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मातकोम पउर: महुआ दारू के खिलाफ गाँव के लोगों द्वारा शुरू की गई एक मुहिम

संताली लघु कथा - "मातकोम पउर" गाँव के सारे लोगों की प उ र (महुआ दारू) के खिलाफ एक मुहिम

गाँव के सारे लोगों के द्वारा प उ र (महुआ दारू) के खिलाफ एक बैसी (ग्रामीण बैठक) की गई। गाँव के लोगों ने आज यह ठान लिया था कि प उ र (महुआ दारू) के खिलाफ आज सख्त कार्रवाई होकर ही रहेगी और धीरे-धीरे लोग मांझी हाड़ाम (ग्राम प्रमुख) के घर के सामने वाले कुल्ही (कच्ची सड़क) के आसपास जमा होने लगे।

प उ र (महुआ दारू) भी हिलता-डुलता-झूमता हुआ बैसी (ग्राम बैठक) बैठक में उपस्थित हो गया। गाँव के सभी लोग उसे नफरत भरी नज़रों से देख रहे थे। लोगों के बड़बड़ाने की आवाज़ थमी भी नही थी कि मांझी हाड़ाम की आवाज़ ने सभी को चीरते हुए सभा में उपस्थित सभी लोगों को चुप होने का इशारा कर किया। इसके बाद सब लोग शांत होकर आगे की कार्रवाई के लिए उत्सुक होकर इधर-उधर जहां भी जगह मिली जाकर बैठ गए।

एक तरफ गाँव के सारे स्त्री-पुरुष और दूसरी तरफ प उ र अकेला मुजरिम की तरह खड़ा अपने आप को झूमने से रोकने के लिए पूरी कोशिश करता लेकिन बीच-बीच में उसका सिर झटक ही जाता था

मांझी हाड़ाम ने सभा शुरू करने का इशारा किया। गाँव के लोग प उ र के खिलाफ आरोप लगाने लगे। कोई कहता कि मेरा बेटा तो अभी पन्द्रह बरस का भी नहीं हुआ है और उसे जब घर के किसी कार्य से हाट-बाज़ार भेजते हैं, तो प उ र उसको भी बहका देता है। गाँव के लड़के भी अब दिन में भी बिना प उ र के नहीं रह सकते हैं। धीरे-धीरे गाँव के बहुत सारे जवान लड़के प उ र की संगति में इतना बिगड़ गए हैं कि अब तो कोई स्कूल और कॉलेज भी जाने को तैयार नहीं है। प उ र ने इन युवाओं को इतना बिगाड़ दिया है कि अब वे किसी काम के नहीं रह गए हैं।

सगाड़गडी (बैलगाड़ी) के नज़दीक बैठी एक महिला तो अपनी दुख भरी दास्तां ही लेकर खड़ी हो गई और खड़ी होकर बोली कि सोनोत के बाबा बहुत मेहनती थे, खेतीबाड़ी का काम करने या शहर जाकर मज़दूरी करते थे और जो कुछ भी कमाई होती थी, उसी में हम लोग बहुत खुश थे लेकिन जब से यह प उ र मेरे पति के जीवन में आया है, तब से मेरे घर का सुख-चैन सब बर्बाद हो गया है। 

कल ही की तो बात है प उ र का इन पर इतना ज़्यादा असर था कि ये कुल्ही (कच्ची सड़क) के पास आम पेड़ के थोड़ी दूरी में एक सूखे कुंए में गिर गए थे। वो तो शुक्र है कि वह कुंआ सूखा था, वरना जिस तरह मेरे पति कल प उ र के संगति में मदहोश होकर गिरे थे, उससे तो कल इनका काम तमाम ही हो जाता अगर कुंए में पानी होता। उसके पास ही उसका पति अपनी पत्नी की बात सुनकर शर्म से सिर ज़मीन में गाड़े लकड़ी के एक तिनके से ज़मीन कुरेद रहा था।

मांझी हाड़ाम सबकी बात गौर से सुन रहा था। एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने प उ र पर आरोप लगाते हुए कहा कि प उ र ने हमारे पारम्परिक हाट-बाज़ारों को भी बिगाड़कर रख दिया है। अब तो जिधर भी देखो किसी-ना-किसी हाट-बाज़ार में यह दिख ही जाता है। अब तो हमारे गाँव घर की औरतें भी प उ र से फायदा उठाने के लिए उसे हाट-बाज़ार में या किसी पेड़ के नीचे इस नालायक प उ र को लेकर बैठती है, ताकि उससे ज़्यादा पैसा कमा सकें।  

गाँव के सभी लोगों ने प उ र के खिलाफ एक-से-एक आरोप जड़ दिए और बेचारा प उ र चुपचाप सबकी सुनता रहा। अब मांझी हाड़ाम की बारी थी, उसने प उ र की ओर देखते हुए कहा कि तुम्हें अपनी सफाई या बचाव में कुछ कहना है?

प उ र लड़खड़ाते हुए किसी तरह से खड़ा हुआ और बोला कि गाँव के सभी स्त्री-पुरुषों और युवा, बुज़ुर्गों को मेरा जोहार। आज आप सब लोगों ने मुझ पर खूब दोषारोपण किए। आप सभी गाँव वालों की बर्बादी का ज़िम्मेदार भी मुझे ठहराया गया है लेकिन मैं अपनी सफाई में केवल इतना कहूंगा कि मैं निर्दोष हूं। यह बात सुनकर गाँव वाले कहने लगे, “बेशर्म झूठा कहीं का।” इसके बाद गाँव के लोग प उ र के बारे में अनाप-शनाप बोलने लगे।

अपनी लड़खड़ाहट को संभालते हुए प उ र बोलने लगा कि देखिए इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। तुम्हारे ही मारीहोड़ (पुरखाओं ) ने ‘जाहेरथान’ में ‘मंझिथान’ ‘सोहराय’और ‘बाहा पोरोब’ के समय अपने पुरखाओं और बोंगा को खुश करने के लिए मेरा इस्तेमाल किया था। उनको चोडोड़ (अर्पित) किया था। तुम लोग भी, तो अभी भी अपने बोंगा (पुरखा) को खुश करने के लिए मेरा इस्तेमाल करते हो।

मैं तो तुम्हारे बोंगा ओड़ा (गृह देवता कक्ष) के अंदर रहता था, वहां से किसने मुझे निकाला? मुझे तो बोंगा (पुरखा) लोगों को खुश करने के लिए बनाया गया था, लेकिन मुझे हाट-बाज़ार में किसने बैठा दिया? तुम्हारे लड़के बिगड़ रहे हैं, तो इसमें मेरी क्या गलती है? तुम्हारे आदमी लोग अगर लन्दर-फन्दर करके गिरते पड़ते घर आते हैं, तो इसमें मेरी क्या खता है? तुम्हारी औरतें बड़े प्यार से मुझे तैयार करके तेज़ और नशीला बनाती हैं, तो इसमें मेरी क्या गलती है?

मेरा इस्तेमाल तुम्हारे बोंगा लोगों के लिए होता था, अब तुम लोग सार्वजनिक रूप से खुल कर मेरा इस्तेमाल करते हो, तो बोंगा चापाड़ा नहीं करेगा, तो क्या करेगा? देखो तुम लोगों की क्या दुर्दशा हो गई है, ना तो घर में खाने को है और ना शरीर में ढंग का कपड़ा ही है। पहले तुम लोग खेती-बाड़ी करके मेहनत मज़दूरी करके अपना जीवन शांति से गुज़ारते थे, लेकिन अब तुम लोग आलसी और बेकार बन गए हो।

यह सब मेरी वजह से नहीं हुआ बल्कि मेरा इस्तेमाल गलत तरीके से करने की वजह से तुम लोग आज बर्बाद हुए  हो। मैं दोषी नही हूं बल्कि तुम सब लोग दोषी हो। तुम लोगों ने मिलकर मेरी इज्जत और मान-सम्मान सब खत्म कर दिया है। जरा याद करो कि जब दो महीने पहले सोनोत के बेटे सोनालाल की शादी हुई थी, उस दिन मेरी वजह से कितना हंगामा हुआ था और उस दिन भी दोष मेरे सिर पर मढ़ दिया था कि ये सब हंगामा इस प उ र (महुआ दारू)की वजह से हुआ था। लड़की वालों के बीच बदनामी हुई वह अलग से और अब बोलो कौन दोषी है! मैं हूं या आप लोग?

बैसी में पास ही में बैठा गाँव का प्रधान मांझी हाड़ाम की ओर देखने लगा जैसे पूछ रहा हो बोलो मांझी हाड़ाम प उ र के सवालों का जवाब अब है किसी के पास! गाँव वाले भी प उ र की बात सुनकर शर्म से पानी-पानी हो गए थे। मांझी हाड़ाम प उ र के सवालों और जवाबों से बेहद शर्मिंदा हो गया था। वह उठकर खड़ा हुआ और बोला प उ र ने अभी जो कुछ बोला एक दम सही बोला है। 

इसमें गलती हम सब की है, जो प उ र बोंगा ओड़ा में रहता था। हम उसको हाट-बाज़ारों में और दूसरे स्थानों में, जहां हमारे बोंगा नही रहते थे, हम जैसे साधारण लोगों के बीच लेकर आ गए। ऐसा व्यवहार हम लोगों को प उ र के साथ नही करना चाहिए था। हम लोग प उ र की बात से आज समझ गए हैं कि प उ र को सार्वजनिक स्थानों में ना ले जाया जाए बल्कि हमें आज ही इसे बोंगा ओड़ा में भेज देना चाहिए, ताकि जो चीज़ बोंगा की है, वह बोंगा के पास ही रहे। 

मेरा गाँव के सभी बच्चों, जवानों और महिलाओं से भी निवेदन है कि प उ र की गरिमा को समझते हुए उसका गलत इस्तेमाल आज से नही करेंगे, तो तभी हम लोग सच्चा प्रायश्चित कर पाएंगे और अपनी दुर्दशा को ठीक कर सकेंगे।

गाँव के सभी लोगों को यह अहसास हुआ कि सच में उन लोगों ने प उ र के साथ बहुत गलत व्यवहार किया है और अपने बोंगा का भी अपमान किया है। गाँव के प्रधान ने खड़े होकर सभी गाँव वालों को आदेश दिया कि चलो आज ही प उ र को बोंगा ओड़ा में पहुंचा देते हैं। सभी ने सहमति जताई और चल पड़े प उ र को लेकर अपने अपने बोंगा ओड़ा की ओर और वादा किया की अब प उ र को हाट-बाज़ार में नहीं जाने देंगे। आज का अनोखा बैसी (फैसला) यही समाप्त हो गया था ।

नोट : पाठकों आप लोग भी थोड़ा प उ र (महुआ दारू) से सावधान रहें नहीं, तो आप को भी बोंगा चापाड़ा ( देवता सवार हो जाएगा) बर्बाद करेगा।

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