Site icon Youth Ki Awaaz

शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूप…

नारी सम्मान व संस्कारों की पूजा शुभ नवरात्रि दुर्गापूजा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दुर्गा माँ की कृपा से इस वर्ष का नवरात्र आप व आपके सपरिवार, मित्र, पड़ोसी, सगे-संबंधियों व देशवासियों के लिए शांति, आनंद, ऊर्जा, आध्यात्मिक उन्नति से भरा हो और माँ के आशीर्वाद रूप में सुख-समृद्धि की सबको प्राप्ति हो….

     हिन्दू धर्म में शक्ति की अनुभूति शारदीय नवरात्र एक वर्ष में मां दुर्गा की पूजा का चौथा अवसर होता है। शरद ऋतु में होने के कारण इसे शारदीय नवरात्र कहते हैं हालांकि इस बार नवरात्र 08 दिनों की ही होगी। सम्पूर्ण भारत में शहर से लेकर गांव तक और प्रायः हिन्दू घरों में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार 07 अक्टूबर 2021 को कलश स्थापना के साथ ही शक्ति की अधिष्ठात्री माता दुर्गा की पूजा-उपासना शुरू हो गई। इसी 08 दिन में माता के 09 स्वरूप अर्थात दुर्गा माँ के नौ नाम की पूजा आगे के दिनों में क्रमशः निम्न प्रकार व रूप में होगी……..
1. शैलपुत्री की पूजा गाय का घी या उससे बने भोग लगाकर करने से मूलाधार चक्र जागृत होगा और सभी सिद्धियां स्वतः प्राप्त होगी।
2. ब्रहमचारिणी की पूजा शक्कर का भोग लगाकर करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार एवं संयम की प्राप्ति होगी।
3. चंद्रघंटा की पूजा दूध का भोग लगाकर करने से साधक को सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
4. कूष्मांडा की पूजा मालपूआ का भोग लगाकर करने से साधक को आयु, यश आथ्र बल की प्राप्ति होती है।
5. स्कंदमाता की पूजा केले का भोग लगाकर करने से साधक को संसार के सभी सुखों का त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
6. कात्यायनी की पूजा शहद का भोग लगाकर करने से साधक को धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है।
7. कालरात्रि की पूजा गुड़ का भोग लगाकर करने से भूत, पिशाच व भय समाप्त हो जाते है।
8. महागौरी की पूजा हलवा-पूरी का भोग लगाकर करने से साधक के सभी कष्ट मिट जाते है साथ ही उन्हें आर्थिक लाभ भी होता है। और
9. सिद्धिदात्री की पूजा खीर का भोग लगाकर करने से साधक को सभी ऋद्धियां व सिद्धियां प्राप्त होती है। इस प्रकार से उपरोक्त माता के रूप में उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।
     बहरहाल, श्रद्धालुओं की अपनी परंपरा के अनुसार भगवती की आराधना की तैयारी ऐसी हो कि उनके आत्मा व तन की शक्ति बढ़े ताकि वे शारदीय नवरात्र में उपवास करें। देवी की उपासना को समझने के लिए हिन्दू धर्म में एक पुराण है- “देवी भागवत महापुराण” इसकी कथाएं, इसके सिद्धांत हमें समझाते हैं कि जीवन के वर्तमान और भविष्य को ठिख से जीया जाए। हालांकि कोरोना संक्रमण के काल में यह स्वर्णिम अवसर भी मिला है कि सभी अपने-अपने घर में पूजा के कोने में पड़ी उस दुर्गा पाठ पोथी को खोले ताकि परिवार के संग नवरात्र का परिशुद्ध आध्यात्मिक आनंद सब प्राप्त करें। दरअसल, बच्चे वर्तमान में जीते हैं, युवा भविष्य की सोचते हैं और बूढ़े लोग तो अपने गुजरे अतीत में ही खोए रहते हैं।
     यह सब तो मनुष्यों का मनोविज्ञान है। इससे आने वाली पीढ़ी इन नौ दिनों में भीतर की शक्ति के सिद्धांत से परिचित होगी। मेरी आशाएं है कि अपने इस सांस्कृतिक त्यौहार को अपने आने वाले भविष्य व पीढ़ी में इसका संचार करें इसके हेतु घर के सब छोटे-बड़े कृत संकल्पित हो जिससे शांति, शक्ति, श्रध्दा उपासना के साथ साधना में लीन होकर शरद की शीतलता और अंतरआत्मा की सफाई कर सपरिवार पूजा करें एवं सुख की अनुभूति महसूस करें….।

नोटबस हमें यह बात बहुत अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि धर्म व जाति कोई भी हो सम्मान सबका हो। भले कोई ईश्वर कहे कि अल्लाह या कोई परमात्मा बस उसपर कोई शोध न करें, उसे जीयें। वैसे ही जीएं जैसे आजादी प्राप्ति कराने हेतु हम देश के साथ है जीएं। वैसे तो मेरा मानना है कि सही अमल के लिए दर-दर भटकना कोई मोहताजी नहीं होता। हमारे पीर, ऋषि-मुनि बड़ी गहरी बात कह गए हैं कि अपनी शक्ति के हुनर को धीरे-धीरे अपने भीतर फैलने दीजिए और उसके लिए सब मिलकर साथ रहे……!!!
                        ???

        © डा. मो. जमील हसन अंसारी

                09-10-2021 शनिवार

Exit mobile version