? Liberté, égalité, fraternité
जब हम बात करते हैं Liberty, Equality and Fraternity की तो सबसे पहले जिस देश का नाम मेरे मन-मस्तिष्क में आता है वो है फ्रांस।
सबसे पहले फ्रांस ने ही 1789 ई० में राजशाही, तानाशाही और सामन्तवादी व विशेषाधिकार रखने वाले कुलीन लोगों द्वारा किये जा रहे शोषण के ख़िलाफ़ स्वतन्त्रता,समानता और बन्धुता का नारा दुनिया को दिया था। आज भी फ़्रांसिसी लोगों के व्यवहार में इन तीनों मूल्यवान शब्दों का व्यवहारिक स्वरूप देखने को मिलेगा।
फ्रांस के लगभग दो तिहाई नागरिक आज नास्तिक हैं और वे किसी भी प्रकार के दक्षिणपंथी धार्मिक कट्टरता व उग्रवाद के खिलाफ निडर होकर बोलते हैं, जिसका एक उदाहरण फ्रांस की चार्ली हेब्दो पत्रिका है। चाहे वह 2015 में हुई घटना हो या हो 2020-21 में हुई घटना, फ्रांस के प्रधानमंत्री इमैनुअल मैक्रॉन ने साहस और गंभीरता से इसका सामना किया है और फ़्रांसिसी मूल्यों को कम नहीं होने दिया है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मूर्त रूप देने, धार्मिक चरमपंथियों को सबक सिखाने और अपने वैचारिक मूल्यों (Liberté, égalité, fraternité) को धरातल पर लाने का जो प्रयास फ्रांस ने किया है उससे दुनिया के बाकी देशों को भी सीखना चाहिए और खासकर उन देशों को जहाँ समानता,स्वतंत्रता और बन्धुत्व केवल सरकारी दस्तावेजों तक ही सीमित रह जाता है।