दुर्गा पूजा का समापन आँखें नम कर जाती है
आज सुबह नवरात्रि का कलश नदी में विसर्जन करके जब आ रहे थे तब एक कंस्ट्रक्शन साइट पर एक महिला दिखी जो शायद इसी इमारत को बनाने में मजदूरी कर रही है, मैने देखा की वो महिला एक मैला कुचैला कपड़ा तन पर डाली इमारत के नीचे बैठी हुई है और उस महिला को एक छोटा सा बच्चा चेहरे पर एक मासूम मुस्कान लिए हुए पीछे से कुछ ऐसे गले लगा रहा हो मानो शिव के गले में नाग ।
बच्चे के तन पर कपड़े के नाम पर केवल एक टी शर्ट था
वो महिला कुछ नोट गिन रही थी जब मैं कुछ करीब पहुंचा तो देखा की सभी 20 रुपए के नए नोट थे जो करीब 8 – 10 होंगे मतलब उस महिला के हाथो में 200 रुपए से ज्यादा नही था पर उसके चेहरे पर मुस्कान लाखो का था जिसका मोल उस पैसों से कहीं अधिक था
ये देखकर मन में एक सवाल तो जरूर आता है की दुर्गा मन्दिर या पंडाल में नही था । दुर्गा हर एक औरत हर एक लड़की में है, हो न हो ये भी दुर्गा ही थी जो इतनी विकट परिस्थितियों में भी अपने बच्चे को लेकर काम कर रही है, मुस्कुरा रही है
दुर्गा कभी आपको किचन में हाथ में कुछ बर्तन लिए हुए मिलेगी ,तो कभी किसी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हुए , दुर्गा कभी आपको वर्दी पहनकर अपनी सेवा देते हुए नजर आएगी तो कभी मां बनकर दुलार करते हुए , कभी कभी तो दुर्गा एक वैश्या बनकर तुम्हारे हवस का नाश करते हुए भी मिल सकती है
हमने आज तक दुर्गा का केवल वही रूप देखा है जो मंदिरों में होता है पर असल रूप में दुर्गा कभी मां तो कभी बहन तो कभी प्रेमिका तो कभी अर्धांगिनी कभी एक शासक तो कभी एक प्रशासक के रूप में होती है
नारी सच में मां दुर्गा का रूप होती है जो हर तरह के दर्द को सहकर हर प्रताड़ना को सहकर भी हंसती है
कई ऐसे स्त्रियां भी है जो शादी के बाद ससुराल में होने वाले प्रताड़नाओं को एक कड़वे घूंट की तरह पीती रहती है और चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए जीती रहती है ,यहां दुर्गा सहनशील है क्योंकि उसे अपने परिवार ,अपने बच्चे की फिक्र है पर इसका ये कतई मतलब नही है की वो कमज़ोर है ।
उसके आँख से गिरता एक एक आंसू ज़हर है जो सच में प्राणघातक है ,
शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा हर रूप में हमारे इर्द गिर्द है पर हम केवल उनके दशभुजा वाले उस रूप की पूजा करते है जो केवल एक मूरत के रूप में है
असल दुर्गा तो कहीं किसी ऐसे ही लेखों में खो गई है।