Site icon Youth Ki Awaaz

गुड टच और बैड टच के बारे में अपने बच्चों को ज़रूर बताएं

गुड टच और बैड टच के बारे में अपने बच्चों को ज़रूर बताएं

क्या आपने अपने घर के बच्चों से कभी स्पर्श के विषय में बात की है या उन्हें बताया है कि स्पर्श अच्छा या बुरा हो भी हो सकता है? क्या आपके माता-पिता ने आपके बचपन में आपसे इस विषय पर कभी चर्चा की हो अथवा आपके शिक्षक ने आपको इस सन्दर्भ में जागरूक किया हो? 

मैं पूर्ण विश्वास के साथ कह सकती हूं कि 80% से अधिक लोगों का उत्तर ‘ना’ ही होगा। बाल यौन शोषण के पीछे एक मुख्य कारण यह भी है कि हम अपने बच्चों के साथ इस विषय पर खुलकर चर्चा नहीं करते हैं। इसलिए उन्हें  क्या सही है और क्या गलत है इसका अंदाज़ा हो ही नहीं पाता है। स्पर्श अच्छा-बुरा दोनों ही हो सकता है, निजी अंग क्या होते हैं? ये सब बताते ही नहीं है और यही कहीं-ना-कहीं हम भी बाल यौन शोषण के अप्रत्यक्ष भागीदार बन जाते हैं। आइए इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं-

पूर्व में भी बाल यौन शोषण पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती थी और ना ही इससे संबंधित जानकारी आज भी बच्चों के साथ साझा की जाती है, जिसके कारण बच्चों में अपनी भावनाएं व्यक्त ना कर पाना, यौन शोषण के प्रति अज्ञानता, सही और गलत का भेद कर पाने में अक्षमता तथा डर आदि का भाव सक्रिय रहता है। वे यह नहीं समझ पाते हैं कि अपनी बातों को कैसे अपने से बड़ो के समक्ष व्यक्त करें और अक्सर यही उनके शोषण की मुख्य वजह भी बन जाती है, जिसका फायदा दोषी / विकृत मानसिकता के व्यक्ति उठाते हैं और वो उनके लिए एक सॉफ्ट टार्गेट बन जाते हैं जिनका शोषण वे डरा धमकाकर कभी भी करने हेतु सरल समझते हैं।

बाल शोषण किसे कहते हैं?

18 वर्ष से कम आयु के बालक अथवा बालिका के साथ किया जाने वाला कृत्य, बच्चों के साथ शारीरिक, मानसिक, यौनिक अथवा भावनात्मक स्तर पर किया जाने वाला शोषण बाल शोषण / दुर्व्यवहार कहलाता है। हालांकि, बाल शोषण के अंतर्गत सामान्यतः यौनिक एवं शारीरिक शोषण को ही सम्मिलित किया जाता है, जबकि मानसिक तथा भावनात्मक स्तर पर होने वाला शोषण भी बच्चों के मन-मस्तिष्क परउसके विकास पर नकारात्मक एवं दीर्घकालिक प्रभाव डालता है। कई शोध एवं अध्ययनों से स्पष्ट है कि बाल शोषण के अधिकतर मामलों में दोषी व्यक्ति परिवार की जानपहचान के सदस्य अथवा रिश्तेदार ही होते हैं

बाल शोषण के अंर्तगत आने वाले कृत्य 

बाल यौन शोषण केवल बलात्कार या गंभीर यौन आघात तक ही सीमित नहीं है बल्कि बच्चों को जानबूझकर यौनिक कृत्य दिखाना अथवा देखने को मज़बूर करना, उनके निजी अंगों को गलत भाव से छूना, अनुचित अश्लील बातें करना, अश्लील वीडियो दिखाना, नग्न अवस्था में फोटो खींचना, यौन कृत्य करने के लिए  मज़बूर करना, उनकी नासमझी और भोलेपन का फायदा उठाने के लिए उन्हें तोहफ़े, चॉकलेट, टॉफी, पैसे आदि का लालच देकर चाइल्ड पोर्नोग्राफिक वीडियो बनाना आदि बाल यौन शोषण के अंतर्गत आते हैं।

अमेरिका में इतिहासविद लिन सैको ने अपने अध्ययन में पाया कि 1816 से 1899 के मध्य तकरीबन 500 प्रकाशित समाचार पत्रों में पिता द्वारा अपनी पुत्री के साथ व्याभिचार किया गया था। 1953 में अल्फ्रेड किनसे ने अपने शोध अध्ययन में ‘ फीमेल सेक्सुअल बिहेवियर’ में पाया कि उत्तरदाताओं में लगभग एक तिहाई उत्तरदाताओं ने 14 वर्ष से कम की आयु में किसी-ना-किसी रूप में यौन उत्पीड़न का सामना किया है।    

हमारे देश भारत में बाल शोषण की स्थिति क्या है?

यह तो महज कुछ आंकड़े हैं। वर्तमान में स्थिति भारत जैसे विकासशील देश के लिए अत्यंत विचारणीय है, क्योंकि यहां तकरीबन हर 9 में से एक बालिका और हर 53 में से एक बालक बाल यौन शोषण का ग्रास बनता है। (देव व मुखर्जी) 

यहां तकरीबन 53 प्रतिशत भारतीय बच्चे किसी-ना-किसी तरह के शोषण अथवा दुर्व्यवहार का शिकार बने हैं, जिसमें नग्न चलचित्र खींचना, हिंसा, बुरा/अनुचित स्पर्श और यौन शोषण के लिए मज़बूर करना आदि कार्य शामिल हैं। (एम.एम. सिंह, पार्सेकर, नायर, 2014)

बाल अपराधों एवं शोषण से जुड़े हुए आंकड़ें क्या कहते हैं?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2020 की हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि भारत में एक साल में बच्चों के खिलाफ 22 प्रतिशत यौन शोषण के मामले बढ़े हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में रोजाना औसतन 109 बच्चों का शोषण हुआ है। (The Quint)

NCRB के आंकड़ों के अनुसार, (2011) भारत में प्रत्येक 155 मिनट पर 16 से कम उम्र के एक बच्चे तथा प्रत्येक 13 घंटे पर 10 से कम उम्र के एक बच्चे का बलात्कार होता है।

एनसीआरबी (2020) के आंकड़ों में पोक्सो के तहत साल 2017 में 32,608 मामले दर्ज़ किए गए। वहीं साल 2018 में लगभग 39,827 मामले दर्ज़ किए गए थे, जो साल 2017 के मुकाबले 22 प्रतिशत अधिक हैं।  (The Quint)

गुड टच एवं बैड़ टच के बारे में बच्चों को बताएं 

ये महज़ कुछ आंकड़े हैं वास्तविकता इससे भी परे है। अधिकतर बच्चे गलत स्पर्श से दो-चार होते हैं किन्तु इसका अंदाजा वे स्वयं भी नहीं लगा पाते हैं, क्योंकि उन्हें इसके विषय में हम वयस्क अर्थात्‌ बड़े कभी बताते ही नहीं हैं। किसी अन्य व्यक्ति द्वारा हमारे निजी अंगों को छूना गलत होता है, जिस स्पर्श से आपको अच्छा नहीं लगता आप असहज हो जाते हैं, वो स्पर्श बुरा स्पर्श है इस बात से वो पूरी तरह अनजान होते हैं।  

हालांकि, हम वयस्क इस बात से भलीभांति परिचित होते हैं, इसीलिए हम बच्चों को यह बताते हैं कि उन्हें अजनबी लोगों से बात नहीं करनी चाहिए लेकिन विचारणीय तथ्य यह है कि हम उन्हें यह नहीं बताते हैं कि कोई अपना, जान-पहचान का व्यक्ति या अनजान व्यक्ति, आपको गलत तरीके से छुए तो क्या करना चाहिए? 

अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श क्या होता है? अगर कुछ गलत हो तो अपने से बड़ों को बताना चाहिए, अप्रिय स्थिति में उन्हें क्या करना चाहिए? ये बहुत छोटी-छोटी सी बातें हैं लेकिन इनके द्वारा हम बाल यौन शोषण जैसी घटनाओं पर एक हद तक लगाम लगाने का प्रयास ज़रूर कर सकते हैं। 

नीति कुशवाहा, शोध छात्रा, लखनऊ विश्वविद्यालय।

Exit mobile version