भारत मे केंद्र सरकार ने गर्भपात के नियमों में बदलाव किया है। कुछ विशेष मामलों में नए नियमों के तहत 20 से 24 सप्ताह के गर्भ में गर्भपात की अनुमति है। नया नियम मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत आता है, जिसे इस साल की शुरुआत में संसद में पारित किया गया था। नए नियमों के तहत, सात असाधारण परिस्थितियों में 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति है।
नए नियमों की असाधारण परिस्थितियां क्या हैं? यौन शोषण या बलात्कार के शिकार? समय से पहले विधवा या तलाकशुदा महिलाएं; मानसिक बीमारी वाली महिलाएँ।
पहले, 12 सप्ताह के भीतर गर्भपात करने के लिए एक डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता होती थी, और 12 से 20 सप्ताह के बीच गर्भपात कराने के लिए दो डॉक्टरों की सलाह की आवश्यकता होती थी। नए नियमों के तहत इस अवधि के बाद गर्भपात पर फैसला लेने के लिए राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा। नियम बताते हैं कि इस तरह का फैसला मेडिकल बोर्ड सही फैसला लेने और यह सुनिश्चित करने के बाद ही कर सकता है कि यह प्रक्रिया महिला के लिए सुरक्षित है।