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हमें अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देने की ज़रूरत है

हमें अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य की ओर भी ध्यान देने की ज़रूरत है

सुबह कितनी खूबसूरत होती है ना जब आपका मन और शरीर दोनों ही खुश और तंदुरूस्त हों और अगर इसके विपरीत की बात करें, तो सुबह उठने की बात तो दूर, ज़िन्दगी अधूरी लगने लगती है। वो कहते हैं ‘ना मन चंगा तो कठौती में गंगा’ हमारे जीवन में इसका लागू होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। 

आप सब में से, जितने भी लोग यह पढ़ रहे हैं कभी-कभी आपके साथ यह ज़रूर होता होगा कि आपका मन घबरा जाता हो, लेकिन ज़रा सोचिए अगर आपकी ज़िन्दगी में यह घबराहट दखल देने लगे? रोजमर्रे की चीज़े आपको कठिन और परेशान करने लगें? आपने मानसिक असंतुलन के बारे में कई जगह पढ़ा और सुना होगा पर क्या असल ज़िन्दगी में किसी के निजी जीवन की चुनौतियों के बारे में सोचा या समझने की कोशिश की है? 

कभी सोचा है कि वह बच्चा कक्षा में किसी से बात क्यों नही करता? या फिर वह महिला हर समय घर पर ही क्यों  रहना पसंद करती है? वह बालिका हमेशा डरी और सहमी क्यों रहती है? इन परिस्थितियों का सामना भले ही आपने में से किसी ने नहीं किया हो, पर चलिए उनकी बात करें, जो लोगों की स्थिति समझ कर भी उनसे गलत और अनुचित व्यवहार करते हैं। मैं दुनिया और अन्य देशों की बात नही करूंगी मगर क्या हमने हमारे देश में बढ़ती बच्चों की मानसिक तकलीफ, स्कूल, ऑफिस यहां तक कि घरों में काम करने वाली बाई की मनोदशा के बारे में जानने की कोशिश की है?

आप सोच रहे होंगे कि इतने सारी चीज़ों के बारे में एक इंसान कैसे ध्यान दे? आपका ऐसा सोचना बिल्कुल सही और सटीक है, पर अगर आप से सिर्फ अन्य लोगों के प्रति अच्छा व्यवहार, प्यारी और प्रोत्साहित करने वाली बातें करने को कहा जाए और अगर आप मन में उस व्यक्ति को पसंद ना भी करें तो सिर्फ साफ बोलकर दूर हट जाएं पर कभी अनुचित बोली और व्यवहार का इस्तेमाल ना करें, क्योंकि आप जानते हैं कि लोगों के प्रति आपका जैसा व्यवहार होगा, आप को ईश्वर से उससे ज़्यादा मिलेगा। कोई भी व्यक्ति चाहे कितनी ही व्यथा में हो, उन्हें दवाई और चिकित्सक प्रणाली से सुकून नहीं मिलेगा, जितना कि आपकी प्यारी बातों और अच्छे व्यवहार से मिलेगा।

हमारे देश में हर 10 सितंबर के दिन “विश्व आत्महत्या निवारण दिवस” मनाया जाता है तो चलिए आप और हम मिलकर यह वादा करते हैं कि हम हर एक इंसान के साथ उचित व्यवहार और अच्छी बोली बोलेंगे। कोई समय ठहरता नहीं, समय का पहिया अनवरत अपनी गति से चलता रहता है और आपको उसके साथ चलना पड़ता है, इसी बीच यह वादा आप स्वयं से करिए कि हमारी तरफ से किसी को कोई दुख नहीं पहुंचे। अंतत: आप हमेशा याद रखें, लोग आपसे आपके सामने उचित व्यवहार करने को नही कहेंगे, परंतु आपको लोगों के सामने कैसा प्रस्तुत होना है, यह आपको तय करना है।

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