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हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है

हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है

बचपन से स्कूल के शिक्षकों से लेकर बड़े पर्दे के हीरो को एक बात कहते हुए सुना है कि सपने देखो तो बड़े देखो फिर कहीं पढ़ा की सपने खुली आंखों से देखो जिसका मतलब यह था कि सोते हुए देखे जाने वाले सपने पूरे नहीं होते हैं लेकिन खुली आंखों के सपनों के लिए आप मेहनत करते हैं और वो प्रयास दिखने भी लगता है। 

ऐसा कहते हैं कि दो पल ऐसे होते हैं, जब इंसान खाना-पीना और सोना तक भूल जाता है या तो वो जब प्यार में होता है या फिर अपनी मंज़िल पाने की जिद्द में तो पहला काम तो यह हो गया कि हमें एक बड़ा सपना चुनना चाहिए और दूसरा अपने सपनों को साकार करने के लिए उसके रास्ते पर चलना चाहिए।

उस रास्ते का हाल भी मूसलाधार बारिश के वक्त जैसा सरकार की पोल खोलती हुई सड़कों का होता है ठीक वैसा ही होगा लेकिन सड़क पार करने के बाद आप मुड़ कर पीछे देखने पर आप स्वयं की पीठ ज़रूर थपथपाएंगे। कुछ लोग ज़ल्दबाजी यह करते हैं कि वे बहुत कम समय में ही अपने क्षेत्र मे झंडे गाड़ना चाहते हैं। दोस्त ये ज़िन्दगी है, कोई वेब सीरीज़ नहीं कि आधे घंटे में आपकी किस्मत चमक जाएगी।  

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उस स्थान तक, जो पहले से पहुंच के बैठे हैं जरा एक बार उनके बारे में भी खोजबीन करके तो-देखो-तो पता लगे कि कहां वो गिरे और कहां वो संभले। इस चकाचौंध की ज़िन्दगी के पीछे भी एक बहुत गहरा गुमनाम अंधेरा होता है। ऐसा कहते हैं कि ऊंचाई पर तन्हाई होती है मतलब समझते हैं आप इसका अगर नहीं तो सुन लीजिए इसका मतलब यह है कि जब आप अच्छे स्थान या पद पर होते हैं तो आपकी संगति के लोग आपको कम मिलते हैं और इस कारण से आपके पास सीमित लोग बच जाते हैं और तब आपकी समझ पर निर्भर करता है कि ज़िन्दगी की गाडी कैसे आगे चलानी है?

इसमे कोई दो राय नहीं है कि हम बहुत ज़ल्दी ही दूसरों के ऐशो-आराम से खुद की तुलना करने लग जाते हैं लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि बिना अपनी आदतों को बदले आगे बढ़ना मुश्किल है। आप क्यों नहीं आगे बढ़ेंगे, आप देर से जागना छोड़ दीजिए और आप अपने काम को रूचि लेकर करिए, आप चर्चा से ज़्यादा हकीकत पर यकीन करिए।  

ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिन पर विचार करा जाए तो आप अपनी ज़िन्दगी बदल सकते हैं और आपको आपके काम की पहचान तब ही मिलेगी, जब आप उसको पहचान पाएंगे और उसके लिए आपको उसको समय देना होगा और जागती आंखों के सपने एक दम एकाएक नहीं टूटते बल्कि धीरे-धीरे आपके कम पड़ते प्रयासों के साथ वो दम तोड़ देते हैं।

आप अपने आप को किसी भी बात की दिलासा मत दीजिए, क्योंकि आप खुद को बेहतर बनाने के लिए खुद से झूठ बोलने लग जाएंगे और इसके साथ ही स्वयं को अपनी गलतियों का पछतावा भी ज़रूर होने दीजिए। आखिरकार किसी पछतावे से ही प्रेरित होकर आप आगे कार्य करेंगे और अपनी कमियों पर अगर आपको गुस्सा आता है तो उसको आज ही बदल दीजिए। एक छोटे से बदलाव से आपको ज़िन्दगी में बहुत बड़ा फायदा होगा।  

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