Site icon Youth Ki Awaaz

“अखिलेश यादव को राजनीति में बदलते वक्त के साथ खुद को बदलना होगा”

"अखिलेश यादव को राजनीति में बदलते वक्त के साथ खुद को बदलना होगा"

इस आर्टिकल के शीर्षक को पढ़कर कंन्फ्यूज मत हो जाइएगा। हम अखिलेश यादव में बदलाव की बात कर रहे हैं ना कि समाजवादी पार्टी में बदलाव की बात कर रहे हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर में अखिलेश में ऐसी कौन सी कमी है, जिसे बदलना ज़रूरी है, तो चलिए हम आगे उसकी बात करेंगे। हाल ही में सपा का एक वीडियो आया था, जिसमें वो नेताजी यानि अपने पिता जी का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे थे।

अखिलेश ने सिर पर लाल टोपी लगा रखी थी और वो नेता जी के पास बैठे, कुछ बातें हुई और आशीर्वाद लेकर चले आए। अब इस वीडियो को आप रोक-रोक कर यानि पॉज करके देखिए, तो आपको ऐसा नहीं लगता है कि ये वीडियो बड़ा ही बनावटी था।

अगर इसी वीडियो में नेता जी अपने हाथों से अखिलेश को लाल टोपी पहना रहे होते और अखिलेश नेता जी के पैरों में हाथ लगाकर जोड़ने के बजाए नेता जी के पैर छूकर माथे पर लगा रहे होते तो ज़्यादा अपीलिंग लगता।

खैर ! देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने मौकों के हिसाब से कपड़े बदलते हैं, स्टाइल बदलते हैं लेकिन अखिलेश युवा होने के बावजूद, युवाओं की पसंद होने के बावजूद यूथ से कनेक्ट होने में बहुत कमज़ोर दिखते हैं।

उनके लिए सपा के कार्यकर्ताओं में जोश तो दिख जाता है लेकिन आईटी कंपनी में जॉब करने वाला, सड़क पर खड़े होकर पावभाजी खाने वाला, मॉल्स में जाने वाला, एक कॉमन युवा उनसे कनेक्ट नहीं हो पाता है, क्योंकि अखिलेश लैपटॉप बांटने की बातें करते हैं, आईटी सेक्टर की बातें करते हैं, इंटरनेट की बात करते हैं लेकिन वो खुद को हाईटेक नहीं कर पाते हैं।

आप यूट्यूब पर सर्च करिए, तो आपको सबसे ज़्यादा गाने अगर मिलेंगे तो वो अखिलेश और सपा पर ही मिलेंगे लेकिन अखिलेश सेलिब्रिटीज से दूरी ही रखते हैं। मोदी जानते हैं कि हर किसी का इस्तेमाल, उन्हें कब कहां और कैसे करना है?

अब आप एक बार अखिलेश को देखिए, जबसे अखिलेश राजनीति में आए हैं। पीसी हो, रैली हो, पारिवारिक कार्यक्रम हो, रोड शो हो तो सिर पर लाल टोपी, सफेद कुर्ता पायजामा, काली सदरी और काले लेदर शूज़ पहनते हैं। हालांकि, ये उनका निजी मामला है फिर भी क्योंकि अखिलेश सार्वजनिक जीवन में हैं, इसलिए उनके पहनावे पर बात होनी ज़रूरी है।

अखिलेश क्यों कभी टी-शर्ट, जींस में हाथों में कॉर्डलैस माइक लेकर मंच पर टहलते हुए लोगों से संवाद नहीं करते? अखिलेश क्यों कभी सिर्फ कुर्ता-पायजामा नहीं पहनते, क्यों वो कभी सिर्फ कुर्ता-जींस नहीं पहनते, वो अपनी इमेज को इतना टिपिकल क्यों बनाए हुए हैं? अखिलेश क्यों ऐसा मंच नहीं बनवाते जिसके चारों ओर जनता हो और वो जनता से खुद सवाल-जवाब करें?

रथ के ऊपर से हाथ हिलाते हुए या कुछ लोगों से हाथ मिलाकर ही वो समझते हैं कि युवा उनके लिए दीवाना है लेकिन हकीकत ये है कि युवाओं से संवाद, उन्हीं के अंदाज़ में करना ही फायदेमंद हो सकता है। अखिलेश अगर छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के मोदी मंत्र को फॉलो कर रहे हैं, तो उन्हें जनसभाओं के साथ-साथ ओपन सेशन्स और डॉयलॉग्स पर भी फोकस करना चाहिए।

उन्हें कॉफी हाउस से लेकर चाट कॉर्नर्स तक पर जाना होगा डिंपल को आगे करने में देरी करना भी उनका सही स्टेप नहीं है। हालांकि, अखिलेश कहते हैं कि वो अपनी किसी रणनीति को नहीं खोलेंगे लेकिन इतना भी लेट ना कर दें कि कहीं बाद में वो यही सोचें कि काश। 

अगर इस काश इफ बट से बचना है, तो अखिलेश को मोदी जी से कुछ सीखना चाहिए। वो नकल ना करें लेकिन कुछ अट्रैक्ट्रिव निकाल कर लाएं, जिससे सपा शहरी युवाओं में भी पॉपुलर हो सके वरना टकराना बीजेपी से है जिसके पास एक-दो नहीं बल्कि हज़ारों ब्रह्मास्त्र रखे हैं और अखिलेश को उनका मुकाबला अकेले ही करना है। 

Exit mobile version