जब-जब सरकारों की गलत नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन हुए, तब दिल्ली में हमेशा देश के छात्रों ने प्रदर्शनों के मोर्चे संभाले हैं।
वहीं बीजेपी सरकार में यूनिवर्सिटीज़ में प्रदर्शनो करने वाले छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन सत्ता के खिलाफ प्रदर्शन करने का आह्वान करने पर छात्रों को निलंबित भी किया जा सकता है, यह छात्रों ने सोचा भी ना होगा।
सरकार के खिलाफ बोलने की सज़ा
ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। जहां एक छात्र को NRC/CAA के विरुद्ध प्रदर्शन करने पर 22 दिसंबर 2019 को निलंबित कर दिया गया और आज तक अदालतों के दरवाज़े खटखटा रहा है मगरअभी तक निलंबन वापस नही हो पाया है।
छात्र को यूनिवर्सिटी से मिला निलंबित पत्र
‘Youth Ki Awaaz’ के लिए पत्रकार ज़ाकिर अली त्यागी ने लखनऊ की हज़रत ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन का आह्वान करने वाले छात्र से बात की, जो कि विरोध प्रदर्शन के चलते निलंबित कर दिए गए।
निलंबन वापसी के लिए काट रहे हैं कोर्ट के चक्कर
अहमद रज़ा खान से बातचीत की तो उन्होंने बताया.
“मैं लखनऊ की हज़रत ख्वाज़ा मुईनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी का बी०ए० इतिहास का छात्र हूं। मैंने यूनिवर्सिटी में NRC/CAA के ख़िलाफ प्रदर्शन करने का आह्वान किया था, जिसके चलते मुझे 22 दिसंबर 2019 को यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा निलंबित कर दिया गया और अब मैं अपने निलंबन वापसी की मांग को लेकर अदालतों के चक्कर काट रहा हूं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।”
वो आगे बताते हैं कि मैंने हाइकोर्ट का भी दरवाज़ा खटखटाया लेकिन मेरी याचिका वहां से भी खारिज़ कर दी गई, अब मैंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मुझे अपने मुल्क़ के संविधान और माननीय सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है कि यहां मेरी सुनवाई होगी और मेरा निलंबन वापसी का आदेश देकर मुझे न्याय दिया जाएगा।
संविधान पर भरोसा, सुनवाई का इंतज़ार
जब भी मुल्क में संविधान के खिलाफ बातें हुईं हैं या किसी सरकार ने संविधान को कुचलने की कोशिश कर संविधान के विपरीत कार्य किए हैं, तब विश्वविद्यालयों ने सत्ता के सामने दंभ भरा है और सरकारों के खिलाफ प्रोटेस्ट किया है
लेकिन बीजेपी सरकार में अब किसी यूनिवर्सिटी का छात्र रहते हुए आलोचना या विरोध करना तेज़ धारी तलवार पर चलने जैसा हो गया है,
यूनिवर्सिटी सरकार के इशारों पर छात्रों पर कार्रवाई कर रही है मैं 2 सालों से नेताओं और अधिकारियों के दफ़्तरों के चक्कर काट रहा हूं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नही हो रही है।