉर्म व प्रत्याशियों का रिकॉर्ड देखने से लेकर सम्बन्धित कोई भी जानकारी, कभी भी ऑनलाइन प्राप्त की जा सकती है।

चुनावों का इतिहास

भारत के गणतंत्र बनने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को देश के निर्वाचन आयोग का गठन हुआ था। अंग्रेज़ों  द्वारा कंगाल करने और भारत देश में अशिक्षा व आर्थिक अभाव के बावजूद भी 21 मार्च 1950 को भारत निर्वाचन आयोग के बनाए गए पहले मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन ने कम खर्च में 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक आम चुनाव कराकर, सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत देश को एक नया मुकाम देते हुए विश्व के घोषित लोकतांत्रिक देशों की कतार में खड़ा कर दिया था।

पहले आम चुनाव में लोकसभा की 497 तथा राज्य विधानसभाओं की 3283 सीटों के लिए भारत के 17,32,12,343 वोटरों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। इनमें से 10,59,49,083 मतदाताओं ने जिनमें करीब 85 फीसद निरक्षर थे, अपने जनप्रतिनिधियों का चुनाव कर पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया था।

पहले आम चुनाव के लिए घर-घर जाकर मतदाताओं का रजिस्ट्रेशन कर इतिहास बनाया तब प्रत्येक पार्टी के लिए चुनाव चिन्ह प्रिंट की हुई अलग-अलग मतपेटियां हुआ करती थीं, जिन्हें मतपत्रों के साथ पहाड़ों, जंगलों, मैदानी इलाकों में पगडंडियों व नदी-नालों से गुज़ारते हुए सम्बंधित पोलिंग बूथ तक पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण एवं खतरों से भरा हुआ करता था। उस दौरान अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए कई अधिकारी व कर्मचारी बीमार हो गए, कुछ लूट का शिकार बने तो कुछ की मृत्यु हो गई।

लोकसभा और विधानसभा को मिलाकर 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक लगभग 4000 सीटों के लिए हुए मतदान में

. 18,000 प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया।

. 17.32 करोड़ मतदाताओं का पंजीकरण हुआ।

. 3.8 लाख पेपर मिल्स का उपयोग बैलेट पेपर बनाने के लिए हुआ।

. 3.9 लाख स्याही के पैक का उपयोग मतदाताओं की अंगुलियों पर निशान लगाने के लिए किया गया।

. 2.24 लाख मतदान केंद्र बनाए गए।

. 8200 टन स्टील का प्रयोग बैलेट बॉक्स बनाने में किया गया।

. 2.12 करोड़ बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल किया गया।

. 16,500 लोगों को छह महीने के अनुबंध पर मतदान बनाने के लिए नियुक्त किया गया।

. 24 लाख पुलिसकर्मियों की ड्यूटी चुनाव कार्य में लगाई गई।

. 3000 फिल्में सम्पूर्ण भारत में निर्वाचन सम्बंधित जानकारियों के लिए दिखाई गईं।

. 25 अक्टूबर 1951 को हिमाचल प्रदेश की छिनी तहसील में भारत का पहला वोट डाला गया।

भारत में पहली बार फिरोजाबाद के प्रशासनिक अधिकारियों ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर दिया, एक युवा को मौका 

मतदाता दिवस के अवसर पर ज़िला प्रशासन फिरोजाबाद एवं जनआधार कल्याण समिति द्वारा 25 जनवरी 2019 को संयुक्त रूप से ए.जी.पब्लिक स्कूल सुहाग नगर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन उपज़िलाधिकारी सदर फिरोजाबाद देवेन्द्र सिंह और निर्वाचन 2019 के तत्कालीन नोडल अधिकारी स्वीप व सहायक निदेशक बचत प्रभात मिश्र, ब्रांड एंबेसडर कल्पना राजौरिया सहित समिति सचिव प्रवीन कुमार शर्मा ने युवाओं को उत्साहित करने के उद्देश्य से, 23 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव 2019 को पहली बार मतदान के लिए उत्साहित युवा नंदन बंसल पुत्र मनोज बंसल को मतदाता जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने का अवसर प्रदान करते हुए निर्वाचन के इतिहास में एक अध्याय फिरोजाबाद से जोड़ा।

युवा नंदन बंसल पुत्र मनोज बंसल मतदाता जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए।

21 मार्च 1950 से लेकर अब तक बनाए गए भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त

1 . 21 मार्च 1950 से 19 दिसंबर 1958 तक – सुकुमार सेन

2 . 20 दिसंबर 1958 से 30 सितंबर 1967 तक – केवीके सुंदरम

3 . 1 अक्टूबर 1967 से 30 सितंबर 1972 तक – एसपी सेन वर्मा

4 . 1 अक्टूबर 1972 से 6 फरवरी 1973 तक – डॉ. नागेंद्र सिंह

5 . 7 फरवरी 1973 से 17 जून 1977 तक – टी स्वामीनाथन

6 . 18 जून 1977 से 17 जून 1982 तक – एस एल शकघर

7 . 18 जून 1982 से 31 दिसंबर 1985 तक – आर के त्रिवेदी

8 . 1 जनवरी 1986 से 25 नवम्बर 1990 तक – आरवीएस पेरिशास्त्री

9 . 26 नवम्बर 1990 से 11 दिसम्बर 1990 तक – श्रीमती वीएस रमा देवी

10 . 12 दिसम्बर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक – टीएन शेषन

11 . 12 दिसंबर 1996 से 13 जून 2001 तक – एमएस गिल

12 . 14 जून 2001 से 7 फरवरी 2004 तक – जेएम लिंगदोह

13 . 8 फरवरी 2004 से 15 मई 2005 – टीएस कृष्णमूर्ति

14 . 16 मई 2005 से 29 जून 2006 तक – बीबी टंडन

15 . 30 जून 2006 से 20 अप्रैल 2009 तक – एनगोपाल स्वामी

16 . 21 अप्रैल 2009 से 29 जुलाई 2010 तक – नवीन चावला

17 . 30 जुलाई 2010 से 10 जून 20212 तक – एसवाई कुरैशी

18 . 11 जून 2012 से 15 जनवरी 2015 तक – वीएस संपत

19 . 16 जनवरी 2015 से 18 अप्रैल 2015 तक – एच एस ब्रह्मा

20 . 19 अप्रैल 2015 से 5 जुलाई 2017 तक – डॉ नसीम जैदी

21 . 6 जुलाई 2017 से 22 जनवरी 2018 तक – ए के जोति

22 . 23 जनवरी 2018 से 1 दिसंबर 2018 तक – ओमप्रकाश रावत

23 . 2 दिसम्बर 2018 से अब तक – सुनील अरोड़ा

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