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आइए जानते हैं हिन्दी के राजभाषा बनने के इतिहास एवं महत्व को

आइए जानते हैं हिन्दी भाषा के राजभाषा बनने के इतिहास एवं महत्व को

सन् 1918 में सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था और वे इसे देश की राष्ट्रभाषा भी बनाना चाहते थे, परंतु सन 1947 की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ऐसा संभव नहीं हो सका। देश की सत्ता में बैठे कुछ राजनीतिज्ञों ने भाषा के नाम पर राजनीति कर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनने से रोक दिया।

कब और कैसे हुई हिंदी दिवस की शुरुआत?

स्वतंत्रता के बाद अंग्रेज़ी के बढ़ते चलन और हिंदी भाषा की अनदेखी को रोकने के लिए देश के कई सारे कवि और साहित्यकारों ने हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा दिलाने का प्रण लिया, जिसमें मुख्य भूमिका रामचंद्र शुक्ल, मैथिलीशरण गुप्त, सेठ गोविंद दास, हजारी प्रसाद द्विवेदी, व्यौहार राजेंद्र सिंह, काका कालेलकर और उनके साथ आदि लोगों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा दिलाने के लिए कठिन परिश्रम व भारत के कई हिस्सों में यात्राएं भी की, जिसमें दक्षिण भारत उनका मुख्य केंद्र रहा।

स्वतंत्रता के 2 वर्षों बाद 14 सितंबर सन 1949 को संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। 26 जनवरी सन 1950 स्वतंत्रता के 3 वर्ष पूर्ण होने के साथ ही भारतीय संविधान लागू हुआ और उसी के साथ राजभाषा नीति भी लागू की गई थी। संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में यह स्पष्ट किया गया है कि भारत की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है और साथ-ही-साथ अनुच्छेद 343 (2) के तहत संविधान लागू होने के समय से 15 वर्ष की समय सीमा तक यानी कि 1965 तक सभी सरकारी कार्य अंग्रेज़ी भाषा में होते रहेंगे। यह व्यवस्था और समय अवधि उन लोगों के लिए की गई थी, जो हिंदी नहीं जानते थे और इतने समय में वह हिंदी भाषा का प्रयोग करना उसे लिखना व पढ़ना ठीक से सीख जाएं।

पहला हिंदी दिवस उत्सव

स्वतंत्रता से लेकर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा दिलाने तक का सफर आसान नहीं था, परंतु इसे राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करने वाले साहित्यकार काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारी प्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, व्यौहार राजेंद्र सिंह और आदि लोगों का प्रण और प्रयास इतना मज़बूत था कि 14 सितंबर सन् 1953 का दिन दुनिया के इतिहास में हिंदी दिवस के नाम लिख दिया गया और उसी दिन प्रथम हिंदी दिवस मनाया गया था। इस ऐतिहासिक दिन की मान्यता को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू ने इसे प्रतिवर्ष 14 सितंबर को मनाने की घोषणा की थी।

कितने भारतीय हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं?

स्वतंत्रता के बाद हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा मिले 68 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं, परंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने वर्षों बाद भी कितने भारतीय हिंदी भाषा का अपनी मातृभाषा के रूप में उपयोग करते हैं। स्ट्रेंथ ऑफ लैंग्वेजेस एंड मदर टंग ने अपनी 2011 की जनगणना रिपोर्ट में बताया कि देश में 52 करोड़ 83 लाख 47 हज़ार 193 लोग हिंदी भाषा का अपनी मातृभाषा के रूप में उपयोग करते हैं, जो सम्पूर्ण देश की संपूर्ण जनसंख्या का लगभग 44% है। हिंदी भाषा के अलावा देश में दूसरी व तीसरी बोले जाने वाली भाषाएं बंगाली व मराठी है जिनका प्रतिशत लगभग 8.30 और 7.30 है।

हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाती यह कविता

हिंदी एक भाषा नहीं, पूरा संस्कार है

हिंदी लगातार मन रहा जन गण का त्यौहार है

हिंदी माता की बोली का प्यार है

हिंदी भारत की संस्कृति का द्वार है

हिंदी संवेदनाओं की सरल सी झंकार है

हिंदी प्रेम की जीत और नफरत की हार है

हिंदी संस्कृत कि बेटी और लिपि का सार है

हिंदी शिक्षा के सागर की सम्यक पतवार है

हिंदी भारत की गंगा और जमुना की धार है

हिंदी कला भी है और स्वयं कलाकार है

हिंदी गांधी के सपनों का सुन्दर साकार है

हिंदी भाषा के मरुस्थल में मीठी बौछार है

हिंदी के बिना वार्ता, वार्ता नहीं बस भार है

हिंदी ही ऋषि की कविता का आधार है ।

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